सौर-पिरूल प्रोजेक्ट की दिक्कतें दूर करेंगे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
सौर ऊर्जा और 385 किलोवाट क्षमता की पिरूल बायोमास ऊर्जा उत्पादन की परियोजनाओं में पेश आने वाली दिक्कतों का समाधान अब खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत करेंगे।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। 200 मेगावाट से ज्यादा सौर ऊर्जा और 385 किलोवाट क्षमता की पिरूल बायोमास ऊर्जा उत्पादन की परियोजनाओं में पेश आने वाली दिक्कतों का समाधान अब खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत करेंगे। वैकल्पिक माध्यमों से ऊर्जा उत्पादन और स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनायुक्त इन परियोजनाओं पर अड़ंगा लगने से सरकार चिंतित है। संबंधित महकमों और जिलों में प्रशासन के बीच तालमेल की कमी का निपटारे को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में आठ व नौ जनवरी को बैठक होगी।
प्रदेश में संशोधित सौर ऊर्जा नीति और पिरूल नीति लागू कर त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने नई पहल की थी। इस पहल के परवान चढऩे से राज्य में बिजली संकट तो दूर होगा ही, साथ में स्थानीय स्तर पर रोजगार के मौके बढऩे भी तय हैं। सौर ऊर्जा में अब तक 203 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं को प्रदेश सरकार मंजूरी दे चुकी है।
इन सोलर प्लांट्स से पैदा होने वाली बिजली को ग्रिड तक पहुंचाने के लिए ग्रिड लाइनों का निर्माण ऊर्जा निगम को करना है। हालांकि ऊर्जा निगम विकासकर्ताओं को खुद ही लाइन बनाने का ऑफर दे चुका है। ऐसा होने पर उन्हें लाइन मेंटनेंस के रूप में 12 पैसे प्रति यूनिट की दर से अतिरिक्त चार्ज भी ऊर्जा निगम की ओर से दिया जाएगा। सौर उत्पादित बिजली के लो वोल्टेज की समस्या का निदान ऊर्जा निगम को करना है।
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इसीतरह पिरूल नीति में जंगलों में चीड़ की पत्तियों के एकत्रीकरण का कार्य वन विभाग के जिम्मे है। विभाग यह कार्य स्थानीय लोगों की मदद से करेगा। उक्त दोनों परियोजनाओं से संबंधित महकमों ऊर्जा निगम, वन, उद्योग के बीच तालमेल की कमी बनी हुई है। जिलों में भी जिलाधिकारियों ने अभी बढ़चढ़कर योजनाओं को परवान चढ़ाने में रुचि नहीं ली है। सरकार की शीर्ष प्राथमिकता वाली इन परियोजनाओं में रुकावटें दूर करने को अब मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक होगी।
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