Move to Jagran APP

आम बजट : ग्रीन बोनस की मांग उठा रहे उत्तराखंड का इंतजार और बढ़ा

हर साल लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की पर्यावरणीय सेवाएं देने के एवज में ग्रीन बोनस की मांग उठा रहे उत्तराखंड का इंतजार और बढ़ गया है। उम्मीद जताई जा रही थी कि आम बजट में केंद्र सरकार इसका प्रविधान करेगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 02 Feb 2021 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2021 06:30 AM (IST)
आम बजट : ग्रीन बोनस की मांग उठा रहे उत्तराखंड का इंतजार और बढ़ा
पर्यावरणीय सेवाएं देने के एवज में ग्रीन बोनस की मांग उठा रहे उत्तराखंड का इंतजार और बढ़ गया है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। हर साल लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की पर्यावरणीय सेवाएं देने के एवज में ग्रीन बोनस की मांग उठा रहे उत्तराखंड का इंतजार और बढ़ गया है। उम्मीद जताई जा रही थी कि आम बजट में केंद्र सरकार इसका प्रविधान करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। जाहिर है कि अब उत्तराखंड को अपना पक्ष और अधिक मजबूती के साथ केंद्र के समक्ष रखना होगा।

loksabha election banner

यह किसी से छिपा नहीं है कि विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाला उत्तराखंड तमाम दुश्वारियां झेलकर पर्यावरण संरक्षण में जुटा है। अकेले वनों की ही बात करें तो इनसे 98 हजार करोड़ की पर्यावरणीय सेवाएं देश को मिल रही हैं। वह भी तब जबकि वन कानून, विकास के आड़े आ रहे हैं। आलम ये है कि गांवों तक पेयजल लाइन ले जाने के लिए भी वन भूमि हस्तांतरण को ऐडिय़ां रगडऩी पड़ रही हैं। ऐसा ही हाल अन्य योजनाओं का भी है। उस पर वन्यजीवों का खतरा चौबीसों घंटे बना हुआ है। इस सबके मद्देनजर उत्तराखंड की ओर से क्षतिपूर्ति के एवज में ग्रीन बोनस की मांग उठाई जा रही है। 15 वें वित्त आयोग के समक्ष भी राज्य सरकार ने यह मसला प्रमुखता से रखा था। आयोग से मिले सकारात्मक संकेतों से इस मर्तबा ग्रीन बोनस की साध पूरी होने की उम्मीद जताई जा रही थी।

-पद्मभूषण डा.अनिल प्रकाश जोशी (संस्थापक हेस्को) ने कहा कि पर्यावरण की शुद्धता को प्रभावी कदम उठाने की दरकार है। आम बजट में शहरों की हवा को लेकर कुछ बात जरूर हुई है, मगर नदियों, वनों के साथ ही उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों की चिंता नजर नहीं आ रही।

-पर्यावरणविद् सच्चिदानंद भारती ने कहा कि उत्तराखंड के निवासी तमाम दिक्कतें झेलकर पर्यावरण संरक्षण में जुटे हैं। देशभर को पर्यावरणीय सेवाएं देने के एवज में राज्य को ग्रीन बोनस मिलना ही चाहिए। इसका स्वरूप स्वरोजगारपरक योजनाओं के साथ जोड़कर तय होना चाहिए। केंद्र सरकार को इस मामले में उत्तराखंड को राहत देनी चाहिए।

यह भी पढ़ें-उत्तराखंड को हर साल मिलेंगे 17969 करोड़ रुपये


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.