लैंड फ्रॉड में एसआइटी जल्द मामला दर्ज कर की जाए जांच: रविनाथ रमन
रविनाथ रमन ने साफ किया है कि भूमि संबंधी जिन मामलों में फर्जीवाड़ा स्पष्ट प्रतीत होता है उनकी एसआइटी (भूमि) तत्काल मामला दर्ज कर जांच करें।
देहरादून, जेएनएन। लैंड फ्रॉड को-ऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष मंडलायुक्त रविनाथ रमन ने साफ किया है कि भूमि संबंधी जिन मामलों में फर्जीवाड़ा स्पष्ट प्रतीत होता है, उनकी एसआइटी (भूमि) तत्काल मामला दर्ज कर जांच करें। इसके अलावा उन्होंने भूमि संबंधी विभिन्न मामलों में अधिकारियों को अलग-अलग निर्देश जारी किए।
मंडलायुक्त कैंप कार्यालय में सोमवार को आयोजित बैठक में मंडलायुक्त रविनाथ रमन ने कहा कि जिस तरह के जमीनों का फर्जीवाड़ा बढ़ रहा है, उसे देखते हुए सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ग्राम समाज की भूमि व राजस्व रिकॉर्ड में शामिल सरकारी और अन्य भूमि पर अतिक्रमण के मामलों में भी त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है। इसके लिए उचित सर्वे आदि कराए जाने की भी जरूरत है। कृषि भूमि, अनुसूचित जनजाति की भूमि, वन भूमि को अन्य श्रेणी में दर्शाकर खुर्दबुर्द की गई है, उन पर भी गहनता से जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने की जरूरत है। बैठक में पुलिस महानिरीक्षक अभिनव कुमार, जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव, अपर आयुक्त बंशीलाल राणा, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अरविंद पांडेय, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण परमेंद्र डोबाल आदि उपस्थित रहे।
विवादित भूमि पर एमडीडीए नक्शा न पास करे
मंडलायुक्त ने बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जो भूमि विवादित है और उसका वाद किसी भी न्यायालय में गतिमान है तो वहां एमडीडीए किसी भी दशा में नक्शा पास न करे। नक्शा पास करने से पहले जिला प्रशासन से स्पष्ट आख्या भी प्राप्त कर ली जाए। मसूरी नगर पालिका कर रही परहेज: बालरेगंज व किंक्रेग में मसूरी नगर पालिका की जमीन कब्जाकर निर्माण करने के मामले स्पष्ट जांच किए जाने और मंडलायुक्त की संस्तुति के बाद भी नगर पालिका परहेज कर रही है। मसूरी पालिका के अधिशासी अधिकारी लैंड फ्रॉड कमेटी के सदस्य भी हैं, लिहाजा उन्हें भी मुकदमा कराने का अधिकार दिया गया है।
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मंडलायुक्त ने दिए निर्देश
मौके पर रिकॉर्ड से अधिक भूमि पर कब्जा मिलता है तो अतिरिक्त भूमि को राजस्व भूमि में शामिल किया जाए।
जमीन फर्जीवाड़े में सम्मिलित तत्कालीन कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। जिन मामलों में पर्याप्त चर्चा हो चुकी है और वाद किसी न्यायालय में गतिमान नहीं है, उन्हें खारिज किया जाए।
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