इन छह विभागों के बजट पर चली कैंची, जानिए वजह
चालू वित्तीय वर्ष में लोक निर्माण विभाग और उद्योग दोनों ही महकमों के लिए प्रस्तावित बजट राशि नए बजट में कम की गई है।
By Edited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 03:48 PM (IST)
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। राज्य सरकार ने गांवों से लेकर शहरों तक सड़कों-पुलों के नेटवर्क को बढ़ाने और इन्वेस्टर्स समिट के बहाने उद्योगों और लघु उद्योग क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर बढ़ाने का वायदा तो किया है, लेकिन बजट के आंकड़े कुछ और ही हकीकत बयां कर रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष में लोक निर्माण विभाग और उद्योग दोनों ही महकमों के लिए प्रस्तावित बजट राशि नए बजट में कम की गई है। उक्त दोनों के साथ ग्राम्य विकास, परिवहन, अनुसूचित जाति कल्याण और अनुसूचित जनजाति कल्याण के बजट पर भी इसी तरह कैंची चली है।
वहीं नए बजट में सबसे ज्यादा तरजीह पेयजल महकमे को मिलने से गांवों से लेकर शहरों और मैदान से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति और नगरीय अवस्थापना में सुधार दिखाई दे सकता है। महकमे के बजट में 577 करोड़ का बड़ा इजाफा हुआ है। माना जा रहा है कि चालू वर्ष में बजट खर्च में महकमों के प्रदर्शन से नाखुश सरकार मार्च फाइनल में बजट ठिकाने लगाने की होड़ को हतोत्साहित करने को यह चाल चलने को मजबूर हुई है। लोकसभा चुनाव के मौके पर बजट को लोक-लुभावन बनाने के दबाव के बावजूद सरकार ने महकमों को आईना भी दिखा दिया है।
बजट बनाने को लेकर महकमों की लापरवाही और जमीनी स्तर पर पूरी तैयारी के बगैर ही अमूमन 15 से 20 फीसद वृद्धि के साथ सालाना बजट प्रस्ताव भेजने की महकमों की प्रवृत्ति सरकार को खूब अखर रही है। इसके चलते चालू वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही महकमों को स्पष्ट हिदायत दी गई थी। बावजूद इसके महकमों के रवैये में अपेक्षा के मुताबिक बदलाव नहीं हुआ।
चालू वर्ष 2018-19 में बजट के सदुपयोग में भी कई महकमे फिसड्डी रहे। वित्तीय वर्ष के आखिरी दो महीने रहते कई महकमे आवंटित बजट का 60 फीसद तक खर्च नहीं कर सके हैं। खाद्य, लघु सिंचाई, खेल, समाज कल्याण महकमे का प्रदर्शन बेहतर नहीं माना जा रहा है। हालांकि कुल बजट आकार में से आवंटित बजट का भी इस्तेमाल नहीं होने से सरकार नए बजट में सतर्क नजर आई है।
यह दीगर बात है कि जिन आधा दर्जन महकमों के बजट में कटौती की गई है, वे सभी अहम तो हैं ही, लोकसभा चुनाव के एजेंडे में भी शीर्ष प्राथमिकता में हैं। वर्ष 2019-20 में वर्ष 2018-19 की तुलना में सर्वाधिक 159.08 करोड़ के बजट की कटौती की गई है। वहीं ग्राम्य विकास में 7.80 करोड़, उद्योग में 20.16 करोड़, परिवहन महकमे में 15.40 करोड़, अनुसूचित जाति कल्याण में 54.99 व अनुसूचित जाति कल्याण में 7.10 करोड़ बजट कम किया गया है।
वहीं चिकित्सा एवं परिवार कल्याण महकमे में 141.15 करोड़, जलापूर्ति, आवास व नगर विकास महकमे में 577.17 करोड़, वन में 220.85 करोड़ और कल्याण योजनाओं में 171.65 करोड़ की बजट राशि बढ़ाई गई है। शिक्षा में भी 837.37 करोड़ बजट बढ़ाया गया है, लेकिन सूबे के इस सबसे बड़े महकमे में बजट का बड़ा हिस्सा वेतन-भत्तों और पेंशन पर खर्च हो रहा है। वित्त, कर, नियोजन, सचिवालय के बजट में भी 1454 करोड़ की वृद्धि की गई।
वित्तीय वर्ष 2019-20 में इन महकमों का बजट घटा
विभाग, 2019-20, 2018-19 (करोड़ रुपये)
लोक निर्माण कार्य, 1894.84, 2053.92
उद्योग, 287.72, 307.88
परिवहन, 258.21, 273.61
खाद्य, 252.82, 275.64
अनुसूचित जाति कल्याण, 1405.97, 1460.96
अनुसूचित जनजाति कल्याण, 469.93, 477.03
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