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नगर निगमों के लिए खुला पिटारा

प्रदेश के बड़े नगरों की पंचायत यानी नगर निगमों पर सरकार खूब मेहरबान हुई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Jan 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jan 2019 03:00 AM (IST)
नगर निगमों के लिए खुला पिटारा
नगर निगमों के लिए खुला पिटारा

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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प्रदेश के बड़े नगरों की पंचायत यानी नगर निगमों पर सरकार खूब मेहरबान हुई है। निकाय चुनावों में निगमों में मिली कामयाबी के बाद सरकार ने अपना पिटारा खोल दिया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने नगर निगमों के महापौर और मुख्य नगर आयुक्तों के वित्तीय अधिकारों में बड़ा इजाफा किया, जबकि सभी निगम बोर्डो को असीमित वित्तीय अधिकार दिए गए हैं। वहीं राजधानी देहरादून के नगर निगम पर खास कृपा बरसी है। इसमें महापौर के वित्तीय अधिकार एक लाख से बढ़ाकर 12 लाख व मुख्य नगर आयुक्त का वित्तीय अधिकार 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 10 लाख किए जाने को मंजूरी दी गई। शेष सभी सात नगर निगमों के महापौर के वित्तीय अधिकार 50 हजार रुपये से बढ़ाकर छह लाख रुपये किए गए हैं। मंत्रिमंडल ने अन्य महत्वपूर्ण बदलाव आवास नीति में किया है। कॉलोनाइजर, बिल्डरों पर दरियादिली दिखाते हुए हाउंसिंग प्रोजेक्ट, भवनों व मल्टीप्लैक्स के निर्माण के मानकों में छूट दी गई है। अब पहली बार छह जिलों देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, अल्मोड़ा और चंपावत में फुटहिल क्षेत्रों का निर्धारण संबंधित प्राधिकरण का बोर्ड करेगा। इन क्षेत्रों में भवनों की अधिकतम ऊंचाई 21 मीटर और पहुंच मार्ग की चौड़ाई मैदानी क्षेत्रों से 25 फीसद कम रखने के प्रावधानों को मंजूरी दी गई है। बगैर नक्शों के बने एकल आवासीय भवनों, कारोबारियों, नर्सरी स्कूल, नर्सिग होम व पैथोलॉजी लैब को कंपाउंडिंग के लिए एकमुश्त समाधान योजना देने का निर्णय लिया गया है।

सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आठ बिंदुओं पर निर्णय लिए गए, जबकि एक बिंदु को स्थगित कर दिया गया। मंत्रिमंडल के फैसलों को काबीना मंत्री व सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड भवन निर्माण एवं विकास उपविधि/ विनियम 2011 में संशोधन को मंजूरी मिली है। इसके तहत उक्त छह जिलों के मैदानी व पर्वतीय क्षेत्रों के बीच के क्षेत्र के नैसर्गिक सौंदर्य को यथावत एवं अनियंत्रित निर्माण को नियंत्रित करने के लिए फुटहिल क्षेत्रों को परिभाषित किया गया है। फुटहिल क्षेत्रों में विद्यमान मार्ग की चौड़ाई के मुताबिक अधिकतम भवन ऊंचाई 21 मीटर का प्रावधान किया गया है। पहुंच मार्ग की चौड़ाई मैदानी क्षेत्रों की तुलना में 25 फीसद से कम रहेगी। शेष प्रावधान मैदानी क्षेत्रों के मुताबिक रहेंगे।

उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन, स्वास्थ्य, चिकित्सा व आवास आदि क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने को आवास नीति में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। इससे शैक्षिक संस्थानों की स्थापना, स्वास्थ्य सुविधा को नर्सिग होम व अस्पतालों के निर्माण, होटल को पहली बार उनके स्टार रेटिंग के आधार पर प्रावधान किए गए हैं। भूखंड के क्षेत्रफल के अनुसार भवन की ऊंचाई को मंजूरी दी गई है। इससे मॉल, मल्टीप्लेक्स व सर्विस अपार्टमेंट की स्थापना में आसानी रहेगी। उत्तराखंड की स्थानीय वास्तुकला को बढ़ावा देने को भवनों में एक अतिरिक्त तल को मंजूरी दी गई है। पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष रूप से सर्विस सेक्टर को बढ़ावा देने और निवेशकों को प्रोत्साहित करने को मानकों में शिथिलता देने का निर्णय किया गया है।

एकल आवासीय, छोटे दुकानदारों, व्यवसायिों, नर्सिग होम, नर्सरी स्कूल आदि निर्माण को कंपाउंडिंग का एक अवसर देते हुए एकमुश्त समाधान योजना लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह योजना 31 मार्च, 2019 तक लागू रहेगी। कंपाउंडिंग भूमि के सर्किल रेट के आधार पर तय किया जाएगा। एक अप्रैल, 2019 के बाद कंपाउंडिंग शुल्क में वृद्धि होगी।


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