श्रीकाशी विश्वनाथ से जुड़ी देवभूमि, शिवालयों से कार्यक्रम का बने हिस्सा; सीएम धामी वाराणसी में रहेंगे मौजूद
Kashi Vishwanath News पीएम मोदी के हाथों सोमवार को वाराणसी में नवविकसित श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह से देश के अन्य हिस्सों की भांति देवभूमि भी जुड़ेगी। इसके लिए भाजपा ने प्रदेशभर में शिवालयों और अन्य मंदिरों में इस समारोह के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Kashi Vishwanath News प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों सोमवार को वाराणसी में नवविकसित श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में होने वाले लोकार्पण समारोह से देश के अन्य हिस्सों की भांति देवभूमि भी जुड़ी। इसके लिए भाजपा ने प्रदेशभर में शिवालयों और अन्य मंदिरों में इस समारोह के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गई थी। कार्यक्रम को 'दिव्य काशी-भव्य काशी' नाम दिया गया।
हरिद्वार में भाजपा कार्यकर्त्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुना। इससे पहले शिवालिक नगर शिव मंदिर में भाजपा के जिला महामंत्री विकास तिवारी और अन्य कार्यकर्त्ताओं ने जलाभिषेक किया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी की ओर से रुड़की के रामनगर और आदर्श नगर स्थित शिव मंदिर में लाइव प्रसारण का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंडल अध्यक्ष अभिषेक चंद्रा, भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश मंत्री चौधरी धीर सिंह, राजन गोयल, सुनील त्यागी, रामगोपाल शर्मा, राखी चंद्रा आदि मौजूद रहे। इस दौरान कार्यकर्त्ताओं ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनको श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच नवंबर को जब केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया था, तब पूरा देश इससे जुड़ा था। अब इसी तरह काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह से देशभर को जोड़ा गया है। उत्तराखंड में भाजपा इसके लिए पिछले कई दिनों से तैयारियों में जुटी थी, जो अब पूरी हो गई हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार के अनुसार प्रदेश में 'दिव्य काशी-भव्य काशी' कार्यक्रम को मंडल स्तर तक जोड़ा गया है।
राज्यभर में पार्टी की सभी 252 मंडल इकाइयों ने अपने-अपने क्षेत्र के शिवालयों अथवा अन्य मंदिरों में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह को देखने-सुनने की व्यवस्था की। कुछ जगह कार्यक्रम के प्रसारण के लिए एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं, जबकि कुछ जगह टीवी सेट लगाए गए। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की मानीटरिंग के लिए प्रांत, जिला व मंडल स्तर पर पहले ही जिम्मेदारियां सौंपी जा चुकी हैं।
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