एयरपोर्ट विस्तारीकरण: 10 हजार पेड़ के कटान से बचे सरकार
जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण को घने वन क्षेत्र में पेड़ों के कटान के विरोध के बीच केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भी राज्य सरकार को नसीहतभरा पत्र जारी किया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण को घने वन क्षेत्र में पेड़ों के कटान के विरोध के बीच केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भी राज्य सरकार को नसीहतभरा पत्र जारी किया है। सहायक महानिरीक्षक वन की तरफ से उत्तराखंड शासन के अपर सचिव को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि राज्य को एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए उत्तरी क्षेत्र की भूमि में स्थान तलाशना चाहिए। पेड़ों के कटान के विरोध में लंबे समय से आंदोलन कर रहे युवाओं के संगठन मैड ने केंद्र के इस सुझाव का स्वागत किया है।
केंद्र सरकार की ओर से पत्र में कहा गया है कि एयरपोर्ट के रनवे और नदी के बीच के भाग का वन क्षेत्र मध्यम सघन है। इसी भाग पर कुल प्रस्तावित 87.01 हेक्टेयर भूमि में से 47 हेक्टयर में पेड़ों का कटान किया जाना है। यहां वन्यजीवों की आवाजाही रहती है। कांसरो-बड़कोट एलीफैंट कॉरीडोर यहां से महज पांच किलोमीटर के दायरे में है। राजाजी राष्ट्रीय पार्क/टाइगर रिजर्व भी यहां से 10 किलोमीटर के दायरे में है। ऐसे में एयरपोर्ट के इस भाग का विस्तारीकरण किए जाने से वन्य जीवन प्रभावित होने का खतरा है। लिहाजा, सरकार को इस तरह की किसी भी कार्रवाई से बचना चाहिए।
उधर, मैड के सदस्यों ने कहा कि केंद्र सरकार को उत्तराखंड के वन्य जीवन की फिक्र है, जबकि राज्य सरकार तमाम नियमों की अनदेखी कर एयरपोर्ट के मनमाफिक विस्तारीकरण पर तुली है। सरकार के पास क्षतिपूरक वनीकरण के लिए भी ठोस रैडमैप नहीं है। इस मामले में अपर मुख्य सचिव (वन) आनंद बर्धन का कहना है कि अभी उन्हें पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। यह भी संभव है कि पत्र संबंधित अधिकारियों को प्राप्त हो गया हो। इस बारे में पता किया जाएगा और केंद्र के सुझाव के अनुरूप व वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।