अवधि पूरी करने पर कमर्शियल वाहन नहीं होंगे प्रतिबंधित, किया जाएगा ये बदलाव; पढ़िए खबर
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ऐसे शोध की दिशा में आगे बढ़ रहा है जिससे ईंधन वाले वाहनों को आसानी से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में तब्दील किया जा सकेगा।
देहरादून, सुमन सेमवालः भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की उस चिंता का समाधान खोजने में जुट गया है। जिसके चलते 10 साल की अवधि पूरी करने वाले कमर्शियल वाहनों को भविष्य में सड़कों से बाहर करने की नौबत आ गई है। आइआइपी ऐसे शोध की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिससे ईंधन वाले वाहनों को आसानी से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में तब्दील किया जा सकेगा। प्रयोग के तौर पर संस्थान के दो पुराने वाहनों को ईवी में बदल भी दिया गया है और इसका प्रयोग भी किया जा रहा है। इसी के साथ संस्थान के वैज्ञानिक अब शोध को बाजारी प्रतिस्पर्धा के हिसाब से परिष्कृत करने में जुट गए हैं।
जागरण से बातचीत में आइआइपी के निदेशक डॉ. अंजन रे ने बताया कि पांच से आठ नवंबर को कोलकाता में पांचवां भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। वहां ईवी तकनीक का भी विशेष रूप से प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसी भी वाहन को इलेक्ट्रिक मोड में लाने के लिए उसके इंजन व फ्यूल टैंक को निकाल दिया जाता है। उसकी जगह उसमें मोटर, कंट्रोलर व बैटरी को फिट किया जाता है।
इसके साथ ही कुछ आवश्यक बदलाव व संयोजन के बाद वाहन का इलेक्ट्रिक माध्यम से संचालन किया जा सकता है। अभी यह शोध शुरुआती अवस्था में है, लिहाजा आइआइपी निदेशक ने ईवी को लेकर अधिक तकनीकी जानकारी देने से इन्कार कर दिया।
संस्थान के वाहन में लगी एक किलोवाट की बैटरी
आइआइपी ने जिस ईंधन वाहन को ईवी में तब्दील किया है, उसमें एक किलोवाट की बैटरी लगाई गई है। वर्तमान में यह वाहन एक बार चार्ज करने पर 60 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है और इसकी अधिकतम स्पीड भी 60 किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास है।
संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि उच्च क्षमता की बैटरी लगाकर इसकी क्षमता को उसी अनुपात में बढ़ाया जा सकता है। खास बात यह भी है कि अभी देश में इलेक्ट्रिक वाहनों में जिन बैटरियों का चलन है, वह चीन से मंगाई जाती हैं। इस प्रयोग में मेक इन इंडिया के तहत बैटरियों का निर्माण कराया जाएगा।
बदलाव की लागत 1.7 लाख
ईंधन वाहन को इलेक्ट्रिक रूप देने के लिए करीब 1.7 लाख रुपये खर्च आ रहा है। हालांकि, यह लागत अभी प्रयोगशाला स्तर की है और कमर्शियल स्तर पर इसकी लागत और नीचे आ जाएगी।
चुनौती से निपटने वाला यह प्रयोग क्रांतिकारी
आइआइपी के निदेशक अंजन रे ने बताया कि जिस तरह से देशभर में 10 साल से अधिक पुराने कमर्शियल वाहनों को सड़क से बाहर करने की बात कही जा रही है, उससे ऐसे वाहनों का निस्तारण किसी चुनौती से कम नहीं। अभी देश में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है कि इतनी बड़ी तादाद में बाहर होने वाले वाहनों का उचित निस्तारण किया जा सके। लिहाजा, इस चुनौती से निपटने के लिए किया जा रहा यह शोध किसी क्रांति से कम साबित नहीं होगा।
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उत्तराखंड में चार नवंबर को लाया जा रहा प्रस्ताव
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद उत्तराखंड में भी 10 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को सड़कों से बाहर करने का प्रस्ताव आगामी चार नवंबर को होने वाली संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) की बैठक में लाया जा रहा है। इसी के साथ वाहन स्वामियों की चिंता भी बढ़ गई है।
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