तीन-दो पर होगा उत्तराखंड का दिल्ली से बस समझौता, पढ़िए पूरी खबर
परिवहन करार को लेकर उत्तराखंड ने अपनी ओर से बनाया प्रस्ताव राज्य परिवहन प्राधिकरण दिल्ली में जमा कर दिया।
देहरादून, जेएनएन। दिल्ली के साथ रोडवेज बसों के परिवहन करार को लेकर उत्तराखंड ने अपनी ओर से बनाया प्रस्ताव राज्य परिवहन प्राधिकरण दिल्ली में जमा कर दिया। बताया गया कि दिल्ली तीन-दो बस के औसत पर समझौता चाह रहा है। इसका मतलब, उत्तराखंड की तीन बसें दिल्ली जाएंगी, जबकि दिल्ली की दो बसें उत्तराखंड आएंगी। उत्तराखंड ने इस पर हामी भर दी है। अब उत्तराखंड सरकार की तरफ से परिवहन करार पर वार्ता आगे बढ़ेगी।
बता दें कि, दिल्ली सरकार की ओर से उत्तराखंड समेत सात राज्यों को पिछले दिनों चेतावनी पत्र जारी किया गया था। चेतावनी दी गई है कि अगर शीघ्र ही परिवहन करार नहीं किया तो संबंधित सात राज्यों की बसों का दिल्ली की सीमा में प्रवेश बंद कर दिया जाएगा। इससे उत्तराखंड रोडवेज में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल, उत्तराखंड रोडवेज की लगभग 450 बसें रोजाना दिल्ली जाती हैं। इनमें 400 बसें दिल्ली जाती हैं, जबकि बाकी 50 बसें दिल्ली होकर दूसरे शहरों में जाती हैं।
उत्तराखंड रोडवेज के अधिकारियों की मानें तो पिछले कई साल से दिल्ली के साथ परिवहन करार की कोशिश चल रही थी, लेकिन दिल्ली का सकारात्मक जवाब नहीं मिल रहा था। अब दिल्ली सरकार के पत्र के बाद उत्तराखंड रोडवेज फिर सक्रिय हो गया है। इसी सिलसिले में सोमवार को दिल्ली आइएसबीटी पर नियुक्त उत्तराखंड रोडवेज के डीजीएम नेतराम को दिल्ली के परिवहन प्राधिकरण भेजा गया। डीजीएम ने बसों के फेरों के प्रस्ताव की फाइल दिल्ली में जमा करा दी। अब दिल्ली की तरफ से इसे मंजूर करने व करार की तारीख फाइनल करने का काम बाकी है।
उत्तराखंड की मजबूरी, दिल्ली का मुनाफा
परिवहन करार उत्तराखंड की मजबूरी बना हुआ है, जबकि दिल्ली के लिए यह मुनाफे का सौदा साबित होगा। दरअसल, समझौते के बाद दोनों राज्यों की बसों को एक-दूसरे के राज्य में टैक्स देना पड़ता है। दिल्ली की ओर से अंतरराज्यीय बसों का संचालन 12 साल पहले ही बंद किया जा चुका है। पूर्व में दिल्ली की बीस बसें उत्तराखंड आती थी लेकिन 2007 में ही दिल्ली ने अपनी बसों का यूपी और उत्तराखंड में संचालन बंद कर दिया था।
ताजा परिस्थिति में परिवहन करार होने पर दिल्ली अपनी बसें यहां न भेजे तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, मगर उत्तराखंड की मजबूरी है कि सर्वाधिक फायदे का रूट और यात्रियों की डिमांड को देखकर दिल्ली तक बसों का संचालन करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में दिल्ली को अपनी बस भेजे बिना भी उत्तराखंड की बसों से लाखों का टैक्स सालाना मिलता रहेगा।
उत्तराखंड रोडवेज के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन का कहना है कि दिल्ली से परिवहन समझौते की कोशिश में तेजी लाई गई है। सोमवार को उत्तराखंड रोडवेज के दिल्ली आइएसबीटी पर नियुक्त डीजीएम नेतराम ने परिवहन करार से जुड़ी फाइल दिल्ली एसटीए में जमा की। दिल्ली तीन-दो की शर्त पर समझौता चाह रहा है, जो उत्तराखंड रोडवेज को मंजूर है। सरकार के माध्यम से समझौते की प्रकिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
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