उत्तराखंड: बिल्डर ने अपने रिश्तेदारों को बेच दी स्कूल की जमीन, रेरा ने दिए कार्रवाई के निर्देश
ब्रेजन एरो कंपनी प्रा. लि. की रुड़की स्थित मंत्रा हैप्पी होम्स आवासीय परियोजना में जो भूखंड स्कूल और अस्पताल के लिए आरक्षित किए गए थे उसे बिल्डर ने अपने रिश्तेदारों को बेच दिया।मामले में रेरा ने हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। ब्रेजन एरो कंपनी प्रा. लि. की रुड़की स्थित मंत्रा हैप्पी होम्स आवासीय परियोजना में जो भूखंड स्कूल और अस्पताल के लिए आरक्षित किए गए थे, उसे बिल्डर ने अपने रिश्तेदारों को बेच दिया। इस मामले में उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण (एचआरडीए) को स्वीकृत नक्शे के नियमों के उल्लंघन पर बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
रेरा में यह शिकायत परियोजना के ही एक निवेशक संजीव कुमार ने दर्ज कराई। प्रकरण पर सुनवाई करते हुए रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने पाया कि 1137.86 वर्गमीटर का जो भूखंड नक्शे में स्कूल और अस्पताल निर्माण (सार्वजनिक प्रयोजन) के लिए दिखाया गया है, उसे कंपनी के दो निदेशकों के रिश्तेदार को बेच दिया गया है। इसे गंभीर मानते हुए रेरा अध्यक्ष ने कहा कि एचआरडीए इसका संज्ञान ले और कार्रवाई करे।
साथ ही आदेश दिए कि दोनों खरीदार इस आशय का शपथ पत्र देंगे कि वह संबंधित प्लॉट पर सिर्फ सार्वजनिक श्रेणी का ही निर्माण करेंगे। इसके लिए निवेशकों के साथ एक इरारनामा भी किया जाएगा। दूसरी तरफ रेरा के संज्ञान में यह बात भी आई कि परियोजना में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति नहीं ली गई है। इस मामले में भी रेरा ने संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश जारी किए।
बिल्डर के कमरे के चलते तीन साल तक कब्जा नहीं मिला
बिल्डर ने मंत्रा हैप्पी होम्स परियोजना में जो प्लॉट वर्ष 2016 में बेचा, उस पर कब्जा देने में तीन साल का समय लगा दिया। कब्जा इसलिए नहीं मिल सका कि प्लॉट के एक हिस्से पर बिल्डर ने एक कमरे का निर्माण कर रखा था। लिहाजा, रेरा में प्लॉट बेचने से लेकर कब्जा देने की अवधि तक करीब 20 लाख रुपये की राशि पर 9.30 फीसद सालाना ब्याज अदा करने के आदेश जारी किए।
परियोजना में बीएचईएल सेक्टर 5-बी निवासी संजीव कुमार ने मार्च 2016 प्लॉट बुक कराया था। इसके एवज में उन्होंने बिल्डर को 21 लाख, 9650 रुपये अदा किए थे। प्लॉट के एक हिस्से पर बिल्डर का कमरा होने के चलते उन्हें इस पर मार्च 2019 में कब्जा मिल पाया। लिहाजा, उन्होंने अपनी राशि पर तीन साल की अवधि का ब्याज मांगा। जब उन्हें राशि नहीं मिली तो संजीव कुमार ने रेरा में शिकायत दर्ज कराई।
प्रकरण की सुनवाई करते हुए रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने शिकायत को सही पाते हुए 45 दिन के भीतर ब्याज की राशि अदा करने के आदेश जारी कर दिए। इसके साथ ही रेरा ने यह आदेश भी दिए कि जिन सुविधाओं के नाम पर पूर्व में ही राशि वसूल की गई है, उसे सुविधाओं के विकास के बाद से वसूल किया जाए। पूर्व की राशि को समायोजित कर शेष राशि लौटा दी जाएगी। बिजली संबंधी सुविधाओं के विकास पर बिल्डर की अपनी दरों की जगह सरकारी दरों पर वसूल करने के निर्देश दिए गए।
प्लॉट के वसूले मनमाने दाम
संजीव कुमार ने रेरा में यह शिकायत की दर्ज कराई कि जो प्लॉट उन्हें बेचा गया है, उसकी दर अन्य प्लॉट की अपेक्षा अधिक है। रेरा अध्यक्ष ने अपने आदेश में कहा कि एक ही प्रकार के प्लॉट के लिए अलग-अलग राशि वसूल नहीं की जा सकती। उन्होंने पाया कि संजीव कुमार को जो प्लॉट 21 लाख रुपये से अधिक में बेचा गया है, वही प्लॉट अन्य व्यक्ति को करीब साढ़े 12 लाख रुपये में बेचा गया है। रेरा अध्यक्ष ने कहा कि संजीव कुमार को बिल्डर अतिरिक्त वसूल की गई करीब साढ़े आठ लाख रुपये की राशि को वापस करेंगे। इसके लिए 45 दिन का समय तय किया गया है।
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