कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के फरमान से सीएमओ साहब की उड़ी नींद
कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने न कुछ सोचा न किसी से पूछा और सुना दिया मोबाइल ओपीडी शुरू करने का फरमान। इससे सीएमओ साहब की नींद उड़ी हुई है।
देहरादून, देवेंद्र सती। कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत का बचपन भले ही पौड़ी जिले में बीता, आखर ज्ञान से पीएचडी तक की पढ़ाई वहीं हुई। राजनीति का ककहरा भी वहीं सीखा। पर शायद मंत्रीजी अपने घर से ठीक से वाकिफ नहीं हैं? तभी तो न कुछ सोचा न किसी से पूछा और सुना दिया मोबाइल ओपीडी शुरू करने का फरमान। सीएमओ की नींद उड़ी हुई है कि मंत्रीजी का मान रखें तो कैसे? फरमान जिले की हर एंबुलेंस में एक डाक्टर बैठाकर अलग-अलग इलाकों में ओपीडी करने का है, पर चिंता यह खाए जा रही है कि इतने डॉक्टर लाएं कहां से। इतने तो जिले में कुल डॉक्टर ही नहीं। जो हैं भी मौजूदा हालात में उन्हें अस्पतालों से बाहर निकालना किसी जोखिम से कम नहीं। खैर .. मंत्रीजी को इससे क्या लेना देना। कमान से तो तीर निकल गया, बचना अब सीएमओ साहब को है। कैसे बचें, यह वह जानें।
और वे नहीं सुधरेंगे
कोरोना की महामारी के दौर में कुछ लोगों ने कसम खा रखी है ‘हम नहीं सुधरेंगे।’ शारीरिक दूरी के मानकों के पालन के लिए प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री और तमाम शख्सियतें आग्रह कर रही हैं। बावजूद इसके कई लोग समूह में नमाज अदा करने से बाज नहीं आ रहे। अपराध की यह मानसिकता पुलिस और समाज के साथ तू डाल-डाल मैं पात-पात जैसे खेल खेलने पर आमदा है। यह अलग बात है कि पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उत्तरकाशी में 10 में और विकासनगर में पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन सवाल यह है कि क्या कोई भी प्रार्थना, नमाज अथवा पूजा पाठ के लिए समूह में रहना जरूरी है। ऐसे लोग तमाम जागरूकता कार्यक्रमों को धता बताते हुए पूरे समाज को खतरे में झोंक रहे हैं। क्या कोई मजहब ऐसी शिक्षा देता है, जिससे समाज पर संकट आए। आखिर इन अहमकों को कौन समझाए कि जीवन पहली प्राथमिकता है।
तैयारियों पर छाया कुहासा
कोरोना संकट के प्रभाव से चार धाम यात्रा की तैयारियां भी अछूती नहीं हैं। आलम यह है कि चारों धामों के कपाट खोलने की तिथि घोषित हो चुकी है। इसी माह के आखिर में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के कपाट खोले जाने हैं, लेकिन तैयारियों पर असमंजस का कुहासा है। सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन कर दिया है। अब तैयारियां इसी बोर्ड को देखनी हैं। इसके सीईओ मंडलायुक्त रविनाथ रमन को बनाया गया है। पूर्व में जिम्मा संभाल रही श्रीबदरी-केदार मंदिर समिति बोर्ड में समाहित हो चुकी है। अब अधिकारी कोरोना से उपजी परिस्थितियों से जूझने में व्यस्त हैं। ऐसे में बोर्ड के दूसरे अफसर मुंह ताक रहे हैं कि यात्रा तैयारियों को लेकर गाइडलाइन मिले तो काम शुरू किया जाए। असमंजस की इस स्थिति में तैयारियों को लेकर ठहराव सा आ गया है। सरकार भी कह रही है कि लॉकडाउन के बाद ही कुछ किया जा सकेगा।
मंत्री जी का मजमा
वाह मंत्री जी वाह! दूसरों को सीख दे रहे कि घरों से बाहर नहीं निकलो, लॉकडाउन के नियमों का अच्छे से पालन करो। सरकार के कहने से नहीं, बल्कि खुद को स्वस्थ्य रखने के लिए ऐसा करो। मंत्री जी के ये ‘उपदेश’ सोलह आने सच हैं। पूरे देश में अपील भी यही हो रही है। तमाशबीनों को छोड़ दें तो जन सामान्य इस पर अमल कर रहा है। पर, मंत्री जी शायद इससे खुद इत्तिफाक नहीं रखते। हो भी क्यों, वह तो ठहरे मंत्री, जब तलक इर्द-गिर्द जमावड़ा नहीं लग जाता, भला हनक का पता कैसे चलेगा। शायद इसी शौक में दो कद्दावर मंत्रियों ने हरिद्वार और देहरादून में जनप्रतिनिधियों का ‘मजमा’ लगा डाला। वह भी किसी बड़े फैसले के लिए नहीं, बल्कि बेहद सामान्य बात के लिए। यह सब सिर्फ वाट्सएप संदेश या फोनकॉल पर भी मैनेज हो सकता था। पर क्या करें, वो तो मंत्री हैं भाई..।
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