सुनिए वित्त मंत्री जी, उत्तराखंड के छोटे व्यापारों को संजीवनी देने वाला हो आगामी बजट
आगामी बजट केंद्र सरकार को छोटे व्यापारियों को ध्यान में रखकर तैयार करना चाहिए। इन व्यापारियों को व्यवसाय के लिए कम दरों पर लोन उपलब्ध होना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा पैसा छोटे व्यापारियों और छोटे बाजार तक पहुंचे।
जागरण संवाददाता, देहरादून। वर्तमान समय में छोटे व्यापारियों का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। दून के अधिवक्ताओं का मानना है कि नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना ने छोटे व्यापारियों को काफी नुकसान पहुंचाया है। टैक्स बार से जुड़े अधिवक्ताओं का कहना है कि कोरोना महामारी सरकार के हाथ में नहीं थी, लेकिन जीएसटी एक ऐसी चीज है, जिसमें सुधार कर छोटे व्यापारियों को राहत दी जा सकती है। आगामी बजट केंद्र सरकार को छोटे व्यापारियों को ध्यान में रखकर तैयार करना चाहिए। इन व्यापारियों को व्यवसाय के लिए कम दरों पर लोन उपलब्ध होना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा पैसा छोटे व्यापारियों और छोटे बाजार तक पहुंचे। ऐसा करने से ही अर्थ व्यवस्था को भी बल मिल सकेगा।
टैक्स एडवोकेट अनुज भट्ट कहते हैं कि आगामी बजट में छोटे व्यापारियों का ख्याल रखा जाना जरूरी है। सबसे पहले जीएसटी को सरल बनाया जाना चाहिए। देश के नागरिकों से कर लिया जाना गलत नहीं है, लेकिन सरकार को चाहिए कि केवल जायज कर ही वसूले। छोटे व्यापारी इतने सक्षम नहीं कि जीएसटी जैसे जटिल कर के बीच अपना व्यापार चला सकें। आज लाखों कारोबार बंद होने का कारण यह ज्यादा टैक्स ही है। वित्त मंत्रालय को चाहिए कि इन सभी समस्याओं पर गंभीरता से विचार करे।
देवभूमि टैक्स बार एसोसिएशन के महासचिव दीपक रावत ने कहा, जीएसटी को लेकर अब भी कई समस्याएं बरकरार हैं। दो महीने तक अगर कोई व्यापारी किसी व्यवहारिक कारण से जीएसटी फाइल नहीं कर पाता, तो व्यापारी का पंजीकरण ही निरस्त हो जाता है। इसके अलावा लेट फीस के साथ रिटर्न फाइल भी बहुत भारी पड़ जाता है। जिस व्यापारी की कोई बिक्री नहीं है उसे भी हर दिन 20 रुपये के हिसाब से लेट फीस चुकानी होती है। इन सभी नियमों में बदलाव की जरूरत है। आगामी बजट से यही उम्मीद है कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए छोटे व्यापारियों को सहूलियत दी जाएगी।
वहीं, टैक्स एडवोकेट सुनील ध्यानी का कहना है कि व्यापार की व्यवहारिकता का ध्यान रखा जाना जरूरी है। आगामी बजट से भी यही उम्मीद है कि केवल बड़े व्यापारियों नहीं बल्कि छोटे बाजार और व्यापारियों को होने वाली समस्याओं की व्यवहारिकता को समझा जाए। इन सब चीजों को समझने के बाद छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने वाला बजट जारी हो। इस सब के अलावा ऋण वितरण और बैंकिंग की जटिलताओं को भी सरल किए जाने की जरूरत है।
देवभूमि टैक्स बार एसोसिएशन के सदस्य विमल गर्ग कहते हैं, अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकार को अपनी टैक्स कलेक्शन की नीतियों को बदलने की जरूरत है। सरकार टैक्स कलेक्शन के पीछे पड़ी रही तो टर्न ओवर नहीं बढ़ा पाएगी। टर्न ओवर नहीं बढ़ा तो देश की अर्थव्यवस्था नहीं सुधर पाएगी। आगामी बजट में टैक्स कलेक्शन की नीतियों में सुधार की उम्मीद है।
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