उत्तराखंड: गणपति बप्पा मोरया के जयकारों के साथ गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित
उत्तराखंड में गणेश महोत्सव का आगाज हो गया है। कहीं शोभायात्रा निकाली गई तो कहीं कलश यात्रा। इसके बाद वैदिक मंत्रोचारों के बीच गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई।
देहरादून, [जेएनएन]: गणेश चतुर्थी पर सूबे में गणेश महोत्सव का आगाज हो गया है। कहीं शोभायात्रा निकाली गई तो कहीं कलश यात्रा। इसके बाद वैदिक मंत्रोचारों के बीच गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई। पंडाल गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से गूंजायमान रहा।
महाराष्ट्र का मूल पर्व माना जाने वाला गणेश पर्व अब उत्तराखड़ का भी पर्व बन चुका है। राजधानी देहरादून समेत सूबे के सभी जिलों में गणेश महोत्सव का आगाज हो गया है। पौड़ी जनपद में में गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणेश की मूर्ति को लोअर बाजार में स्थापित किया गया है। गणपति को मोदक भोग लगाया गया। रुड़की में शहर में श्री गणेश मानव एकता समिति की ओर से सिविल लाइन स्थित शिव मंदिर में विधि-विधान से भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की गई। पंडाल में गणेश भगवान की छह फीट की मूर्ति को विराजमान किया गया। इसके अलावा पूजा-अर्चना के लिए 21 छोटी मूर्ति भी स्थापति की गई है। साथ ही शहर के विनायक कुंज में भी सिद्धि विनायक को विराजमान किया गया।
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उधमसिंह नगर जिले के खटीमा में शोभायात्रा के साथ ही गणेश महोत्सव का आगाज हो गया है। गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से माहौल गूंज उठा है। रामलीला मैदान में गणपति बप्पा विराजे गए हैं। बागेश्वर जिले में बिलौना व बागनाथ मंदिर सहित दो अन्य स्थानों पर गणेशोत्सव धूमधाम के साथ शुरू हो गया है। नगरपालिका अध्यक्ष गीता रावल ने महोत्सव का शुभारंभ किया।
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द्वाराहाट में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान व कलश यात्रा के साथ गणेश महोत्सव शुरू हो गया है। इसके तहत भागवत कथा की भी शुरुआत हुई। शीतला पुष्कर मैदान पर आयोजित गणेश महोत्सव के तहत प्रातः वैदिक मंत्रोचारों के बीच गणेश प्रतिमा स्थापित की गई।
देहरादून में यहां हो रहा गणेश महोत्सव
शहर में मन्नूगंज, मोती बाजार, धामवाला, क्लेनमेनटाउन, खुड़बुड़ा मोहल्ला, पटेल नगर, गढ़ी कैंट ।
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गणपति करते हैं दुखों को दूर
आचार्य संतोष खंडूड़ी के अनुसार भगवान गणेश की निष्काम भाव से की गई पूजा-अर्चना से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। चतुर्थी को गणपति को घर लाने से संपन्नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन का समावेश होता है। उन्होंने बताया कि जिस स्थान पर बप्पा को विराजमान करना है, वहां की अच्छे से सफाई करें। बप्पा की प्रतिमा को गंगा या शुद्ध जल से स्नान कराएं। फिर, पीले, लाल या केसरिया रंग के वस्त्र धारण कराएं और धूप, दीप, सुपारी, नारियल, पान के पत्तों से 'ओम गं गणपतये नम:' मंत्र का जाप करते हुए पूजन करें और आरती उतारें। मोदक के साथ शहद, घी, दूध, दही और शक्कर का भोग लगाए।
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