स्थायी निवासियों को ही समूह-ग की नौकरी
सरकारी सेवाओं में समूह-ग की सीधी भर्तियों में सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण की शर्त हटने से मायूस राज्य के लाखों बेरोजगार युवाओं को बड़ी राहत मिली है।
-समूह-ग सीधी भर्ती के पदों में भर्ती नियमावली में संशोधन
-आवेदन के लिए राज्य से ही हाईस्कूल और इंटर पास होना अनिवार्य
-हाईकोर्ट ने सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण का प्रावधान किया था खत्म
-सैनिकों-अर्द्धसैनिक बलों, राज्य व केंद्र सरकार के उत्तराखंड में कार्यरत कार्मिकों के पुत्र-पुत्रियों को भी लाभ
-राज्य में महंगी होगी शराब, वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए नई आबकारी नीति पर लगी मुहर, राजस्व लक्ष्य में 20 फीसद वृद्धि
-राज्य के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि देने का निर्णय, इस साल होगा 450 से 500 करोड़ खर्च
राज्य ब्यूरो, देहरादून
सरकारी सेवाओं में समूह-ग की सीधी भर्तियों में सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण की शर्त हटने से मायूस राज्य के लाखों बेरोजगार युवाओं को बड़ी राहत मिली है। त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने समूह-ग के सीधी भर्ती के पदों पर राज्य के स्थायी निवासियों को वरीयता देने का निर्णय लिया है। इन पदों पर भर्ती के लिए वही युवा पात्र होंगे, जिन्होंने हाईस्कूल और इंटर या इनके समकक्ष स्तर की शिक्षा राज्य के मान्यताप्राप्त शिक्षण संस्थानों से ली है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में युवाओं, किसानों और कारोबारियों पर मेहर बरसी। तकरीबन 17 बिंदुओं पर निर्णय लिए गए। विधानसभा के बजट सत्र की अधिसूचना जारी होने की वजह से फैसलों की ब्रीफिंग नहीं की गई। सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल ने सरकारी सेवाओं में समूह-ग की सीधी भर्ती में राज्य के स्थायी निवासी युवाओं को वरीयता देने को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की परिधि के अंतर्गत तथा बाहर समूह-ग के सीधी भर्ती के पदों के लिए अनिवार्य-वांछनीय (तृतीय संशोधन) नियमावली को मंजूरी दी। दरअसल, राज्य सरकार ने स्थानीय युवाओं को समूह-ग भर्ती में वरीयता देने को सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण का प्रावधान किया था। हाईकोर्ट ने इस प्रावधान को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट के इस आदेश से सरकार की दुविधा बढ़ी हुई थी। रोजगार के मौके में कमी के विरोध को लेकर गठित अलग राज्य उत्तराखंड में युवा उक्त प्रावधान हटाए जाने का विरोध कर रहे थे। सरकार ने इस संबंध में पलायन आयोग से भी सुझाव मांगा था। आयोग ने पलायन से खाली हो रहे गांवों का उल्लेख करते हुए राज्य के युवाओं के लिए आजीविका के स्रोत और गुणवत्तापरक शिक्षा की कमी को रेखांकित करते हुए रोजगार के मौके सृजित किए जाने की सिफारिश की थी।
आखिरकार मंत्रिमंडल ने युवाओं की मुराद पूरी कर दी। इसके साथ ही सैनिक व अर्द्धसैनिक बलों में कार्यरत और राज्य सरकार अथवा उसके अधीन स्थापित सरकारी या अर्द्ध सरकारी संस्था में नियमित नियुक्त कार्मिकों एवं केंद्र सरकार के विभागों या उसके सार्वजनिक उपक्रमों में उत्तराखंड में कार्यरत कार्मिकों के पुत्र व पुत्री भी समूह-ग के आवेदन के लिए पात्र माने जाएंगे। वहीं बाहर रह रहे राज्य के स्थायी निवासियों के बच्चों को भी उक्त लाभ मिल सकेगा।