विधानसभा सत्र में भाजपा ने लगाई सवालों की झड़ी, तीन विधेयक हुए पारित
विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष के साथ ही भाजपा विधायक भी सवाल पूछने में पीछे नहीं रहे। अब सदन की कार्यवाही सोमवार को सुचारु रहेगी।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष के साथ ही भाजपा विधायक भी सवाल पूछने में पीछे नहीं रहे। सदन में तीन विधेयक पारित किए गए। इनमें उत्तराखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2018, उत्तराखंड सेवानिवृत लाभ 2018 और उत्तराखंड नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्रावधान विधेयक शामिल हैं। अब सदन की कार्यवाही सोमवार को सुचारु रहेगी।
सदन में उत्तराखंड माल और सेवा कर संशोधन विधेयक पर चर्चा करते हुए वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने बताया कि जीएसटी काउंसिल के अनुरूप ही प्रदेश सरकार ने भी बदलाव किए हैं। उत्तराखंड नगर निकायों एवं प्राधिकरण हेतु विशेष प्रावधान विधेयक पर जानकारी देते हुए शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सरकार इस तरह का प्रावधान लाने जा रही है कि निकट भविष्य में मलिन बस्तियों को कोई छेड़खानी नहीं हो सकेगी।
भाजपा विधायकों ने लगाई सवालों की झड़ी
मानसून सत्र के तीसरे दिन भी भाजपा विधायकों ने सदन के भीतर मंत्रियों को निशाने पर रखा। एक के बाद एक अनुपूरक सवाल पूछकर उन्होंने मंत्रियों को असहज किया। स्थिति यह बनी कि संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत को हस्तक्षेप कर स्थिति संभालनी पड़ी। अधिकांश मामलों में भाजपा विधायक जवाब पर सर हिलाते हुए अपनी असंतुष्टि का भाव दिखाते नजर आए।
सदन में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायकों ने सबसे अधिक सवाल शिक्षा विभाग पर पूछे। यमकेश्वर विधायक ऋतु भूषण खंडूड़ी ने शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूलों में एनसीइआरटी की पुस्तकें वितरण करने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में एनसीइआरटी की पुस्तकों की कमी है। यहां तक कि बच्चों को पुरानी पद्धति की पुस्तकों से पढ़ाया गया, जो बच्चों के साथ खिलवाड़ है।
उन्होंने इस दौरान छपी किताबों व इसमें खर्च राशि की जानकारी मांगी। विभागीय मंत्री ने पुस्तकों की संख्या तो बताई लेकिन इसमें खर्च होने वाली राशि की जानकारी नहीं दी। उन्होंने दावा किया कि हर जगह पुस्तकें उपलब्ध हैं लेकिन सवाल का पूरा जवाब न मिलने से विधायक असंतुष्ट नजर आईं।
इसी तरह विधायक भरत चौधरी द्वारा अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के मामले में इनकी संबद्धता निरस्त करने के संबंध में पूछे सवाल ने विभागीय मंत्री को असहज किया।
उन्होंने पूछा कि जब कम छात्र संख्या के चलते सरकारी विद्यालय बंद हो रहे हैं तो क्या सहायता प्राप्त विद्यालयों पर भी यह नियम लागू होगा। इस पर विभागीय मंत्री गोलमोल जवाब देकर रह गए।
इसी तरह स्कूलों के शौचालयों में सफाई व्यवस्था को लेकर भी भी विधायक भरत सिंह चौधरी के सवालों पर मंत्री बचते नजर आए। भाजपा विधायक सबसे अधिक मुखर निकायों के परिसीमन पर हुए।
इस मामले में विधायक सहदेव पुंडीर, मुन्ना सिंह चौहान व उमेश शर्मा काऊ ने लगातार प्रश्न दागे। उन्होंने इस मामले में सरकार से दो टूक जिम्मेदारी के संबंध में भी जानकारी मांगी। ऐसे में संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने मामला कोर्ट में होने का उल्लेख करते हुए बात को संभाला।
विधायक हॉस्टल की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश
विधायक मनोज रावत ने विधायक हॉस्टल में अव्यवस्था का मुद्दा उठाया। उन्होंने इस दौरान व्यवस्थाधिकारी पर जनप्रतिनिधियों की बात न सुनने और अभद्रता का भी आरोप लगाया। इस पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने बताया कि विधायक हॉस्टल के रखरखाव को एक करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। पीठ ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि सरकार इसका निरीक्षण कर स्थिति को सुधारे।
निकाय व पंचायतों के परिसीमन का निकालें समाधान
निकायों के सीमा विस्तार के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए परिसीमन और फिर कोर्ट के आदेश से लगी रोक के कारण कई ग्राम पंचायतों में कामकाज बिल्कुल ठप सा हो गया है। मामला न्यायालय में होने के कारण न इन्हें केंद्र से पंचायतों के लिए जारी धनराशि मिल पा रही है और न ही इन्हें निकायों का लाभ मिल पा रहा है। इस कारण विकास कार्य ठप से हो गए हैं। वहीं इनके संबंध में कोई निर्णय न होने के कारण शहरी विकास विभाग और पंचायती राज विभाग एक दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं।
