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विधानसभा का मानसून सत्र: सदन में अपनों से ही घिरी सरकार

विधानसभा में सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में भाजपा विधायकों ने कई बार अपने सवालों से मंत्रियों को घेरा। यहां तक कि कुछ मामलों में तो नाराजगी तक जताई गई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 09:36 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 09:45 AM (IST)
विधानसभा का मानसून सत्र: सदन में अपनों से ही घिरी सरकार
विधानसभा का मानसून सत्र: सदन में अपनों से ही घिरी सरकार

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: मानसून सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में सरकार अपने, यानी भाजपा के ही विधायकों के सवालों पर घिरी नजर आई। भाजपा विधायकों ने कई बार अपने सवालों से मंत्रियों को घेरा। यहां तक कि कुछ मामलों में तो नाराजगी तक जताई गई। उन्हें इस मामलों में कांग्रेसी विधायकों का भी साथ मिला। इससे जवाब देने वाले मंत्री असहज नजर आए। 

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 विधानसभा में बुधवार को सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में चीड़ के संबंध में विधायक प्रीतम पंवार द्वारा पूछे गए सवाल पर वन मंत्री हरक सिंह रावत घिरे दिखे। मुन्ना सिंह चौहान ने पूछा कि यदि चीड़ से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं है तो फिर एफआरआइ द्वारा दी गई रिपोर्ट में क्यों पातन की बात कही गई है। इसमें काटने को कहा गया है अथवा काट-छांट को। इस पर भी मंत्री स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। इसी तरह शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक निकायों में आरक्षण के मसले पर अपने विधायकों के सवाल से घिरे। विधायक देशराज कर्णवाल के सवाल पर मंत्री मदन कौशिक ने निकायों में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि एक्ट के अनुसार ही नगर पालिका व पंचायतों में सीटों का आरक्षण तय किया गया है। इस पर भाजपा विधायक सुरेश राठौर व विधायक चंदन राम दास ने अनुसूचित जाति की संख्या अनुपात के अनुसार सीटों का आरक्षण सुनिश्चित करने को कहा। मदन कौशिक ने कहा कि इसी आधार पर आरक्षण सुरक्षित किया जा रहा है। इस जवाब पर विधायक चंदन राम दास असंतुष्ट नजर आए।

विधायक के जवाब पर वेल में आए कांग्रेसी

विधायक चंदन रामदास ने जब जवाब से असंतोष जताया तो विपक्ष के विधायक वेल में आ गए। कांग्रेसी विधायकों ने कहा कि भाजपा विधायक ही अपनी सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने भाजपा विधायक को चंदन राम दास से चुटकी लेते हुए कहा कि वह विरोध में आगे आएं, कांग्रेसी विधायक उनके साथ हैं। 

हम ही कर रहे विपक्ष का काम

जब सदन में भाजपा विधायक सवाल पूछ रहे थे तो कांग्रेसी विधायक चुटकी लेते हुए कह रहे थे कि अपने विधायकों को ही सरकार से इतना पूछना पड़ रहा है। इस पर विधायक दिलीप रावत ने कहा विपक्ष अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है, सभी हम कर रहे हैं। 

ऐसा कोई विभाग नहीं जो देखा नहीं

सदन के भीतर प्रश्नकाल में जब वन मंत्री हरक सिंह रावत जवाब दे रहे थे, उस समय विभागीय अधिकारियों ने उन्हें कुछ पर्चे दिए। विपक्ष ने इस पर चुटकी ली और कहा कि अब सूचना आ गई है मंत्री जी जवाब दे देंगे। यह कहना था कि मंत्री हरक सिंह रावत ने तपाक से जवाब दिया कि उन्हें थोड़ी-थोड़ी हर विभाग की जानकारी है और अभी तक वह कई विभाग देख चुके हैं। ऐसे में किसी ने चुटकी ली की केवल मुख्यमंत्री पद को छोड़कर। इस पर पूरा सदन खिलखिला पड़ा। 

एक हजार मीटर से उपर चीड़ के पेड़ों का होगा पातन

वन विभाग एक हजार मीटर से ऊपर तेजी से बढ़ रहे चीड़ के पेड़ों का पातन करेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मांगी है। विधायक प्रीतम सिंह पंवार के सवाल का जवाब देते हुए वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि चीड़ के बीज बोने पर 2005 से प्रतिबंध लगा हुआ है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इनके कटान पर रोक लगाई हुई थी। इससे चीड़ तेजी से फैल रहा था। इस संबंध में एफआरआइ ने एक वैज्ञानिक रिपोर्ट दी है। इसके आधार पर केंद्र से अनुमति मांगी जा रही है। 

अतिक्रमण पर विपक्ष का हंगामा, सरकार को घेरा

अतिक्रमण हटाने के लिए प्रदेशभर में चलाए जा रहे ध्वस्तीकरण अभियान के खिलाफ विपक्ष का गुस्सा फूट पड़ा। विधानसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायकों ने अतिक्रमण अभियान से प्रभावित लोगों के पुनर्वास को कारगर कदम नहीं उठाए जाने को लेकर सरकार को निशाने पर लिया। इस मामले पर सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी झड़प भी हुई।  शहरी विकास एवं आवास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि मुख्य मार्गों के इर्द-गिर्द ही अतिक्रमण हटाया जाएगा। कालोनियों, गली-मोहल्लों में अतिक्रमण हटाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। अतिक्रमण हटाने से घर-दुकान गंवाने वालों को साढ़े तीन लाख रुपये में आवास उपलब्ध कराए जाएंगे। सरकार के जवाब से नाखुश विपक्षी विधायकों ने वेल में पहुंचकर सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मामले में पीठ ने सरकार को निर्देश दिए कि हाईकोर्ट के आदेश पर संचालित अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही का विधिक दृष्टि से परीक्षण कराया जाए। सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि उक्त कार्यवाही से गरीब व्यक्ति का हित प्रभावित न हो।  

