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उत्तराखंड पंचायत चुनावः जिला पंचायतों में भाजपा का वर्चस्व, बागियों पर भी नजर

जिला पंचायतों में भाजपा का वर्चस्व है। भाजपा समर्थित करीब 150 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। सात जिलों में भाजपा अपने बूते जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हो सकती है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 08:28 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 12:23 PM (IST)
उत्तराखंड पंचायत चुनावः जिला पंचायतों में भाजपा का वर्चस्व, बागियों पर भी नजर
उत्तराखंड पंचायत चुनावः जिला पंचायतों में भाजपा का वर्चस्व, बागियों पर भी नजर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। सोमवार सुबह से मंगलवार देर रात तक चली मैराथन मतगणना के बाद हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में छोटी सरकार को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। त्रिस्तरीय पंचायतों के सभी नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। जिला पंचायतों में भाजपा का वर्चस्व है। भाजपा समर्थित करीब 150 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इसके साथ ही सात जिलों में भाजपा अपने बूते जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हो सकती है, जबकि शेष जिलों को लेकर वह गुणाभाग में जुट गई है। 

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पार्टी से बगावत कर चुनाव जीते 16 उम्मीदवारों पर भी भाजपा की नजर है। अलबत्ता, चार जिलों में अध्यक्ष पद के लिए उसके लिए राह खासी कठिन साबित हो सकती है। हालांकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का दावा है कि सभी जिला पंचायतों में पार्टी के बोर्ड बनने जा रहे हैं। 

उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने दावा किया कि जिला पंचायत सदस्य पदों पर बड़ी संख्या में उसके समर्थित व विचारधारा वाले उम्मीदवार जीते हैं। पार्टी का दावा है कि छह जिला पंचायतों में कांग्रेस का बोर्ड बनने जा रहा है। दूसरी तरफ, पंचायत चुनाव की मतगणना समाप्त होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी खत्म हो गई है।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के सोमवार सुबह आठ बजे से 89 ब्लाक मुख्यालयों में शुरू हुई मतगणना मंगलवार मध्य रात्रि तक चली। सोमवार मध्य रात्रि तक ग्राम प्रधान पदों के अधिकांश नतीजे घोषित हो चुके थे, जबकि क्षेत्र व जिपं सदस्यों के क्षेत्र बड़े होने के कारण इनमें वक्त लगा। 

मंगलवार को देहरादून को छोड़कर अन्य जिलों में शाम साढ़े चार बजे तक गणना पूरी हुई, जबकि देहरादून में देर रात तक चली। इसके साथ ही सभी नतीजे भी घोषित कर दिए गए। राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट ने बताया कि अब पंचायत चुनाव की आदर्श आचार संहिता भी समाप्त हो गई है।

उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधानों के कुल 7485 पदों में से 1514 पर निर्विरोध निर्वाचन और 124 सीटें रिक्त रहने के कारण शेष 5847 पदों पर चुनाव हुआ। ग्राम प्रधानों के साथ ही ग्राम पंचायत सदस्य पदों के 3824 के नतीजे भी घोषित किए जा चुके हैं। क्षेत्र पंचायत सदस्य के कुल 2984 पदों में से 300 पर निर्विरोध निर्वाचन और 10 पद रिक्त रहने के कारण शेष 2674 के लिए चुनाव हुआ। 

जिला पंचायत सदस्य के कुल 356 पदों में से नौ पर निर्विरोध निर्वाचन के बाद 347 पदों के लिए चुनाव हुआ था। उन्होंने बताया कि एक-दो दिन में निर्वाचित प्रतिनिधियों की सूची शासन को भेज दी जाएगी।

उधर, चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद अब क्षेत्र पंचायत प्रमुखों व जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी शुरू हो गई है। जिला पंचायतों में भाजपा का वर्चस्व रहा। हालांकि, उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग व अल्मोड़ा जिलों में अध्यक्ष पद के लिए उसकी राह आसान नहीं होगी।

उधमसिंहनगर में पार्टी की नजर भाजपा से बगावत कर चुनाव जीते चार उम्मीदवारों पर टिकी है। शेष सात जिलों में वह अपना बोर्ड बनाने की स्थिति में दिख रही है। वहीं, कांगे्रस का दावा है कि वह पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, देहरादून, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ में अच्छी स्थिति में है।

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जिपं अध्यक्षों व प्रमुखों के चुनाव दीपावली बाद

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, जिला व क्षेत्र पंचायत सदस्यों का निर्वाचन होने के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्षों व उपाध्यक्षों और क्षेत्र पंचायतों में प्रमुखों, ज्येष्ठ व कनिष्ठ उपप्रमुखों के चुनाव को लेकर कसरत शुरू हो गई है। राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट ने बताया कि जिपं अध्यक्ष व उपाध्यक्ष और ब्लाक प्रमुखों के चुनाव दीपावली के बाद होंगे। शासन 29 अक्टूबर और आयोग 30 अक्टूबर को इसकी अधिसूचना जारी कर सकता है।

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