सदन में इस मामले में चर्चा के दौरान मामले की गंभीरता को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने जनता की समस्याओं के मद्देनजर शहरी विकास और पंचायती राज विभाग को आपसी सामंजस्य व समन्वय बनाकर इनका निस्तारण करने के निर्देश दिए।
सदन में निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ने नगर निकायों के सीमा विस्तार के बाद पंचायतों की मौजूदा स्थिति के बारे में सरकार से जानकारी मांगी। पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडेय ने इसका जवाब देते हुए बताया कि राज्य की कुल 173 ग्राम पंचायतों का वजूद पूर्ण रूप से और 84 ग्राम पंचायतों का वजूद आंशिक रूप से समाप्त हो गया है। परिसीमन से प्रभावित ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है।
अनुपूरक प्रश्न उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश के साथ ही भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ व सहदेव पुंडीर ने विभागीय मंत्री को घेरा। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों को पैसा तो जारी है लेकिन इसे निकालने पर रोक लगी है। इससे यह पैसा खर्च नहीं हो पा रहा है और विकास कार्य ठप पड़े हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इससे स्थिति खराब हो गई है। न तो यहां जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बन पा रहे हैं और न ही सफाई हो पा रही है। ऐसे में इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
मामले में विभागीय मंत्री को फंसता देख संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बचाव करते हुए कहा कि मामला कोर्ट में है। इसलिए इस पर बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने यह स्थिति जरूर साफ की कि जो इलाके निकाय में आ गए हैं, उनकी जिम्मेदारी शहरी विकास और जो ग्रामीण क्षेत्रों में हैं उनकी जिम्मेदारी पंचायती राज विभाग की है।
हालांकि इस उत्तर से सदस्य संतुष्ट नजर नहीं आए। इस पर पीठ ने निर्देश दिए कि इस मामले में शहरी विकास व पंचायती राज विभाग आपसी समन्वय से समस्याओं का समाधान निकालें।
अब तो शहरी विकास मंत्री संज्ञान लें
शहरी क्षेत्र में शामिल की गई पंचायतों की स्थिति स्पष्ट न होने पर पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडेय पर सवालों की बौछार हो रही थी। वह बार-बार इसमें फंस भी रहे थे लेकिन जैसे ही यह कहा गया कि जो क्षेत्र निकाय में आ गए हैं उनकी जिम्मेदारी शहरी विकास की है तो वे तपाक बोल पड़े कि अब शहरी विकास मंत्री इसका संज्ञान लें।
सदन में गूंजा उपनलकर्मियों के नियमितीकरण का मसला
विभिन्न विभागों में उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम (उपनल) के माध्यम से संविदा पर कार्यरत करीब 22 हजार कर्मियों के नियमितीकरण का मसला गुरुवार को सदन में गूंजा। विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने उपनल कर्मियों को नियमित करने और इनके मानदेय में बढ़ोतरी का मामला रखते हुए नियम 58 में इस पर चर्चा कराने की मांग की।
इस पर संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि उपनल कर्मियों के प्रति सरकार गंभीर है। उनके लिए कुशल, अद्र्धकुशल व अधिकारी वर्ग के अनुसार मानदेय नियत किया गया है। जहां तक विनियमितीकरण का प्रश्न है तो यह प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
विस्थापन को विकल्पों पर विचार
चकराता के विधायक प्रीतम सिंह ने भी नियम 58 में लखवाड़ व्यासी जलविद्युत परियोजना की जद में आ रहे लोहारी गांव के परिवारों के पुनर्वास का मामला रखा। इस पर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकरण में 27 करोड़ की अनुग्रह राशि दी जानी है। अब तक 18.77 करोड़ की राशि दी जा चुकी है। पुनर्वास के मद्देनजर भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2014 के आधार पर मुआवजा प्रकरण का निस्तारण किया गया है। जहां तक पूर्ववर्ती शासनादेश का सवाल है तो इसके लिए रेशमफार्म को छोड़ अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
आंबेडकर प्रतिमाओं की होगी सुरक्षा
