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जगजाहिर हुई राजकीय शिक्षक संघ की अंतर्कलह, वर्चस्व की लड़ाई में पदाधिकारी आए आमने-सामने

राजकीय शिक्षक संघ की प्रदेश कार्यकारिणी के मतभेद अब जगजाहिर होने लगे हैं। कार्यकरणी के पदाधिकारियों की वर्चस्व की लड़ाई इतनी आगे बढ़ गई है कि एक दूसरे पर खुलकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। प्रदेश कार्यकारिणी की यह लड़ाई संघ की एकता पर भी भारी पड़ती नजर आ रही है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 12:30 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 12:30 PM (IST)
जगजाहिर हुई राजकीय शिक्षक संघ की अंतर्कलह, वर्चस्व की लड़ाई में पदाधिकारी आए आमने-सामने
जगजाहिर हुई राजकीय शिक्षक संघ की अंतर्कलह। प्रतीकात्मक फोटो

जागरण संवाददाता, देहरादून। राजकीय शिक्षक संघ की प्रदेश कार्यकारिणी के मतभेद अब जगजाहिर होने लगे हैं। कार्यकरणी के पदाधिकारियों की वर्चस्व की लड़ाई इतनी आगे बढ़ गई है कि एक दूसरे पर खुलकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। प्रदेश कार्यकारिणी की यह लड़ाई संघ की एकता पर भी भारी पड़ती नजर आ रही है। शिक्षक भी प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के समर्थन और गैर समर्थन में अपनी राय रख रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर भी शिक्षकों में खूब बहस हो रही है। 

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बता दें कि, वर्तमान प्रदेश कार्यकारिणी का कार्यकाल कोरोना के चलते आगे बढ़ गया और चुनाव होना अब भी मुश्किल है। चुनाव आयोजित न किए जाने को लेकर कार्यकारिणी शुरुआत से ही सवालों के घेरे में थी, लेकिन अब पदाधिकारियों में आपस मे ही चुनाव को लेकर मतभेद दिखने लगे हैं। एक ओर प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी अप्रैल महीने में ही चुनाव आयोजित करना अपना लक्ष्य बना चुके हैं तो दूसरी ओर प्रदेश महामंत्री डॉ. सोहन सिंह माझिला बोर्ड परीक्षा के बाद ही चुनाव करवाने की पैरवी कर रहे हैं।

संघ की टॉप प्रदेश कार्यकारिणी में पैदा हुए मतभेद अब सरकार की चौखट तक जा पहुंच रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख संघ के चुनाव में हस्तक्षेप कर अप्रैल महीने में ही चुनाव आयोजित करने की मांग उठाई है। उधर, शिक्षा मंत्री बोर्ड परीक्षाओं के हवाला देते हुए चुनाव बोर्ड के बाद ही आयोजित करने के निर्देश पहले ही दे चुके हैं। 

हल्द्वानी में हुई बैठक के बाद भड़की आग 

बीती चार अप्रैल को हल्द्वानी में प्रदेश स्तरीय बैठक का आह्वान कर चुनाव और शिक्षकों के अन्य मुद्दों पर चर्चा करना तय किया। बैठक में शिक्षक तो पहुंचे, लेकिन संघ के प्रदेश अध्यक्ष और उपाध्यक्ष नहीं। बैठक होने के बाद प्रांतीय अध्यक्ष केके डिमरी ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर प्रांतीय महामंत्री द्वारा उन्हें बैठक में न बुलाए जाने का आरोप लगाया। साथ ही संगठन के महामंत्री द्वारा संघ को कमजोर करने के आरोप भी लगाए।

उन्होंने संघ के अधिवेशन जल्द से जल्द करवाने का प्रयास करने और इस में आ रही बाधाओं का जिक्र भी अपनी पोस्ट में किया। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते कहा कि अगर अब भी अप्रैल अंत तक अधिवेशन की इजाजत नहीं मिलती तो वर्तमान कार्यकारिणी को नाममात्र बनाए रखना भी उचित नहीं। शुक्रवार को प्रांतीय महामंत्री सोहन सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए दो टूक कहा कि कोई भी आरोप लगाने से पहले अध्यक्ष को संघ का संविधान पढ़ना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उनके कई दफा सूचना दिए जाने के बाद भी अध्यक्ष केके डिमरी अपनी मर्जी से बैठक में शामिल नहीं हुए। बताया कि संघ के संविधान के अनुसार महामंत्री को बिना अध्यक्ष की अनुमति के बैठक लेने की शक्तियां हैं, लेकिन संघ का अध्यक्ष बिना महामंत्री की अनुमति की कोई बैठक नहीं ले सकता। उन्होंने प्रांतीय अध्यक्ष पर उनके अधिकार और शक्तियों पर अतिक्रमण का आरोप लगाया। 

बोर्ड परीक्षाओं के बाद ही होगा अधिवेशन 

राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव और अधिवेशन को लेकर शिक्षकों में चल रही बहस के बीच शिक्षा विभाग को भी उतरना पड़ा है। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने एक पत्र जारी कर यह स्पष्ट किया है कि संघ का अधिवेशन और चुनाव इस सत्र की बोर्ड परीक्षाओं के बाद ही आयोजित होंगे। उन्होंने शिक्षा मंत्री द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि कोरोना काल के चलते लंबे समय तक छात्र छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित रही है। ऐसे में संघ के चुनाव बोर्ड परीक्षाओं के बाद ही करवाया जाना उचित है। उन्होंने राजकीय शिक्षक संघ की ऑडिट रिपोर्ट निदेशालय को जल्द से जल्द उपलब्ध करवाने के निर्देश में दिए हैं। 

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