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Year Ender 2021: उत्‍तराखंड की अर्थव्यवस्था को 15वें वित्त आयोग की बूस्टर डोज

Year Ender 2021 उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की सेहत को कोरोना महामारी ने बुरी तरह जख्मी किया है। हालांकि इस साल की शुरुआत 15वें वित्त आयोग की बेहद सकारात्मक संस्तुतियों के साथ हुई थी। आयोग की संस्तुतियों से राजस्व घाटा अनुदान की मदद मिल रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 12:18 PM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 12:18 PM (IST)
Year Ender 2021: उत्‍तराखंड की अर्थव्यवस्था को 15वें वित्त आयोग की बूस्टर डोज
Year Ender 2021: उत्‍तराखंड की अर्थव्यवस्था को 15वें वित्त आयोग की बूस्टर डोज।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Year Ender 2021: उत्तराखंड राज्य की अर्थव्यवस्था की सेहत को कोरोना महामारी ने बुरी तरह जख्मी किया है। महामारी के रूप में सामने आई इस आपदा से उपजे माहौल ने विकास और आर्थिकी के बढ़ते कदमों पर ऐसा ब्रेक लगाया कि उसे पटरी पर लाने के लिए नाकों चने चबाने की नौबत है। आर्थिक रूप से बेहद सीमित संसाधन वाले इस हिमालयी राज्य में ढांचागत विकास के साथ ही पर्यटन व कारोबारी गतिविधियां पटरी पर आने को तरस रही हैं। हालांकि इस साल की शुरुआत 15वें वित्त आयोग की बेहद सकारात्मक संस्तुतियों के साथ हुई थी।

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आयोग की संस्तुतियों से राजस्व घाटा अनुदान की मदद तो मिली ही हर साल 17969 करोड़ की राशि केंद्र से मिलने की राह तैयार होने से अर्थव्यवस्था को गहरे सदमे में जाने से बचाया जा सका है। कोरोना महामारी ने पिछले वर्ष पर बुरा प्रभाव छोड़ा ही था। 2021 में तो यह संकट जानमाल के नुकसान के रूप में सामने आ चुका है। राज्य की आर्थिक सेहत पर बड़ा दुष्प्रभाव पड़ा है। पहले लाकडाउन और बाद में सीमित अवधि तक लगने वाले कर्फ्यू के चलते राज्य में पर्यटन की गतिविधियां लंबे समय तक ठप रही हैं। साल के अंतिम महीनों में सुधार की दिखने लगी उम्मीदों पर अब ओमिक्रोन का बढ़ता खतरा फिर दस्तक देने लगा है।

राज्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक गतिविधियों को धीमा पड़ने से बचाने की है। इस साल भी बजट खर्च की रफ्तार में अपेक्षा के अनुरूप सुधार नहीं हो सका है। 15वें वित्त आयोग की संस्तुति से मिल रही धनराशि का बड़ा भाग गैर योजना मदों में खर्च हुआ है। विकास कार्यों को तेज करने के लिए स्थिति पूरी तरह सामान्य होने का इंतजार है।

15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों से बड़ी मदद

15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों से अगले पांच वित्तीय वर्षों तक राज्य को 89845 करोड़ की धनराशि मिलेगी। 2021 से लेकर 2026 तक राजस्व घाटा अनुदान के रूप में 28,147 करोड़ की राशि मिलेगी। हर सबसे ज्यादा 7772 करोड़ की राशि चालू वित्तीय वर्ष में मिली है। आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में उत्तराखंड को पांच वर्षों तक 47,234 करोड़ मिलेंगे। हर वित्तीय वर्ष में राज्य को करीब 9446.80 करोड़ की राशि मिलेगी। महत्वपूर्ण यह भी है कि इसके अतिरिक्त अगले पांच वर्षों में आपदा प्रबंधन मद में 5178 करोड़, शहरी व पंचायती निकायों के लिए 4181 करोड़ मिलेंगे। आयोग की संस्तुतियों की वजह से ही इस बार राज्य सरकार ने पिछले वर्षों की तुलना में निर्माण कार्यों के लिए ज्यादा धनराशि की व्यवस्था की।