विधायक ममता राकेश ने भगवानपुर विधानसभा क्षेत्र के खुब्बनपुर में अगस्त में बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा खंडित किए जाने का मामला उठाते हुए इसमें कड़ी कार्रवाई और राज्य में जहां-जहां भी डॉ. आंबेडकर की प्रतिमाएं हैं, वहां सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की। सरकार का पक्ष रखते हुए संसदीय कार्यमंत्री ने बताया कि खुब्बनपुर की घटना के संबंध में पुलिस को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। वहां नई प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए पुलिस को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जरिये भी प्रतिमाओं की देखभाल व सुरक्षा को निर्देशित किया गया है।
जनता की तकलीफें दूर करेगी सरकार
विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने पर्वतीय क्षेत्र में प्राधिकरण के मानकों के अनुसार सड़कों के मध्य से 200 मीटर की दूरी पर निर्माण कार्यों में आ रही कठिनाइयों का मामला रखा। कहा कि इसके चलते लोग निर्माण कार्य नहीं करा पा रहे हैं। यही नहीं, उनसे शुल्क भी लिया जा रहा है। इसके जवाब में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि पिछली सरकार ने जो शुल्क तय किया था, उसे सरकार ने कम कर राहत दी है। अगर कहीं कोई दिक्कत है तो इसका परीक्षण करा लिया जाएगा।
स्कूलों में साफ सफाई की व्यवस्था चिंताजनक
प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। इंटरमीडिएट स्तर के कॉलेजों में तो प्रधानाचार्य उपनल अथवा पीआरडी से आउटसोर्सिंग के जरिये सफाई कर्मचारी रख सकते हैं लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यहां तक कि कई इंटरमीडिएट और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शौचालय विहीन हैं। सदन में स्कूलों की सफाई व्यवस्था पर हुई चर्चा के दौरान यह बात सामने आई। सरकार का कहना है कि स्कूलों के परिसर में बच्चों द्वारा श्रमदान के माध्यम से साफ-सफाई कराई जा सकती है।
सदन में विधायक भरत चौधरी ने स्कूलों में साफ सफाई का मसला उठाया। उन्होंने पूछा कि स्कूलों में सफाई कर्मचारियों के कितने पद हैं और सभी विद्यालयों में सरकार की सफाई कर्मचारियों को नियुक्त करने की क्या योजना है। जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि प्रदेश में कुल 1764 विद्यालयों में सफाई कर्मियों के पद सृजित हैं। इसके सापेक्ष अभी 392 पदों पर ही सफाई कर्मचारी हैं। अब समूह घ के पद मृत संवर्ग में आ गए हैं इस कारण इनमें नियमित नियुक्ति नहीं की जा सकती। आवश्यकता पड़ने पर प्रधानाचार्य आउटसोर्सिंग के माध्यम से इनकी नियुक्ति कर सकते हैं।
उन्होंने बच्चों के श्रमदान के माध्यम से सफाई करवाने की बात कही तो सदन में आवाज उठी कि क्या शौचालय भी। इस पर मंत्री ने तुरंत स्पष्ट किया कि वह परिसर की बात कर रहे हैं। वहीं अनुपूरक प्रश्न के माध्यम से विधायक ममता राकेश ने प्राथमिक स्कूलों का मसला उठाया।
उन्होंने कहा कि वह स्वयं प्राथमिक स्कूल में प्रधानाध्यापक रह चुकी हैं। यह देखा गया है कि प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों से ही साफ सफाई का काम कराया जाता है। प्राथमिक स्कूलों में आउटसोर्सिंग बंद है। ऐसे में यहां शौचालय व परिसर की साफ सफाई में खासी दिक्कतें आती हैं। इस पर सरकार कोई उचित व्यवस्था दे।
हालांकि विभागीय मंत्री फिर से प्रधानाध्यापक के जरिये ही आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की तैनाती का जवाब देकर बैठ गए। मंत्री के इस जवाब से विधायक भरत चौधरी व ममता राकेश असंतुष्ट नजर आए।
बेहतर नहीं हैं राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों के हालात
प्रदेश में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। कई जगह ये विद्यालय एक कमरे में चलाए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर इन्हें दुरुस्त किया जाएगा। गुरुवार को सदन में विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने नवोदय विद्यालयों का मसला उठाया।
जवाब में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बताया कि चमोली, ऊधमसिंह नगर, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर व उत्तरकाशी में नवोदय विद्यालयों के लिए जमीन मिल गई है। गैरसैंण में नवोदय विद्यालय बनाने का काम शुरू हो रहा है। कई स्कूल एक कमरे में संचालित हो रहे हैं। वित्तीय संसाधन उपलब्ध होते ही इन स्थानों पर भवन निर्माण कर दिया जाएगा।
दूरी के आधार पर बंद होने वाले स्कूलों का परीक्षण
एक किमी के दायरे में प्राथमिक स्कूल व तीन किमी के दायरे में उच्च प्राथमिक स्कूल के नियम का पालन कई विधानसभा क्षेत्रों में नहीं हो पा रहा है। इसके कारण बच्चों को दूरदराज पढ़ने जाना पड़ रहा है।
