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खाने-पीने के शौकीनों का मन छछिंडा के लिए ललचाए

कभी पहाड़ी खानपान में छछिंडा खास व्यंजन हुआ करता था। घर में जिस दिन ताजा छाछ बनती थी उस दिन चटखारेदार खाने-पीने के शौकीन लोगों की जीभ छछिंडा खाने को मचली उठती थी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 08:09 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 08:09 PM (IST)
खाने-पीने के शौकीनों का मन  छछिंडा के लिए ललचाए
खाने-पीने के शौकीनों का मन छछिंडा के लिए ललचाए

देहरादून, जेएनएन। कभी पहाड़ी खानपान में छछिंडा (छंचेरा) खास व्यंजन हुआ करता था। घर में जिस दिन ताजा छाछ (मट्ठा) बनती थी, उस दिन चटखारेदार खाने-पीने के शौकीन लोगों की जीभ छछिंडा खाने को मचली उठती थी। अब तो अंतराल के गांवों के चुनिंदा घरों में ही छछिंडा पकाया जाता है। कुमाऊं अंचल में इसे छसिया कहा जाता है। ...तो आइए! हम भी छछिंडा का जायका लें। 

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छछिंडा बनाने के लिए पहले डेगची या पतीली में पानी उबाल लें। फिर निर्धारित मात्रा में साफ किया हुआ झंगोरा अच्छी तरह धोकर खौलते पानी में डालें। साथ ही कौंचा या करछी को तेज गति से घुमाएं, क्योंकि झंगोरा बर्तन की तली में बहुत तेजी से चिपकता है। सो, करछी चलाने में लापरवाही बिल्कुल न करें। आंच न ज्यादा तेज हो, न बिल्कुल कम। इतनी कि उबाल रुके नहीं। 

जब झंगोरा अधपका हो जाए और पानी कम होने लगे तो उसमें झंगोरा की मात्रा से दोगुना या अधिक छाछ डाल दें। साथ में लहसुन, नमक, मिर्च व हलके मसाले डालकर अच्छी तरह हिलाते रहें। आंच थोड़ी कम कर सकते हैं। छछिंडा थिरकने लगे तो समझिए पककर तैयार है। बस, अब एक-दो मिनट के लिए बर्तन को ढक लें और फिर आंच बंद कर दें। इसके बाद बर्तन चूल्हे से उतारकर थोड़ा-सा इंतजार कीजिए और फिर लीजिए स्वादिष्ट एवं पौष्टिक छछिंडा का जायका।

अपनी पुस्तक 'उत्तराखंड में खानपान की संस्कृति' में विजय जड़धारी लिखते हैं, आप चाहें तो चावल का छछिंडा भी बना सकते हैं। यह भी वैसे ही बनता है, जैसे कि झंगोरे का छछिंडा। खास बात यह कि छछिंडा छाछ ही नहीं, दही के साथ भी बनाया जा सकता है। लेकिन, दही में पानी मथने के बाद ही उसे छछिंडा बनाने के उपयोग में लाएं।

फ्राय या भुड़का झंगोरा

आपने झंगोरा बनाया और उसमें से कुछ हिस्सा बच गया तो उसे फेंके नहीं, बल्कि साफ-सुथरे बर्तन में फ्रिज या हवादार स्थान पर रख दें। दोबारा भूख लगने पर इसे बासी खाने के बजाय फ्राय करके खाया जाए तो मजा आ जाएगा। इसके लिए बासी झंगोरे को बारीक चूरकर उसमें जरूरत के हिसाब से नमक, हल्दी, मिर्च और धनिया पाउडर मिला लें। अब लोहे की कढ़ाई को गर्म कर उसमें घी या शुद्ध सरसों का तेल डालें। फिर जख्या, फरण व राई-सरसों में से कोई भी तड़का लगाकर झंगोरे के चूरे को उसमें छौंक लें।

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हां, तड़का के लिए जख्या, फरण, राई या सरसों की मात्रा सामान्य से अधिक हो। कौंचे या पलटा से झंगोरे को अच्छी तरह मिलाएं या कढ़ाई को दोनों हाथों से पकड़कर हिलाते हुए पलटें। हल्के पानी के छींटे भी मार सकते हैं। अब इसे थोड़ी देर ढक्कन रखकर हल्की भाप दें। फिर पलटें, ताकि कढ़ाई की तली में ज्यादा न लगे। तैयार है भुड़का झंगोरा। हालांकि, कढ़ाई में चिपकी झंगोरे की परत खाने में और भी मजेदार और कुरकुरी लगती है। इसके साथ साग या दाल की भी जरूरत नहीं पड़ती। बस! थोड़ी दही या छाछ डाल लीजिए, मन प्रसन्न हो जाएगा।

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