Uttarakhand Board Examination Result: उत्तराखंड बोर्ड के परीक्षाफल में पर्वतीय जिलों के आगे पस्त पड़े मैदानी क्षेत्र
उत्तराखंड बोर्ड के परीक्षाफल में पर्वतीय जिलों के छात्र-छात्राओं ने पास होने से लेकर मेरिट सूची में अपनी धमक बनाई।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। Uttarakhand Board Examination Result सुविधाओं और माली हैसियत में दमदार जिले अपने से कमतर पर्वतीय जिलों से उत्तराखंड बोर्ड के परीक्षाफल में मात खा रहे हैं। पर्वतीय जिलों के छात्र-छात्राओं ने पास होने से लेकर मेरिट सूची में अपनी धमक बनाई। हाईस्कूल और इंटर में पास होने वाले परीक्षार्थियों का आंकड़ा धीमी गति से ही सही, लगातार बढ़ रहा है। मैदान से लेकर पहाड़ों तक छात्राएं बोर्ड परीक्षाफल में छात्रों पर अपनी बढ़त बनाए रखने में कामयाब रही हैं। कोरोना संकटकाल में कंटेनमेंट जोन या अन्य कारणों से परीक्षा से वंचित रहे 1219 छात्र-छात्राओं को बोर्ड ने औसत अंक देकर बड़ी राहत दी।
उत्तराखंड बोर्ड के हाईस्कूल और इंटर के परीक्षा परिणाम ने छात्र-छात्राओं के उत्तीर्ण प्रतिशत और गुणवत्ता के मामले में राज्य सरकार और शिक्षा महकमे, दोनों को सुखद अहसास कराया। बावजूद इसके सरकारी शिक्षा पर आम अभिभावक व छात्रों के भरोसे के घटते जाने की बड़ी चुनौती बनी हुई है। हर साल बड़ा बजट खर्च होने के बाद भी स्थिति में अपेक्षा के अनुरूप सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। पिछले कई वर्षों से सरस्वती विद्या मंदिरों और निजी विद्यालयों के बेहतर प्रदर्शन का मुकाबला सरकारी विद्यालय नहीं कर पा रहे हैं। सभी 13 जिलों में यही स्थिति है।
पांच साल में घट गए 15710 छात्र
इंटर में वर्ष 2016 से 2020 तक छात्रसंख्या लगातार गिरी है। वर्ष 2019 से 2020 तक यह संख्या 3454 तक घट गई। 2016 की तुलना में इंटर में 15,710 छात्र घट गए। इसीतरह हाईस्कूल में बीते वर्ष की तुलना में इस बार परीक्षार्थियों की संख्या में 571 का इजाफा हुआ, लेकिन 2016 की तुलना में छात्रसंख्या में आई 13900 की कमी पांच साल बाद भी दूर नहीं हो सकी है। सरकारी विद्यालयों के प्रति बढ़ती बेरुखी के कारणों की तह तक न तो सरकार पहुंची और न ही महकमे ने इसकी जहमत उठाई। सीबीएसई समेत अन्य बोर्डों की तुलना में उत्तराखंड बोर्ड के परीक्षा परिणाम में सुधार की रफ्तार बेहद धीमी है।
5363 परीक्षार्थियों ने छोड़ी परीक्षा
इस बार 5363 परीक्षार्थी रणछोड़ रहे हैं। हाईस्कूल में कुल पंजीकृत में से 3233 और इंटर में 2130 परीक्षार्थियों ने परीक्षा नहीं दी। कुल पंजीकृत 266319 परीक्षार्थियों का यह करीब दो फीसद है। परीक्षा छोड़ने की यह प्रवृत्ति बीते वर्षों से चली आ रही है। माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर ड्रापआउट की यह गंभीर समस्या है।
हाईस्कूल के 823 व इंटर के 396 छात्रों को औसत अंक
कोरोना महामारी के दौर में दूसरे चरण में बीते जून माह में परीक्षा में शामिल नहीं हो सके छात्र-छात्राओं को सीबीएसई की तर्ज पर राहत दी गई। कंटेनमेंट जोन, होम क्वारंटाइन और प्रदेश से बाहर जाने वाले छात्र-छात्राओं को औसत अंक दिए गए। हाईस्कूल में 823 और इंटर में 396 छात्रों को यह लाभ मिला है।
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