Move to Jagran APP

उत्तराखंड में बन रहे हरियाणा, मध्यप्रदेश जैसे हालात!

उत्तराखंड में कांग्रेस में आने वाले समय में हरियाणा राजस्थान या मध्यप्रदेश में से किस प्रदेश की सियासत को दोहराया जाएगा पार्टी के भीतर इसे लेकर आशंकाएं उठ खड़ी हुई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सेनापति घोषित करने का दांव चलकर हाईकमान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 03:33 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 03:33 PM (IST)
उत्तराखंड में बन रहे हरियाणा, मध्यप्रदेश जैसे हालात!
पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस में आने वाले समय में हरियाणा, राजस्थान या मध्यप्रदेश में से किस प्रदेश की सियासत को दोहराया जाएगा, पार्टी के भीतर इसे लेकर आशंकाएं उठ खड़ी हुई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने अगले विधानसभा चुनाव से करीब सालभर पहले चुनावी रण का सेनापति घोषित करने का दांव चलकर हाईकमान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसका असर सबको साथ लेकर आगे बढ़ने की पार्टी की रणनीति पर भी पड़ सकता है।

loksabha election banner

2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव की कांग्रेस और हरीश रावत, दोनों के लिए खास अहमियत है। रावत अभी उम्र के जिस पड़ाव पर हैं, वह नेतृत्वकारी सियासी पारी के उनके विकल्प को सीमित कर रही है। यह दीगर बात है कि चाहे सक्रियता का मामला हो या आम जनता से जुडऩे और संवाद कायम करने की कला, रावत के इर्द-गिर्द उत्तराखंड में कांग्रेस का कोई और नेता नजर नहीं आता। बावजूद इसके पिछले विधानसभा चुनाव में उन पर दांव खेल चुका कांग्रेस अब सामूहिक नेतृत्व के पक्ष में दिखाई दे रहा है।

राज्य के चुनाव को पार्टी जिस गंभीरता से ले रही है, उसके पीछे खास मंशा साफ दिख रही है। राज्य की सियासत में अपनी मजबूत पैठ कायम रखने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने का पार्टी हाईकमान का खास मकसद भी दिखाई दे रहा है। मोदी उत्तराखंड के प्रति खास लगाव जाहिर करते रहे हैं। पार्टी की रणनीति प्रदेश की सत्ता में वापसी कर पूरे देश को संदेश देने की है, ताकि अन्य राज्यों में भी संभावित मोदी लहर की काट के तौर पर इसे पेश किया जा सके।

हरीश रावत ने सामूहिक नेतृत्व की पार्टी की योजना को झटका जरूर दे दिया है। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सभी पार्टी नेताओं को एकजुट कर आगामी चुनाव के मोर्चे को फतह करने के पक्ष में रहा है। इसे हाईकमान का ही संकेत माना गया कि जिस राह पर पहले पुराने प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह चले थे, कमोबेश उसी तर्ज पर देवेंद्र यादव आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। पूर्व प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह के साथ भी हरीश रावत की पटरी नहीं बैठी थी। नए प्रभारी के साथ भी अभी तक यही स्थिति देखने को मिल रही है। अब पार्टी हाईकमान और हरीश रावत में कौन निर्णायक साबित होगा, यह आने वाले वक्त में ही पता चल सकेगा। अलबत्ता उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए हालात चुनाव से पहले ही उत्तर और पश्चिम भारत के राज्यों सरीखे बन गए हैं।

यह भी पढ़ें -अगली चुनावी जंग में किसी एक को सेनापति बनाने के पक्ष में नहीं कांग्रेस हाईकमान


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.