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क्षतिपूरक वनीकरण को मिले डिग्रेडेड वन भूमि की अनुमति

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र राज्य पोषित व बाह्य सहायतित सभी योजनाओं में क्षतिपूरक वनीकरण को डिग्रेडेड वन भूमि में करने की अनुमति देने पर बल दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 10:16 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 06:10 AM (IST)
क्षतिपूरक वनीकरण को मिले डिग्रेडेड वन भूमि की अनुमति
क्षतिपूरक वनीकरण को मिले डिग्रेडेड वन भूमि की अनुमति

राज्य ब्यूरो, देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र, राज्य पोषित व बाह्य सहायतित सभी योजनाओं में क्षतिपूरक वनीकरण को डिग्रेडेड वन भूमि में करने की अनुमति देने पर बल दिया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में यह मसला रखा। उन्होंने कहा कि केंद्र ने बीआरओ की सड़क योजनाओं और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की परियोजनाओं में क्षतिपूरक वनीकरण को डिग्रेडेड फॉरेस्ट लैंड की अनुमति दी है, मगर राज्य की वित्त पोषित योजनाओं में ऐसा नहीं है। ऐसे में एक ही राज्य में मानकों में भिन्नता औचित्यपूर्ण प्रतीक नहीं होती।

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मुख्यमंत्री ने सस्ती दाल योजना के मद्देनजर केंद्र से दाल पर 15 रुपये प्रति किग्रा की सब्सिडी जारी रखने का आग्रह भी किया। उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में प्राथमिक परिवार और अंत्योदय अन्न योजना में आवंटित खाद्यान्न के परिवहन को सौ रुपये प्रति कुंतल की राशि दी जा रही है। उत्तराखंड में अन्य राज्यों की तुलना में यह लागत अधिक आती है। इस योजना के अंतर्गत खाद्यान्न के परिवहन का संपूर्ण व्यय का वहन केंद्र सरकार द्वारा ही किया जाना चाहिए।

उन्होंने राज्य में पुलिस आधुनिकीकरण में सहायता राशि बढ़ाने और इसका उपयोग भवन व वाहन में किए जाने की अनुमति देने का आग्रह किया। उन्होंने सीमांत क्षेत्र विकास योजना में राज्य पुलिस के लिए भी प्रविधान पर विचार करने, दैवीय आपदा की स्थिति में सहायता मानकों को पर्वतीय क्षेत्र के अनुकूल बनाने, आइटी एक्ट में साइबर अपराधों की विवेचना का अधिकार एसआइ को देने, एनडीपीएस एक्ट में ड्रग्स की बरामदगी के समय राजपत्रित अधिकारी द्वारा सर्च की अनिवार्यता के प्रविधान में संशोधन संबंधी सुझाव भी दिए।

भंडारण क्षमता विस्तार में मिले सहायता

राज्य के सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में 55 हजार मीट्रिक टन की खाद्यान्न भंडारण क्षमता के विस्तार के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता का आग्रह भी मुख्यमंत्री ने किया। उन्होंने कहा कि हर साल वर्षाकाल और सर्दियों में पहाड़ में तीन माह के खाद्यान्न का अग्रिम भंडारण जरूरी है। इसके लिए राज्य में ढाई लाख मीट्रिक टन भंडारण की जरूरत है, मगर वर्तमान में यह 1.94 लाख मीट्रिक टन ही है।

टीए को मिले कैंपा से वित्त पोषण

मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि राज्य में टेरिटोरियल आर्मी (टीए) की दो इकाइयां पौधारोपण व नमामि गंगे में योगदान दे रही हैं। इनका सदुपयोग भूमि व जल संरक्षण के कार्याें में किया जा सकता है। इसके लिए राज्य के पास कैंपा निधि है, लेकिन टीए को राज्य कैंपा से वित्त पोषण नहीं कर पा रहा। इसके लिए उन्होंने संबंधित नियमों में संशोधन का आग्रह करते हुए कैंपा से वित्त पोषण का अधिकार राज्य को देने का आग्रह किया।

पांच किमी के दायरे में बैंक

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि अब प्रत्येक गांव के पांच किमी के दायरे में बैंक की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी। बैठक में इस बात पर सहमति बनी।


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