क्लेमेनटाउन कैंट के उपाध्यक्ष सुनील कुमार ने थामा भाजपा का दामन
छावनी परिषद क्लेमेनटाउन में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले ही सियासी उठापटक शुरू हो गई है। कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष सुनील कुमार ने भाजपा का दामन थाम लिया है।
देहरादून, जेएनएन। छावनी परिषद क्लेमेनटाउन में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले ही सियासी उठापटक शुरू हो गई है। इसी क्रम में कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष सुनील कुमार ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया है। पूर्व काबीना मंत्री दिनेश अग्रवाल के खास माने जाने वाले सुनील कुमार के भाजपा में आने से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है।
परेड मैदान स्थित भाजपा महानगर कार्यालय में कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष सुनील कुमार ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। महानगर अध्यक्ष विनय गोयल ने मोबाइल के जरिये सुनील कुमार को ऑनलाइन सदस्यता दिलाई। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सुनील कुमार के भाजपा में आने से संगठन को और अधिक मजबूती मिलेगी। धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने कैंट सुनील कुमार के भाजपा में शामिल होने पर हर्ष जताया। कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा, प्रदेश सरकार व धर्मपुर विधायक विनोद चमोली द्वारा किए जा रहे कार्यों से मद्देनजर उन्होंने भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया। इस दौरान मंडल अध्यक्ष अनंत सागर, महामंत्री महेश पांडे, सभासद बीना नौटियाल, सभासद तासिम अली, पूर्व उपाध्यक्ष भूपेंद्र कंडारी, मोहन जोशी, श्याम पंत, विनोद रांगड़ा, सीता राम भट्ट, दीपक भट्ट दिनेश जुयाल आदि मौजूद रहे।
बोर्ड में अविश्वास प्रस्ताव लाने की थी तैयारी
छावनी परिषद क्लेमेनटाउन के उपाध्यक्ष सुनील कुमार केभाजपा में शामिल होने से छावनी क्षेत्र में कांग्रेस को झटका लगा है। इस बार क्लेमेनटाउन कैंट में कांग्रेस का बोर्ड बना था। पूर्व काबीना मंत्री दिनेश अग्रवाल ने सुनील कुमार को बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाने के लिए पूरी ताकत लगाई थी। उनका यह प्रयास सफल भी रहा। लेकिन राजनीतिक तर्जुबा कम होने पर भाजपा सभासद उन पर हमेशा ही हावी रहे। यही नहीं सालभर पहले ही बोर्ड बैठक में भाजपा सभासद भूपेंद्र कंडारी व कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष सुनील कुमार में बहस व गालीगलौच भी हुई थी। इस मामले में काफी तूल पकड़ा।
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दोनों की तरफ से पुलिस में भी मामला दर्ज कराया गया था। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के सभासद कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे थे। भाजपा ने भीतरखाने कांग्रेसी खेमे के दो सभासद अपने पक्ष में कर लिए थे। ऐसे में खुद पर दवाब बनता देख कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष ने भाजपा का दामन थामना ही बेहतर समझा।
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