अल्मोड़ा मेडिकल कालेज को लेकर ट्विटर पर छेड़ा अभियान, भगवान के दर लगाई अर्जी
अल्मोड़ा मेडिकल को लेकर छात्र शिक्षकों ने फेसबुक व ट्विटर पर छेडी मुहिम। साल 2004 में हुई थी अल्मोड़ा मेडिकल कालेज की घोषणा। 2012 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। पर अभी तक भी मेडिकल कालेज शुरू नहीं हो सका है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। अल्मोड़ा मेडिकल कालेज को लेकर छात्र, शिक्षकों ने ट्विटर पर मुहिम छेड़ दी है। 'हैशटैग अल्मोड़ा मेडिकल कालेज' के नाम से चली इस मुहिम को इंटरनेट मीडिया पर भारी समर्थन मिल रहा है। इस पर डाले जाने वाले कंटेंट को कई बार रीट्वीट किया गया है।
बता दें, राज्य में फिलवक्त तीन सरकारी मेडिकल कालेज हैं। दून, हल्द्वानी व श्रीनगर मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की 350 सीट हैं। एमबीबीएस में दाखिले को लेकर जिस तरह की कड़ी प्रतिस्पर्धा रहती है, डाक्टर बनने के ख्वाहिशमंद युवाओं की राह आसान नहीं है। ऐसे में अल्मोड़ा मेडिकल कालेज एक अतिरिक्त विकल्प हो सकता था, पर इस सत्र में भी कालेज शुरू होने के आसार नहीं दिख रहे। इस मेडिकल कालेज साल की घोषणा 2004 में हुई थी और 2012 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ। पर अभी तक भी मेडिकल कालेज शुरू नहीं हो सका है। कालेज शुरू होने से 100 सीट का विकल्प छात्रों को मिलेगा। ऐसे में छात्रों ने जल्द कालेज शुरू करने की गुहार लगाई है। उन्हें उम्मीद है कि उनकी आवाज सरकार व शासन तक जरूर पहुंचेगी। इस मुहिम के संयोजक डीके मिश्रा का कहना है कि सरकार को छात्रों की इस मांग को गंभीरता से लेना चाहिए। हैरत की बात है कि मेडिकल कालेज की नींव 2012 में पड़ी, पर संचालन अब तक शुरू नहीं हुआ है। सरकार को इसके लिए विशेष प्रयास करने चाहिए।
भगवान के दर लगाई अर्जी
अल्मोड़ा मेडिकल कालेज को लेकर यह मुहिम हर दिन रोचक होती जा रही है। इनमें मनीष नौटियाल नाम के एक छात्र ने भगवान बदरीनाथ के पास अपनी अर्जी लगाई है। जिसमें ईश्वर से प्रार्थना की गई है कि कालेज जल्द शुरू हो, ताकि छात्रों के सामने दाखिले के अतिरिक्त विकल्प खुलें।
इस सत्र संचालन की आस खत्म
अल्मोड़ा मेडिकल कालेज के इस सत्र से संचालन की आस लगभग खत्म हो गई है। कालेज की ओर से की गई विशेष अपील को एनएमसी की ओर से खारिज कर दिया गया है। एनएमसी की ओर से कालेज को चिट्ठी भेजकर अगले सत्र के लिए आवेदन करने को कह दिया गया है। बता दें कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) को कालेज में 100 सीटों की मान्यता के लिए आवेदन पूर्ण रूप से नहीं किया गया था। जिस वजह से एनएमसी का निरीक्षण ही नहीं हुआ है।
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