बालिग बेटे को नाबालिग बताने में सिपाही पर मुकदमा Dehradun News
नशे में प्रयुक्त होने वाले टेबलेट और इंजेक्शन के साथ पकड़े गए बालिग बेटे को नाबालिग बताने में सिपाही पिता के खिलाफ कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करा दिया।
देहरादून, जेएनएन। नशे में प्रयुक्त होने वाले टेबलेट और इंजेक्शन के साथ पकड़े गए बालिग बेटे को नाबालिग बताने में सिपाही पिता के खिलाफ कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करा दिया। किशोर न्याय बोर्ड और विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस की कोर्ट में सिपाही ने बेटे के फर्जी शैक्षणिक प्रमाण-पत्र देकर कहा था कि वह नाबालिग है, लेकिन दस्तावेजों के पड़ताल में आरोपित के बालिग होने के बाद अदालत ने उसे जिला कारागार सुद्धोवाला भेज दिया। आरोपित सिपाही नेहरू कॉलोनी थाने में तैनात है।
पुलिस को तहरीर विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस कोर्ट की अहलमद सपना राणा की ओर से दी गई है। उनका आरोप है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने 21 जनवरी को अंकित बिष्ट निवासी हरिद्वार को नशे में प्रयुक्त होने वाले टेबलेट और इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार किया।
गिरफ्तारी के बाद अंकित के पिता कंचन सिंह बिष्ट ने अदालत में प्रार्थना पत्र दिया कि उनका पुत्र नाबालिग है। उसकी जन्मतिथि 22 मई 2002 है। प्रारंभिक तथ्यों के आधार पर मामला किशोर न्याय बोर्ड को स्थानांतरित कर दिया गया। मगर एनसीबी ने उम्र के दावे के संबंधित प्रस्तुत दस्तावेजों की गहनता से जांच की तो पता चला कि अंकित की असल में जन्मतिथि 22 मई 2001 है।
एनसीबी ने अदालत को बताया कि अंकित के मूल गांव शिमली चमोली के ग्राम रजिस्टर में 22 मई 2001 जन्मतिथि दर्ज है, लेकिन जब अंकित ने हरिद्वार में कक्षा छह में दाखिला लिया तो 2001 की जगह ओवरराइटिंग कर 2002 कर दिया गया। इस आधार पर 21 जनवरी को जब अंकित को गिरफ्तार किया गया, उस समय उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक थी।
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अदालत ने सभी तथ्यों पर गौर करते हुए अंकित को बालिग मानते हुए जिला कारागार सुद्धोवाला भेज दिया। साथ ही अदालत को गुमराह करने और कूटरचित दस्तावेज पेश करने के आरोप में कंचन सिंह बिष्ट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया।
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