Uttarakhand scholarship scam: हर छात्रवृत्ति में 40 फीसद का हिस्सेदार था दलाल, पढ़िए पूरी खबर
छात्रवृत्ति घोटाले में 4.31 करोड़ रुपये डकारने वाले संस्थान ऐकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने बाकायदा दलाल पाल रखे थे। छात्रवृत्ति में से 40 फीसद हिस्सा उसका होता था।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में हुए करीब पांच सौ करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में 4.31 करोड़ रुपये डकारने वाले संस्थान ऐकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने बाकायदा दलाल पाल रखे थे। दुस्साहस यह कि संस्थान ने दलाल से लिखित में समझौता भी कर रखा था। इसके अनुसार दलाल जितने भी दाखिले कराएगा, उसके नाम पर निकलने वाली छात्रवृत्ति में से 40 फीसद हिस्सा उसे दिया जाएगा। बाकी रकम पर संस्थान का हक होगा।
विशेष अन्वेषण दल (एसआइटी) की जांच में पाया गया कि दलाल को संस्थान ने इस समझौते के तहत करीब 26 लाख रुपये चेक के जरिए दिए। नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर गठित एसआइटी ने ऐकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में 4.31 करोड़ रुपये का घोटाला पकड़ा है। संस्थान में यह घपला शैक्षणिक सत्र 2012-13 से 2015-16 के मध्य का है। फरवरी में प्रेमनगर थाने में इस आशय का मुकदमा दर्ज किया गया था। इसकी विवेचना में अभी तक संस्था के संयुक्त सचिव मानवेंद्र स्वरूप और एक दलाल राकेश तोमर की मिलीभगत के साक्ष्य मिले हैं।
मानवेंद्र उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित दयानंद शिक्षण संस्थान के सचिव भी हैं। उन्हें बुधवार को कानपुर से गिरफ्तार किया गया, जबकि राकेश तोमर को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया। विवेचना के दौरान एसआइटी को ऐकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज और राकेश तोमर के बीच किया गए समझौते के दस्तावेज भी मिले।
इसमें उल्लेख है कि राकेश तोमर संस्थान को अनुसूचित जाति जनजाति के छात्रों के जाति प्रमाण पत्र व अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराएगा। वही छात्रों का प्रवेश कराएगा और छात्रों के बैंक में खाता भी खुलवाएगा। इस आधार पर एसआइटी ने जब संस्थान से लेकर राकेश तोमर के बैंक खातों की डिटेल खंगाली तो पता चला कि संस्थान ने उसे चेक के जरिए 26 लाख 13 हजार रुपये का भुगतान किया गया है।
राकेश ने भी बना रखे थे एजेंट
जांच में यह भी सामने आया है कि संस्थान के पास राकेश के अलावा और भी कई दलाल हैं, जो अनुसूचित जाति जनजाति के छात्रों का दाखिला कराते थे। राकेश खुद तो गांवों में जाकर लोगों से संपर्क करता ही था, इसके अलावा उसने कई युवकों को जोड़ रखा था।
समाज कल्याण विभाग के दो जेडी भी हो चुके हैं गिरफ्तार
घोटाले में मानवेंद्र स्वरूप के रूप में तीसरी बड़ी गिरफ्तारी है। इससे पूर्व समाज कल्याण विभाग के दो संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल व अनुराग शंखधर को एसआइटी गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। घोटाले में अब तक उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में करीब 50 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं और 22 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इसके अलावा सूबे में शिक्षाजगत की कई नामचीन हस्तियां एसआइटी की रडार पर हैं।
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बोले अधिकारी
संजय गुंज्याल (आइजी एसआइटी) का कहना है कि संस्थान और राकेश तोमर के बीच हुआ समझौतानामा सबसे अहम साक्ष्य साबित हुआ। जांच के बाद भी सामने आया कि किस तरह संस्थान संगठित गिरोह के रूप में गरीब छात्रों की छात्रवृत्ति को हड़प रहा था। घोटाले में कई और संस्थानों में हुई गड़बड़ी की जांच अंतिम चरण में है। जिसमें जल्द ही मुकदमा दर्ज करा दिया जाएगा।