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नए कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं के लिए चैंबर है मुख्य मुद्दा Dehradun News

बार एसोसिएशन चुनाव के लिए मतदान का काउंटडाउन शुरू हो गया है। इसके साथ ही सभी प्रत्याशी अधिवक्ताओं को अपने पक्ष में मतदान के लिए लुभाने में जुट गए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 04:52 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 04:52 PM (IST)
नए कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं के लिए चैंबर है मुख्य मुद्दा Dehradun News
नए कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं के लिए चैंबर है मुख्य मुद्दा Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। नामांकन और नाम वापसी की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद बार एसोसिएशन चुनाव के लिए मतदान का काउंटडाउन शुरू हो गया है। इसके साथ ही सभी प्रत्याशी अधिवक्ताओं को अपने पक्ष में मतदान के लिए लुभाने में जुट गए हैं। इस बार भी चुनाव का प्रमुख मुद्दा कोर्ट में सभी अधिवक्ताओं को चैंबर उपलब्ध कराने के साथ उनकी समस्याओं का समाधान करना है। सभी प्रत्याशियों ने अपने घोषणा पत्र में इन मुद्दों को प्रमुखता से हल कराने की कोशिश करने का वादा किया है। मतदान 27 फरवरी को होगा। 

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इस दफा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद के लिए चार उम्मीदवारों में टक्कर होगी। इनमें एक उम्मीदवार निवर्तमान अध्यक्ष खुद हैं। इसके अलावा बाकी के तीन प्रत्याशी पहली बार अध्यक्ष पद के लिए चुनावी रण में कूदे हैं। आइये जानते हैं कि इस बार के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए खम ठोक रहे प्रत्याशियों की प्राथमिकताएं क्या हैं? वह किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं और साथी अधिवक्ताओं से उन्होंने क्या वायदे किए हैं। 

वरिष्ठ अधिवक्ता मनमोहन कंडवाल: बार एसोसिशन के निवर्तमान अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कार्यकाल में सभी अधिवक्ताओं को चैंबर वितरित करना और किसी अधिवक्ता की मृत्यु पर उसके स्वजनों को तीन लाख आर्थिक सहायता देना, उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। कहा कि इस बार चुनाव में जीत हासिल हुई तो अधिवक्ता की मृत्यु पर आर्थिक सहायता राशि बढ़ाकर 10 लाख करवाई जाएगी। इसके अलावा नए अधिवक्ताओं के लिए स्टाइपेंड, अन्य राज्यों की तर्ज पर प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की घोषणा के अनुसार एक करोड़ रुपये अधिवक्ता कल्याण कोष में लाने और नई कोर्ट बिल्डिंग में सभी अधिवक्ताओं को चैंबर के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी। 

वरिष्ठ अधिवक्ता रंजन सोलंकी: पूर्व में बार काउंसिल के सदस्य रह चुके हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि देहरादून में हाईकोर्ट की बेंच शुरू करने के लिए पिछले 40 वर्ष से आंदोलन चल रहा था, जोकि इस समय ठंडा पड़ा है। अगर चुनाव जीतता हूं तो पहली प्राथमिकता यही रहेगी कि आंदोलन दोबारा शुरू किया जाए। साथ ही उनका मानना है कि हरिद्वार रोड स्थित पुरानी जेल की भूमि पर निर्माणाधीन कोर्ट परिसर में सभी अधिवक्ताओं के लिए चैंबर बनाए जाने चाहिए। चुनाव जीतने के बाद उनकी प्राथमिकता होगी कि एक साल के भीतर सभी अधिवक्ताओं के लिए चैंबर बनवा दिए जाएं। साथी अधिवक्ता की मृत्यु पर बार एसोसिएशन वेलफेयर फंड से अभी दो लाख रुपये दिए जाते हैं, जिसे बढ़ाकर पांच लाख किया जाएगा। नए अधिवक्ताओं के लिए स्टाइपेंड की सुविधा शुरू की जाएगी। 

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वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव शर्मा: दो बार उपाध्यक्ष और चार बार सचिव रह चुके हैं। राजीव शर्मा कहते हैं कि यहां पर वकालत के हिसाब से माहौल अनुकूल नहीं है। वाहन पार्क होने के कारण पैदल चलने तक के लिए जगह नहीं बचती। इसलिए निर्माणाधीन कोर्ट के निकट खाली जमीन पर चैंबरों का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया जाएगा। दून में हाईकोर्ट की बेंच के लिए आंदोलन दोबारा शुरू किया जाएगा। साथी अधिवक्ता की मृत्यु पर सामूहिक तौर पर शोक सभा होती थी, फिलहाल यह व्यवस्था नहीं है। यह व्यवस्था दोबारा शुरू की जाएगी और मध्य प्रदेश की तर्ज पर अधिवक्ता सुरक्षा एक्ट लागू करने के लिए लड़ाई लड़ेंगे। 

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वरिष्ठ अधिवक्ता रघुबीर सिंह कठैत: पूर्व में दो बार सहसचिव, दो बार सचिव और दो बार उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि यदि चुनाव में जीत हासिल होती है तो पहला प्रयास कोर्ट की नई बिल्डिंग में चैंबर बनाने का रहेगा, ताकि अधिवक्ताओं को किसी तरह की परेशान न हो। इसके अलावा सभी अधिवक्ताओं का ग्रुप इंश्योरेंस करवाया जाएगा। नये अधिवक्ता आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण कुछ समय में वकालत छोड़ देते हैं। उनके लिए स्टाइपेंड की व्यवस्था करेंगे। साथी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर पहले शोक सभा होती थी, जोकि वर्तमान में बंद कर दी गई है। यह व्यवस्था दोबारा शुरू करवाई जाएगी। 

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