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कर्मकार कल्याण बोर्ड में अनियमितता की पुष्टि, कड़ी कार्रवाई पर मुख्यमंत्री लेंगे फैसला

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ओर से पूर्व में कोटद्वार में ईएसआइ अस्पताल के लिए 20 करोड़ की धनराशि स्वीकृत करने के प्रकरण की जांच रिपोर्ट में अनियमितता की पुष्टि हुई है। मुख्य सचिव ओमप्रकाश इस जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 09:30 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 09:30 AM (IST)
कर्मकार कल्याण बोर्ड में अनियमितता की पुष्टि, कड़ी कार्रवाई पर मुख्यमंत्री लेंगे फैसला
उत्‍तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ओर से पूर्व में कोटद्वार में ईएसआइ अस्पताल के लिए 20 करोड़ की धनराशि स्वीकृत करने के प्रकरण की जांच रिपोर्ट में अनियमितता की पुष्टि हुई है। मुख्य सचिव ओमप्रकाश इस जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही इसे मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। माना जा रहा कि मामले में कड़ी कार्रवाई पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत फैसला लेंगे। रिपोर्ट में बोर्ड की तत्कालीन सचिव दमयंती रावत व एक चिकित्सक समेत चार कार्मिकों के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने की सिफारिश की गई है।

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कर्मकार कल्याण बोर्ड ने पूर्व में कोटद्वार में ईएसआइ अस्पताल निर्माण के लिए 50 करोड़ का ऋण स्वीकृत किया था। बाद में पहली किस्त के रूप में 20 करोड़ रुपये की राशि ब्रिज एंड रूफ कंपनी को दे दी गई। गत वर्ष अक्टूबर में नए बोर्ड का गठन होने के बाद बोर्ड के पिछले कार्यकाल में वित्तीय अनियमितता व नियमों की अनदेखी का मामला सुर्खियां बनने के दौरान यह प्रकरण सामने आया था। इसके बाद सरकार और शासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया। नतीजा ये रहा कि ब्रिज एंड रूफ कंपनी ने 20 करोड़ रुपये की राशि बोर्ड को वापस लौटा दी। साथ ही शासन ने प्रकरण की जांच के लिए आइएएस वी.षणमुगम की अध्यक्षता में अन्वेषण समिति भी गठित कर दी।

जांच अधिकारी ने हाल में मुख्य सचिव ओमप्रकाश को 65 पेज की रिपोर्ट सौंपी। मुख्य सचिव ने इसे परीक्षण के लिए सचिव श्रम को भेजा। अब सचिव श्रम ने नोटशीट के साथ यह फाइल मुख्य सचिव को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में बोर्ड में अनियमितता की पुष्टि हुई है। इसमें कहा गया है कि कोटद्वार में ईएसआइ अस्पताल के लिए ऋण के रूप में राशि स्वीकृत करने को तमाम स्तरों पर नियमों की अनदेखी की गई। रिपोर्ट में बोर्ड की तत्कालीन सचिव दमयंती रावत के अलावा एक चिकित्सक, एक फार्मेसिस्ट व एक क्लर्क के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की सिफारिश की गई है। साथ ही विशेष जांच कराने पर भी जोर दिया गया है।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि अभी वह रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं। इसमें करीब सप्ताहभर का वक्त लग सकता है। फिर यह जांच रिपोर्ट संस्तुति के साथ मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी। उच्च स्तर के अनुमोदन के बाद ही प्रकरण में कार्रवाई के संबंध में फैसला लिया जाएगा।

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