विधानसभा में बुधवार को भोजनावकाश के बाद नियम 58 में नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश ने अतिक्रमण हटाने के तौर-तरीकों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि देहरादून के प्रेमनगर में बेदर्दी से अतिक्रमण तोड़े गए हैं। कमोबेश इसी तर्ज पर हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंहनगर के जसपुर और रुद्रपुर समेत तमाम हिस्सों में बसे-बसाए लोगों को उजाडऩा गलत है। मलिन बस्तियों की तर्ज पर अतिक्रमण हटाने से प्रभावितों का पुनर्वास किया जाना चाहिए। विधायक व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि पूरे प्रदेश में अतिक्रमण हटाने के नाम पर मकानों, दुकानों को ध्वस्त करना गंभीर है। 1904 और 1938 के मानचित्र के आधार पर अतिक्रमण हटाए जाने का औचित्य नहीं है। गोविंद सिंह कुंजवाल ने आरोप लगाया कि सरकार तानाशाह की तरह काम कर रही है। ध्वस्तीकरण की नौबत के लिए जिम्मेदार विभागीय कार्मिकों को भी दंडित किया जाना चाहिए। 

जवाब में विभागीय मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि मुख्य मार्गों को छोड़कर कालोनियों, मोहल्लों में अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा। अतिक्रमण हटाने से घर-दुकान गंवाने वालों को सरकार साढ़े तीन लाख की धनराशि में आवास मुहैया कराएगी। जरूरत पड़ी तो इसके लिए ऋण भी उपलब्ध कराया जाएगा। कांग्रेस विधायकों की हाईकोर्ट में सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी न होने के आरोपों के जवाब में कौशिक ने कहा कि इस मामले में यह भी पता चलना चाहिए कि हाईकोर्ट में याचिका डालने वाले लोग किन दलों से जुड़े हुए हैं। सड़कों के किनारे ड्रेनेज के लिए बनाई गई ऊंची नालियों से लोगों को होने वाली परेशानी और इसमें करोड़ों की राशि खर्च करने के आरोपों पर पलटवार करते हुए काबीना मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि पिछली सरकार की ओर से ड्रेनेज पर खर्च की गई करोड़ों की राशि की जांच कराई जा रही है। मंत्री के इस कथन से उत्तेजित विपक्षी विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए। उन्होंने पीठ से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की। मंत्री का जवाब आने के बाद पीठ ने इस सूचना को अग्राह्य कर दिया, साथ में सरकार को यह निर्देश भी दिए कि हाईकोर्ट के आदेश पर चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान का विधिक आलोक में परीक्षण कराया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इस मामले में गरीब व्यक्ति प्रभावित न होने पाए। 

विवेकाधीन कोष: विपक्ष का अनदेखी का आरोप

मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से दी जाने वाली सहायता राशि को लेकर विपक्ष ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया। विपक्षी विधायकों ने कहा कि सरकार इस मामले में भाजपा विधायकों के प्रस्तावों को तुरंत स्वीकृत कर रही है जबकि कांग्रेसी विधायकों के प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है। सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि सभी पात्र लोगों को कोष से सहायता दी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नीति के चलते विवेकाधीन कोष में अब अधिक बोझ नहीं पड़ रहा है। 

बुधवार को सदन में कांग्रेसी विधायक राजकुमार ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मिलने वाली सहायता का मसला उठाया। इसका जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि विवेकाधीन कोष नियमावली के आधार पर पात्रता शर्त पूरा करने वालों को यह सहायता दी जाती है। इसके लिए पात्रता पाने वालों का वर्गीकरण किया गया है। इस पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने आरोप लगाया कि सरकार ने सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के रूप में वर्गीकरण कर रखा है। विपक्ष के विधायकों के प्रस्तावों पर नाम मात्र की सहायता दी जा रही है। वहीं, विधायक करण माहरा ने भी अपनी विधानसभा में अग्निकांड में पीडि़त परिवारों को मुआवजा न देने का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि एसडीएम की रिपोर्ट के बाद भी आर्थिक सहायता नहीं दी गई है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि यदि ऐसा है तो इस प्रकरण को दिखा लिया जाएगा। उन्होंने जोड़ा कि उत्तराखंड अटल आयुष्मान योजना के बाद लोगों को इलाज के लिए आर्थिक सहायता की जरूरत नहीं पड़ेगी।  

विधानसभा अध्यक्ष को सराहा

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा विवेकाधीन कोष से सभी विधानसभा क्षेत्रों में पांच-पांच हजार रुपये दिए जाने पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जबकि विधानसभा अध्यक्ष के विवेकाधीन कोष से सभी विधायकों को बराबर राशि वितरित की गई।

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