विधायक प्रीतम पंवार व प्रीतम सिंह द्वारा यह मसला रखने के बाद सरकार ने इसका परीक्षण की बात कही है। आदर्श विद्यालयों के मामले में भी सरकार ने शीघ्र प्रवक्ताओं की नियुक्त करने की बात कही। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना था कि आदर्श विद्यालयों में अध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं। नियमित शिक्षक न होने की स्थिति में अस्थायी शिक्षकों से अध्यापन कार्य कराया जा रहा है।
ड्रॉप आउट की संख्या में आ रही कमी
प्रदेश सरकार का दावा है कि प्रदेश में ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या में कमी आ रही है। गुरुवार को सदन में विधायक प्रीतम पंवार के सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिन छात्रों के अभिभावक रोजगार की तलाश में उत्तराखंड आते हैं और फिर चले जाते हैं, वही छात्र ड्रॉपआउट की श्रेणी में आते हैं।
सरकार सरकार अपने प्रयासों और एनजीओ की मदद से ऐसे छात्रों को वापस शिक्षा दिलाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों की तुलना में प्राथमिक विद्यालय में 2.37 और माध्यमिक विद्यालयों में 3.47 प्रतिशत की कमी आई है।
प्रबंधन सरकार के हाथ लेने पर होगा विचार
सदन में विधायक भरत सिंह चौधरी ने अशासकीय विद्यालयों का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि जब अशासकीय विद्यालयों के रखरखाव और पूरे स्टाफ को वेतन देने की जिम्मेदारी सरकार पर है तो फिर प्रबंधन क्यों इनमें अपने स्तर पर ही भर्ती प्रक्रिया व अन्य कार्य कराते हैं। जब पूरा खर्च सरकार को देना है तो वह इनका प्रबंधन अपने हाथ में क्यों नहीं ले लेती।
इन स्कूलों में निश्चित छात्र संख्या कम होने पर क्यों इन्हें बंद करने की दिशा में कदम नहीं उठाए जा सकते। जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि अशासकीय स्कूलों को एक निर्धारित प्रक्रिया पूरी करने के बाद सरकार द्वारा मान्यता दी जाती है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन के संबंध में दिए गए सुझाव पर विचार किया जाएगा।
बालिका इंटर कॉलेज गैरसैंण में विज्ञान विषय अगले सत्र से
प्रदेश सरकार बालिका इंटर कॉलेज गैरसैंण में विज्ञान विषय पर कक्षाएं अगले शैक्षणिक सत्र से शुरू कर देगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी के सवाल का जवाब देते हुए यह आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि अन्य बालिका इंटर कॉलेजों में जहां विज्ञान विषय नहीं है वहां छात्रों की संख्या और वित्तीय संसाधन की उपलब्धता पर पद सृजित किए जाएंगे।
चंदन रामदास ने सदन में इस्तीफे का किया ऐलान, वापस लिया
बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय आदमखोर गुलदार को एक सप्ताह के भीतर न मारे जाने पर विधायक बागेश्वर चंदन राम दास ने सदन में इस्तीफे का ऐलान कर डाला। इससे कुछ देर के लिए सदन में सन्नाटा छा गया। संसदीय कार्यमंत्री ने प्रकाश पंत ने मामले को संभालते हुए उनसे अपना ऐलान वापस लेने का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। हालांकि, बाद में सदन में नियम 53 के तहत उन्होंने इस मामले को रखा। अब अगले कार्यदिवस पर सरकार इस पर जवाब देगी।
विधायक बागेश्वर चंदन राम दास ने व्यवस्था के प्रश्न के तहत बागेश्वर में सक्रिय गुलदार का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में गुलदार पहले तीन बच्चों को निशाना बना चुका है। बीते रोज ही वह एक छह साल की बच्ची को उठा चुका है। इससे बागेश्वर के लोगों में नाराजगी है और उन्होंने चक्का जाम किया हुआ है।
उन्होंने कहा कि वन विभाग की एक टीम तुरंत वहां जाए और आदमखोर गुलदार को चिह्नित कर उसे खत्म करे। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर वह एक सप्ताह के भीतर विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने पीठ से अनुरोध किया कि विधायक बागेश्वर ने इस मामले को नियम 53 के तहत उठाया है। ऐसे में तभी इस मामले को सुना जाए। शाम को उन्होंने फिर से इस विषय को सदन में रखा। अब सोमवार को सरकार का इस पर पक्ष आएगा।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड कैबिनेट के फैसलेः उद्योगों के लिए रेड कार्पेट, राज्य कर्मियों की बल्ले-बल्ले
यह भी पढ़ें: विधानसभा का मनसून सत्र: कानून व्यवस्था पर विपक्ष ने सरकार को घेरा
यह भी पढ़ें: विधानसभा का मानसून सत्र: सदन में अपनों से ही घिरी सरकार