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चीन सीमा से सटी इन तीन सड़कों के लिए दी जाएगी वन भूमि, जानिए

चीन की सीमा से सटी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तीन सड़कों के लिए वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्तावों को राज्य वन्यजीव बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है।

By Edited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 07:53 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 02:12 PM (IST)
चीन सीमा से सटी इन तीन सड़कों के लिए दी जाएगी वन भूमि, जानिए
चीन सीमा से सटी इन तीन सड़कों के लिए दी जाएगी वन भूमि, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। चीन की सीमा से सटी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तीन सड़कों के लिए वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्तावों को राज्य वन्यजीव बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता और वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की मौजूदगी में सोमवार को हुई बोर्ड की बैठक में इन प्रस्तावों को अनुमोदित कर दिया गया। अब इन्हें अनुमति को नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजा जाएगा। इसके अलावा उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग 72-ए (छुटमलपुर-बिहारीगढ़- देहरादून) के तहत डॉटकाली से आशारोड़ी तक फोर लेन सड़क के प्रस्ताव को भी बोर्ड ने मंजूरी दे दी। 

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गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत चीन सीमा से सटी तीन सड़कों सुमला-थांगला (11.85 किमी), त्रिपाणी-रंगमंचगाड (6.21 किमी) और मंडी-सांगचोक्ला (17.60 किमी) के लिए वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में रखे गए। बताया गया कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन मार्गों का निर्माण राष्ट्रहित में किया जाना है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के लिए तैयार होने वाली इन सड़कों के निर्माण को कार्यदायी एजेंसियां भी तय की जा चुकी हैं। 
वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. रावत के अनुसार बोर्ड ने इन तीनों सड़कों के लिए वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्तावों को अनुमोदित कर दिया। इनके लिए 73.368 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित होनी है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त राज्य की अन्य सड़कों, उपखनिज चुगान से जुड़े 16 प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई। डॉ.रावत ने बताया कि उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग 72-ए पर उप्र के हिस्से में मोहंड से डाटकाली तक एलीवेटेड रोड बननी है। 
इससे आगे राजाजी नेशनल पार्क से लगे क्षेत्र में डाटकाली से आशारोड़ी तक फोर लेन सड़क बननी है। उन्होंने बताया कि डॉटकाली से आशारोड़ी तक चार किमी की इस फोर लेन सड़क के लिए वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस को बोर्ड ने मंजूरी दे दी। नियमानुसार सौ किमी से कम की सड़क को पर्यावरणीय स्वीकृति की जरूरत नहीं है। अब जल्द ही इस सड़क का निर्माण होगा और राज्य का वन्यजीव विभाग वहां वन्यजीव प्रबंधन और न्यूनीकरण के उपाय करेगा।

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