मुख्य आयकर आयुक्त का दायरा बढ़ा, विंग के बढ़े अधिकार; जानिए क्यों बदली गई कार्यप्रणाली
केंद्र सरकार ने फेसलेस असेसमेंट की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इसके साथ ही आयकर विभाग में बड़े स्तर पर व्यवस्थागत बदलाव भी कर दिए गए हैं। अब मुख्य आयकर आयुक्त सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं हैं।
देहरादून, सुमन सेमवाल। आयकर अधिकारी और करदाता आपस में न मिल पाएं, इसके लिए केंद्र सरकार ने फेसलेस असेसमेंट की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इसके साथ ही आयकर विभाग में बड़े स्तर पर व्यवस्थागत बदलाव भी कर दिए गए हैं। अब मुख्य आयकर आयुक्त सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब उनका दायरा असेसमेंट प्रमुख के रूप में उत्तर प्रदेश (पश्चिम) तक बढ़ गया है। नई व्यवस्था के तहत सहायक आयुक्त स्तर तक के अधिकारियों की जिम्मेदारी असेसमेंट अधिकारियों के रूप में तय कर दी गई है और जल्द आयकर अधिकारियों की भी तैनाती कर दी जाएगी।
आयकर विभाग के ये अधिकारी अब पहले की तरह आयकर सर्वे नहीं करेंगे। इस काम को आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन विंग को सौंप दिया गया है। अब तक यह विंग सिर्फ छापे की कार्रवाई करती थी। गढ़वाल मंडल में आयकर विभाग में किए गए बदलाव की बात करें तो हरिद्वार और ऋषिकेश के कार्यालय यथावत रहेंगे, मगर उनकी कार्यप्रणाली रीजनल ई-असेसमेंट सेंटर के रूप में रहेगी।
अधिकतर कार्मिक असेसमेंट का काम देखेंगे। सिर्फ कुछ आयकर अधिकारी शेष काम के लिए तैनात रहेंगे। इनमें दो अधिकारी देहरादून, दो हरिद्वार और एक-एक अधिकारी रुड़की, ऋषिकेश, चंबा, श्रीनगर और कोटद्वार में तैनात रहेंगे। बताया जा रहा है कि फेसलेस असेसमेंट के तहत की गई नई व्यवस्था ट्रायल के लिए एक साल चलेगी। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो आगे भी इसे जारी रखा जाएगा।
कुमाऊं अब दून का हिस्सा नहीं, राजस्व पर पड़ेगा असर
उत्तराखंड आयकर विभाग अभी तक गढ़वाल और कुमाऊं में बंटा था। कुमाऊं में प्रधान आयकर आयुक्त वहां के प्रमुख के रूप में काम करते थे। अब कुमाऊं मंडल पृथक यूनिट के रूप में लखनऊ से अटैच हो गया है। देहरादून का प्रशासनिक नियंत्रण अब कुमाऊं यूनिट पर से समाप्त हो गया है। वहीं, देहरादून यानी गढ़वाल मंडल पहले की तरह कानपुर से जुड़ा रहेगा। अब कुमाऊं क्षेत्र से मिलने वाले राजस्व की गणना भी देहरादून कार्यालय के राजस्व के साथ नहीं जुड़ेगी।
अधिकारियों को मिलेंगे दूसरे राज्यों के केस
फेसलेस असेसमेंट के तहत अब राज्य स्तर पर करदाताओं को नोटिस नहीं जारी किए जाएंगे। यह काम अब नेशनल ई-असेसमेंट सेंटर (दिल्ली) करेगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आधार पर सॉफ्टवेयर ही नोटिस के लिए केस का चयन करेगा। फिर यहां से सभी अधिकारियों को केस आवंटित किए जाएंगे। हालांकि, अधिकारियों को दूसरे राज्यों के केस दिए जाएंगे। जिस करदाता को नोटिस जारी होगा, वह यह नहीं जान पाएगा कि उसका प्रकरण कौन और किस राज्य का अधिकारी देख रहा है। अंतिम आदेश के साथ ही यह जानकारी बाहर निकल पाएगी।