फैकल्टी के 'खेल' पर सीसीआइएम हुआ सख्त, पढ़िए पूरी खबर
निजी आयुर्वेद कॉलेजों को सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) किसी हाल में बख्शने के मूड में नहीं है।
देहरादून, जेएनएन। फैकल्टी के नाम पर खेल कर रहे निजी आयुर्वेद कॉलेजों को सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) किसी हाल में बख्शने के मूड में नहीं है। विजिटेशन परफॉर्मा को लेकर सीसीआइएम का हालिया रुख कुछ यही बयां कर रहा है। विजिटेशन परफॉर्मा भरने की तिथि 17 जनवरी तक बढ़ा दी है। साथ ही यह हिदायत भी दी है कि इसके बाद कोई रियायत नहीं दी जाएगी। यानि अब कोई तिथि नहीं बढ़ेगी।
दरअसल, मेडिकल कॉलेजों में आए दिन कागजों में फर्जी शिक्षकों और चिकित्सकों की लंबी-चौड़ी सूची दिखाकर संबंधित चिकित्सा परिषदों और विश्वविद्यालय से मान्यता लेने के मामले सामने आते रहे हैं। स्थिति यह कि एक शिक्षक, कई-कई जगह सेवाएं दे रहा है। यह फर्जीवाड़ा समाप्त करने और शैक्षणिक कार्यों के उन्नयन के लिए सीसीआइएम ने कई कदम उठाए हैं। अब सीसीआइएम विजिटेशन परफॉर्मा को लेकर सख्त दिख रहा है। उत्तराखंड के कई आयुर्वेद कॉलेज, जिसमें विवि के तीनों परिसर शामिल हैं, ने सीसीआइएम के निरीक्षण के लिए विजिटेशन परफॉर्मा नहीं भरा है।
सीसीआइएम ने 19 दिसंबर से 5 जनवरी तक विजिटेशन परफॉर्मा भरने के लिए वेबपोर्टल पर लिंक खोला था। कुछ आयुर्वेदिक कॉलेजों ने सीसीआइएम से अनुरोध किया कि क्योंकि हमारे शिक्षकों को नए टीचर कोड नहीं मिल पाए हैं, इसलिए विजिटेशन का पार्ट-1 फॉर्म नही भर रहे हैं। सीसीआइएम ने इसे लापरवाही माना है। क्योंकि उसने महीनों पहले संबंधित शिक्षकों को अपने प्रोफाइल को अपडेट करने के लिए लॉगइन आइडी और पासवर्ड दे दिए थे।
शिक्षकों द्वारा भरे गए शिक्षण अनुभव को संबंधित कॉलेजों द्वारा सत्यापित किया जाना था, जिससे फर्जी अनुभव दिखाकर शैक्षणिक कोड हासिल करने पर रोक लग सके। लेकिन कई शिक्षकों ने लापरवाही बरतते हुए अपना प्रोफाइल ही अपडेट नही किया। जबकि दूसरी तरफ कई के अनुभव प्रमाण पत्रों को संबंधित कॉलेजों ने सत्यापित नहीं किया। जिस कारण शिक्षकों का कोड नही जारी हो पाया।
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अब सीसीआइएम ने एक बार फिर विजिटेशन परफॉर्मा को भरने की तिथि 17 जनवरी तक बढ़ा दी है। यह हिदायत दी है कि इसके बाद तिथि नहीं बढ़ाई जाएगी। जिन शिक्षकों के मामले सीसीआइएम में लंबित हैं, उन्हें छोड़कर विजिटेशन परफॉर्मा में नहीं भरे गए शिक्षकों को उस कॉलेज का शिक्षक नहीं माना जाएगा। जिससे साफ है कि फर्जी फैकल्टी पर रोक लगाने के लिए सीसीआइएम कुछ नया करने जा रहा है।
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