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चैत्र नवरात्र के छठे दिन श्रद्धालुओं ने घर पर की मां कात्यायनी की पूजा

चैत्र नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जा रही। आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने बताया कि कात्यायनी दुर्गा मां का छठा अवतार हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि मां कात्यायनी कात्यायन ऋषि की पुत्री थीं। इसी के चलते इनका नाम कात्यायनी पड़ा।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 02:41 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 10:18 PM (IST)
चैत्र नवरात्र के छठे दिन श्रद्धालुओं ने घर पर की मां कात्यायनी की पूजा
चैत्र नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की हो रही पूजा।

जागरण संवाददाता, देहरादून : नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा की गई। कफ्र्यू के बीच मंदिरों में बहुत कम लोग पहुंचे। ज्यादातर श्रद्धालुओं ने घरों में ही मां की पूजा कर आशीर्वाद लिया। 

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रविवार सुबह से ही मां कात्यायनी की पूजन की तैयारी मंदिर परिसर और घरों में होने लगी थी। पंडित विनोद झा ने बताया कि मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की उपासना करने वाले को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी ने कात्य गोत्र के महॢष कात्यायन के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया, इसीलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। इनका रंग स्वर्ण की भांति चमकीला है और इनकी चार भुजाएं हैं। प्राचीन टपकेश्वर महादेव मंदिर के महंत कृष्णा गिरी महाराज ने बताया कि सुबह मंदिर में मां दुुुर्गा के छठे स्वरूप कत्यायनी की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। वहीं, आराघर चौक स्थित श्री लक्ष्मी नारायण पंचमुखी सिंदूरीय हनुमान मंदिर में भी सन्नाटा रहा। सुबह मंदिर के पुजारी ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने अपने शिष्यों के साथ मिलकर पूजा अर्चना कर विश्व शांति की कामना की। 

माता-पिता की सेवा से घर में विराजमान होते हैं भगवान

देेहरादून : कालिका मार्ग स्थित मां कालिका के मंदिर के 68वें वाॢषक ध्वजारोहण महोत्सव के दूसरे दिन शक्ति महासम्मेलन हुआ। गुरमीत सिंह व उनके रागी जत्थे ने शबद-कीतर्न गायन कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि माता-पिता की सेवा करना दुनिया का सबसे बड़ा धर्म और श्रद्धा है। 

इससे पहले 27 ब्राह्मणों ने मंदिर में मां दुर्गा सप्तशती का पाठ व जाप किया। मंदिर के पुजारी चंद्र प्रकाश ममगाईं ने पूजा कर विश्व शांति की कामना की। महासम्मेलन में स्वामी हरि ओम काका महाराज, स्वामी सर्वेश बापू महाराज, स्वामी शुक्रदेवाचार्य महाराज ने कहा कि प्रभु सागर हैं और हम उनके हंस हैं। ऐसी भावना सत्संग सुनने से मिलती है। इस अवसर पर समिति के ट्रस्टी जय किशन कक्कर, दीपक बिस्ट, उमेश मिनोचा, प्रेम आनंद, साहिल आहूजा, मुरली, प्रदुमन मैनी, अनिरुद्ध गुप्ता, नीरज जिंदल, प्रेम बजाज, सतीश मेहता, सिद्धार्थ आनंद, उमेश मारवाह, स्वर्ण कालरा, अभिषेक वाधवा, संजय आनंद आदि मौजूद रहे।

शांतिकुंज में लगी पंचगव्य औषधि, गोकृष अन्न व मसालों की प्रदर्शनी

श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा व गोसेवा आयोग की ओर से शांतिकुंज क्षेत्र के गोकृपा नगर में गोगंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जहां पंचगव्य औषधि, गोकृष अन्न व मसालों की प्रदर्शनी लगाई गई है। शनिवार को उत्तराखंड गोसेवा आयोग के उपाध्यक्ष पंडित राजेंद्र अण्थ्वाल ने पंचगव्य प्रदर्शनी का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि गोधाम पथमेड़ा की वाणिज्य इकाई वैदिक गो उत्पाद फाउंडेशन की ओर से निर्मित वेदलक्षणा पंचगव्य औषधियां, गोकृष अन्न व मसालों का आहार में उपयोग स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। 

इस दौरान डॉ. श्याम सिंह राजपुरोहित ने कहा कि गोमूत्र, घी, दही से बने पंचगव्य औषधियों से विभिन्न रोगों का उपचार होता है। उन्होंने गोमय-गोमूत्र की खाद से तैयार गेहूं, चावल, चना आदि गोकृष अन्न व हल्दी, जीरा, धनिया, सोंठ आदि मसालों की प्रदर्शनी आमजन को शुद्ध सात्विक आहार के लिए प्रेरित कर रही है।

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