उत्तराखंड : चुनाव से पहले ही कांग्रेसमें छिड़ी वर्चस्व की जंग
प्रदेश में कांग्रेस के भीतर वर्चस्व की जंग तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गुट ने सवा साल पहले ही उनके नेतृत्व में चुनाव लड़े जाने का मुद्दा उछालकर प्रदेश संगठन मुखिया प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश खेमे के लिए चुनौती बढ़ा दी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। 2022 के विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर खम ठोकने से पहले ही प्रदेश में कांग्रेस के भीतर वर्चस्व की जंग तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गुट ने सवा साल पहले ही उनके नेतृत्व में चुनाव लड़े जाने का मुद्दा उछालकर प्रदेश संगठन मुखिया प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश खेमे के लिए चुनौती बढ़ा दी है।
कांग्रेस के नए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव बीते दिनों उत्तराखंड दौरे में एकजुटता का राग अलाप चुके हैं। उनके दौरे के दौरान बैठकों में एक साथ मजबूती से चुनाव लडऩे का संकल्प जताने वाले नेता अब फिर से धड़ों में बंटे नजर आ रहे हैं। बीते दिनों प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के गढ़वाल दौरे के दौरान कर्णप्रयाग में जनसभा के दौरान थराली उपचुनाव को लेकर चर्चा पर पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत निशाना साध चुके हैं। इसके बाद से हरीश रावत के खिलाफ सोशल मीडिया पर प्रीतम खेमा मुखर है।
शनिवार को राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा के नेतृत्व में हरीश रावत समर्थक विधायकों व पूर्व विधायकों ने एक सुर में वर्ष 2022 का चुनाव हरीश रावत के नेतृत्व में लडऩे की मांग हाईकमान से कर डाली। रावत समर्थकों के इस कदम को उनकी आगामी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। यही नहीं इस खेमे ने कांग्रेस में बागियों की वापसी को लेकर भी तल्ख तेवर अपनाते हुए ऐसे किसी भी कदम का विरोध करने का एलान कर दिया।
बागियों की वापसी को लेकर दोनों ही खेमे एकदूसरे को निशाने पर लेते रहे हैं। रावत खेमे ने अपनी बात कहने के लिए हल्द्वानी का जिसतरह चयन किया, उसे इंदिरा हृदयेश के लिए भी चुनौती माना जा रहा है। इंदिरा इस क्षेत्र से विधायक हैं और बागियों की घर वापसी के मुद्दे को समय-समय पर उठाती रहीं हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में दोनों धड़ों के बीच खींचतान और तेज हो सकती है।
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