वेतन, भत्तों, पेंशन पर 22 हजार करोड़ खर्च

राज्य में वेतन-भत्तों व अन्य देयों पर होने वाला खर्च लगातार बढ़ रहा है। सिर्फ वेतन-भत्तों पर करीब 16422.51 करोड़, पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति लाभ पर 6400.19 करोड़ खर्च सरकार को करना पड़ रहा है। ब्याज भुगतान के रूप में 6052.63 करोड़ और ऋणों की देनदारी पर भी 4241.57 करोड़ की राशि खर्च होनी है।

केंद्रीय योजनाओं में 8000 करोड़ की मदद

केंद्रपोषित योजनाओं और बाह्य सहायतित योजनाओं में इस साल तकरीबन सात से आठ हजार करोड़ की राशि राज्य के खाते में आ रही है। सरकार के सामने बड़ी समस्या इस राशि के सदुपयोग की है। केंद्रपोषित योजनाओं की बड़ी राशि खर्च नहीं हो पा रही है। पहले चरण के कार्यों के लिए उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिए जाने से करीब 600 करोड़ की राशि केंद्र के पास लंबित है। केंद्रपोषित योजनाओं में राज्य को 90: 10 के अनुपात में मदद मिल रही है। यानी इस मदद में केंद्र की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत और राज्य की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है। बाह्य सहायतित योजनाओं में भी यह अनुपात तकरीबन 72:28 है। केंद्र की कई फ्लैगशिप योजनाओं में तो राज्य को 100 फीसद वित्तीय मदद मिल रही है। हर साल करोड़ों की राशि का सदुपयोग नहीं हो पाता।

जीएसटी मुआवजा जारी रखने की पैरवी उत्तराखंड समेत तमाम राज्यों को दी जा रही जीएसटी प्रतिपूर्ति की अवधि अगले साल जून माह में खत्म् हो जाएगी। ऐसा हुआ तो राज्य की मुश्किलों में बड़ा इजाफा हो जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत उनके मंत्रिमंडल के तमाम सहयोगी केंद्र सरकार से जीएसटी मुआवजा राशि आगामी वर्षों के लिए जारी रखने की मांग कर रहे हैं। नीति आयोग ने भी राज्य की हालत देखते हुए जीएसटी राशि अगले वर्षों में जारी रखने की राज्य की मांग का समर्थन किया है। जून, 2022 के बाद केंद्र सरकार ने मुआवजा आगे जारी नहीं रखा तो राज्य को 3200 करोड़ से अधिक की हानि उठानी होगी।

प्रदेश में बंद हुईं 327 औद्योगिक इकाइयां

कोरोना काल उद्योगों के बेहद कठिन दौर से गुजरना पड़ा है। प्रदेश में 34033 औद्योगिक इकाइयों में से 327 बंद हो गईं। इससे बड़ी संख्या में कार्मिकों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरने और विभिन्न विभागों में स्वरोजगार के माध्यम से 46,500 व्यक्तियों को रोजगार मुहैया कराने की मुहिम चलाई जा रही है।

आमदनी में कमी, खर्च तेजी से बढ़ा

वित्तीय वर्ष 2010-11 में राज्य का कर राजस्व 4405 करोड़ रुपये था। 2021 में यह बढ़कर 10,791 करोड़ रुपये हो गया है। 2018-19 में राज्य की आय 12,188 करोड़ थी। 2019-20 में यह घटकर 11,513 करोड़ रह गई। 2020-21 में यह 10,791 करोड़ रुपये तक सिमट गई। 10 वर्षों में आमदनी में महज 6386 करोड़ की वृद्धि हुई, जबकि इसी अवधि में खर्च बढ़कर 40,091 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। आय के संसाधन 2.45 गुना बढ़े, जबकि राजस्व खर्च बढ़कर 3.35 गुना हो गया। साल के आखिरी महीने में 500 करोड़ रुपये कर्ज लेकर गुजारा चलाने की नौबत आ गई।

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