जोशीमठ के किमाणा और साहिया के टिपराड़ गांव में जश्न का माहौल, पथरीली डगर पर सफर से मिली आजादी
जोशीमठ के किमाणा और साहिया (देहरादून) के टिपराड़ गांव में इन दिनों जश्न का माहौल है। वजह यह कि आजादी के 75वें साल में ही सही दोनों गांवों को पथरीली डगर पर सफर से आजाद मिल गई है। चंद रोज पहले मोटर मार्ग का निर्माण पूरा कर लिया गया।
विजय मिश्रा, देहरादून: जोशीमठ के किमाणा और साहिया (देहरादून) के टिपराड़ गांव में इन दिनों जश्न का माहौल है। वजह यह कि आजादी के 75वें साल में ही सही, दोनों गांवों को पथरीली डगर पर सफर से आजाद मिल गई है। चंद रोज पहले दोनों गांवों तक मोटर मार्ग का निर्माण पूरा कर लिया गया। राज्य के सीमांत में विकास के पहियों की यह चहलकदमी सुखद एहसास कराती है। मगर, तस्वीर का एक पहलू और भी है।
राज्य में सैकड़ों गांव और तोक अब भी पथरीली पगडंडियों पर सफर करने को मजबूर हैं। सड़क किसी भी क्षेत्र के विकास की पहली सीढ़ी होती है। सुखद यह है कि मुख्यमंत्री इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। इसीलिए उन्होंने हर ग्राम पंचायत को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने की घोषणा की है। यह कदम सरकार की विकासशील सोच को दर्शाता है। अब जरूरी यह है कि सरकार अपनी घोषणा को जल्द से जल्द अमलीजामा पहनाए।
प्रेरणा की ज्योति से जगमग देवभूमि
उत्तराखंड के रणबांकुरों की वीर गाथाएं किसी से छिपी नहीं हैं तो इन रणबांकुरों की जीवन संगिनियां भी किसी वीरांगना से कम नहीं। ये जांबाज जब देश की रक्षा में डटे होते हैं, तब उनकी वीरांगनाएं बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण करने और परिवार को संभालने में जुटी रहती हैं। हर मोर्चे पर इन वीर नारियों ने लोहा मनवाया है। साढ़े तीन वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए देहरादून के शहीद दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति इससे भी एक कदम आगे बढ़कर मिसाल बन गई हैं। जिस आतंक के खात्मे के लिए पति ने बलिदान दिया, ज्योति ने उस राह को न सिर्फ अपनी मंजिल बनाया, बल्कि फतह भी हासिल की। पति की शहादत के 40 माह बाद अब ज्योति लेफ्टिनेंट बन सेना में शामिल हो गई हैं। यकीनन, ज्योति का यह जज्बा पूरे देश की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।
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आओ अब हवा को स्वच्छ बनाएं
स्वच्छ सर्वेक्षण में तीन साल में तीन सौ से ज्यादा पायदान की छलांग। यह आंकड़ा बताता है कि अपना दून बदल रहा है। स्वच्छ दून, सुंदर दून के नारे को सच बनाने की तरफ बढ़ रहा है। वर्ष 2021 के स्वच्छ सर्वेक्षण में दून ने नगर निगम श्रेणी में 82वां स्थान हासिल किया। यह इसलिए अधिक मायने रखता है, क्योंकि वर्ष 2019 के स्वच्छ सर्वेक्षण में हम 384वें स्थान पर थे। इसकी बड़ी वजह है, नगर निगम की कार्यशैली में लगातार हो रहा सुधार। जनता की स्वच्छता के प्रति जागरूकता ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसा ही प्रयास दून की आबोहवा को स्वच्छ बनाने के लिए भी करना होगा। वायु प्रदूषण की रोकथाम के अभाव में यहां हवा की गुणवत्ता दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। दिल्ली जैसे हालात का सामना दून को न करना पड़े, इसके लिए सरकार के साथ आम जनमानस को इस मोर्चे पर भी जागरूकता का परिचय देना होगा।
स्लोगन के अनुरूप भूमिका भी निभाइये
मित्रता, सेवा और सुरक्षा। यह स्लोगन है हमारी उत्तराखंड पुलिस का। मगर, विडंबना देखिये कि इन तीन मोर्चों पर भी राज्य की पुलिस खरी नहीं उतर रही। इंडियन पुलिस फाउंडेशन की ओर से जारी किए गए स्मार्ट पुलिसिंग सर्वे-2021 की रिपोर्ट में उत्तराखंड पुलिस को 29 राज्यों में 15वां स्थान प्राप्त हुआ। पुलिस विभाग के मुखिया आए दिन पुलिसकर्मियों को जनता से बेहतर व्यवहार करने के साथ ही पीडि़तों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की सलाह देते रहते हैं। बावजूद इसके इन मोर्चों पर हमारी पुलिस का प्रदर्शन औसत दर्जे से आगे नहीं बढ़ पाया। उपलब्धता के मामले में स्थिति ठीक होने के बावजूद हमारी पुलिस त्वरित प्रतिक्रिया में 11वें स्थान पर रही। कोरोनाकाल में जनता के लिए मददगार के रूप में सामने आने के बाद भी जनता का भरोसा जीतने से अभी कोसो दूर है। यह स्थिति बताती है कि पुलिस को अपने स्लोगन के अनुरूप भूमिका भी निभानी होगी।
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