स्वच्छ जल और स्वच्छता हमारा मौलिक अधिकार: स्वामी चिदानंद
जल जागरूकता और स्वच्छ जल का सुरक्षित उपयोग अभियान के तहत विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने रैली निकालकर नागरिकों को स्वच्छ पेयजल के लिए पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने के लिए जागरूक किया।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : 'जल जागरूकता और स्वच्छ जल का सुरक्षित उपयोग' अभियान के तहत विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने रैली निकालकर नागरिकों को स्वच्छ पेयजल के लिए पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने के लिए जागरूक किया।
सोमवार को परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, जीवा की अंतरराष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती व विद्यालयों के प्रधानाचार्यों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जलित कर किया। इस मौके पर जल जीवन मिशन की ओर से ऑनलाइन वेबनॉर का आयोजन भी किया गया। जिसमें ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले, विश्व शौचालय संगठन के संस्थापक जैक सिम आदि ने अपने संबोधन में इसके समाधान भी प्रस्तुत किए।
परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम में ऋषिकेश शहर और आसपास के क्षेत्र के 32 विद्यालय के 260 से अधिक विद्यार्थियों, शिक्षकों और प्राचार्यो ने सहभाग किया। जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ताकि बच्चे जल के महत्व को समझें और घटते स्वच्छ जल के प्रति सचेत रहें। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि स्वच्छ जल और स्वच्छता का अधिकार मौलिक अधिकार है, जिस पर सभी का अधिकार है। स्वच्छ जल तक प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच होनी चाहिए। मगर वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर 2.1 बिलियन नागरिकों को अपने घर पर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, वहीं 2.3 बिलियन नागरिकों के पास बुनियादी स्वच्छता की सुविधा नहीं है। उन्होंने कहा कि जल और स्वच्छता के क्षेत्र में शिक्षकों के नेतृत्व की भूमिका बहुत ही अहम हैं। यदि बच्चों को जल संरक्षण का महत्व सिखा दिया जाए तो आने वाली पीढ़ी स्वत: ही जल के महत्व को समझने लगेगीं हमें केवल एक पीढ़ी को ही जल के महत्व को समझाने की जरूरत है।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि पृथ्वी पर मनुष्य के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल संसाधनों की रक्षा करना नितांत आवश्यक है। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण परंपरागत भारतीय जीवन शैली का अहम हिस्सा रहा है परंतु पिछले के कुछ दशकों में देश में औद्योगिकीकरण और जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण जल संसाधनों का बहुत अधिक दोहन हुआ है। कोविड के दौरान लॉकडाउन के कारण वैश्विक स्तर पर जहां घरेलू उपयोग के लिए जल की मांग बढ़ी वहीं जल संरक्षण की कई योजनाओं में भी रुकावट आई है। इसलिए सभी को जल संरक्षण के लिए अपना योगदान देना होगा जिससे भविष्य में आने वाली जल संकट की चुनौती को कम किया जा सके।