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उत्तराखंड में महायोजना क्षेत्रों में अकृषि होगी भूमि, भू-उपयोग बदलने में नहीं होगी वक्त की बर्बादी

प्रदेश में महायोजना लागू करने वाले विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में धारा-143 को खत्म कर दिया। इससे भूमि को अकृषि घोषित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

By Edited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 03:47 PM (IST)
उत्तराखंड में महायोजना क्षेत्रों में अकृषि होगी भूमि, भू-उपयोग बदलने में नहीं होगी वक्त की बर्बादी
उत्तराखंड में महायोजना क्षेत्रों में अकृषि होगी भूमि, भू-उपयोग बदलने में नहीं होगी वक्त की बर्बादी

देहरादून, राज्य ब्यूरो। मंत्रिमंडल ने अहम फैसला लेते हुए प्रदेश में महायोजना लागू करने वाले विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में धारा-143 को खत्म कर दिया। इससे भूमि को अकृषि घोषित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मंत्रिमंडल के इस फैसले से विकास कार्यों के लिए कृषि भूमि के भू-उपयोग को बदलने में वक्त की बर्बादी नहीं होगी। 

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मंत्रिमंडल ने गुरुवार को उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी। सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि इस अधिनियम में संशोधन के बारे में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित सचिव समिति में निर्णय लिया गया था। इसके लिए प्रमुख सचिव आनंद ब‌र्द्धन की अध्यक्षता में उपसमिति गठित की गई। उपसमिति ने इस बारे में अपना प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया है।
उन्होंने बताया कि राज्य में औद्योगिक, पर्यटन, चिकित्सा, स्वास्थ्य और शैक्षणिक उद्देश्य के अतिरिक्त अन्य योजनाएं सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, कूड़ा निस्तारण केंद्र, विद्युत संस्थान, सुलभ शौचालय, बस अड्डा, पार्क, बहुद्देश्यीय भवन के लिए भूमि को कृषि से अकृषि करने की बाध्यता है। इस वजह से योजनाओं को लागू करने में दिक्कत पेश आ रही है। मंत्रिमंडल ने तय किया है कि राज्य में ऐसे विकास प्राधिकरण क्षेत्र, जहां महायोजना लागू की गई है, वहां धारा-143 के तहत भूमि को अकृषि घोषित करने की जरूरत नहीं होगी।
वर्ग-चार की भूमि होगी विनियमित मंत्रिमंडल ने देहरादून जिले के त्यूणी समेत जौनसार-भाबर क्षेत्र में वर्ग-चार की भूमि के विनियमितीकरण को हरी झंडी दिखा दी। राज्य में वर्ग-चार की भूमि को विनियमित करने का फैसला लागू है, लेकिन जौनसार भाबर जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम-1956 लागू होने से उक्त फैसला लागू नहीं हो पाया।
मंत्रिमंडल ने ये अधिनियम में संशोधन कर 1983 से पहले वर्ग-चार की भूमि के प्रकरण निस्तारित होंगे। इससे जौनसार-भाबर क्षेत्र को राहत मिलेगी। 2017 तक संबद्ध कार्मिक होंगे समायोजित उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग में नर्सिंग शिक्षक सेवा संवर्ग में ट्यूटर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर, उप प्रधानाचार्य और प्रधानाचार्य के पदों पर संविलियन (संशोधन) नियमावली पर मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी। इसके तहत प्रदेश के छह नर्सिंग कॉलेजों में 31 दिसंबर, 2017 तक स्वास्थ्य महकमे से संबद्ध किए गए कार्मिकों को समायोजित किया जा सकेगा। संविलियन को संबद्धता के दो साल पूरे होने की शर्त भी जोड़ी गई है।

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