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परिवहन की फर्जी वेबसाइट पर प्रमुख सचिव के बेटे से हुई ठगी

साइबर ठगों ने परिवहन विभाग की फर्जी वेबसाइट बनाकर प्रमुख सचिव वन एवं शिक्षा आनंद बर्धन के बेटे से ठगी कर ली। ठगी ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन को लेकर की गई। सचिवालय से इसकी सूचना आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई को दी गई तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 10:57 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 10:57 PM (IST)
परिवहन की फर्जी वेबसाइट पर प्रमुख सचिव के बेटे से हुई ठगी
ठगों ने परिवहन विभाग की फर्जी वेबसाइट बनाकर प्रमुख सचिव वन एवं शिक्षा आनंद बर्धन के बेटे से ठगी की।

जागरण संवाददाता, देहरादून: साइबर ठगों ने परिवहन विभाग की फर्जी वेबसाइट बनाकर प्रमुख सचिव वन एवं शिक्षा आनंद बर्धन के बेटे से ठगी कर ली। ठगी ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन को लेकर की गई। सचिवालय से इसकी सूचना आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई को दी गई तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया। फौरी जांच कराई गई तो पता चला कि परिवहन विभाग की फर्जी साइट भी चल रही है, जिस पर लाइसेंस ही नहीं बल्कि परिवहन विभाग से जुड़े समस्त कार्यों के लिए आवेदन और भुगतान किया जा रहा है। इसपर आरटीओ ने एआरटीओ प्रशासन द्वारिका प्रसाद को तत्काल एफआइआर दर्ज कराने के आदेश दिए। एआरटीओ ने पुलिस को तहरीर दी है। 

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इस मामले की जानकारी सचिवालय में निजी सचिव गोविंद सिंह ने मंगलवार को आरटीओ को दी। उन्होंने बताया कि बीती 20 नवंबर को प्रमुख सचिव आनंद बर्धन के बेटे अनिश्व बर्धन का ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। इसके लिए उन्होंने फोन-पे के माध्यम से साइट पर दिया क्यूआर कोड स्कैन कर 1375 रुपये जमा किए। वेबसाइट पर आवेदक के जरूरी दस्तावेजों समेत आधार कार्ड भी अपलोड किया गया था, लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस की परीक्षा के लिए उन्हें कोई सूचना नहीं मिली।

इस पर उन्होंने परिवहन विभाग के कार्यालय में संपर्क किया तो पता चला कि विभाग में उनकी फीस जमा ही नहीं हुई। उनके स्तर पर फौरी जांच में वह वेबसाइट फर्जी प्रतीत हुई, जिस पर आवेदन किया गया था। यह आशंका भी जताई गई कि इस तरह हजारों आवेदकों के साथ ठगी की जा चुकी होगी। निजी सचिव ने आरटीओ को भेजे गए पत्र में फर्जी वेबसाइट चलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का अनुरोध किया।  

न जाने कितने हो चुके होंगे शिकार

इन दिनों लाइसेंस की परीक्षा के लिए सीमित आवेदक बुलाए जा रहे हैं। इस वजह से परीक्षा देने वालों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। परीक्षा के लिए चार से पांच माह बाद का समय मिल रहा है। ऐसे में कई आवेदक तो संभवत: यही सोचकर शांत बैठे होंगे कि परीक्षा के लिए सूचना काफी दिन बाद आएगी। अब जांच शुरू होगी तो माना जा रहा कि इस वेबसाइट पर बड़ी संख्या में ठगी के शिकार हुए आवेदक सामने आ सकते हैं।

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