फोटो:: पर्यावरण के संतुलन को जैव विविधता संरक्षण जरूरी
जैव विविधता का संरक्षण जीवन के लिए जरूरी है। पर्यावरण संरक्षण के लिए हर किसी को प्रत्यक्ष रूप से आगे आना होगा और जैव विविधता के बचाव पर ध्यान देना होगा।
जागरण संवाददाता, देहरादून: जैव विविधता का संरक्षण जीवन के लिए जरूरी है। इसकी चुनौतियां स्वीकार करते हुए हर व्यक्ति को जिम्मेदारी से संरक्षण को आगे आना होगा। ताकि हिमालय के सर्वागीण विकास और पर्यावरण का संतुलन बनाया जा सके। इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने जैव विविधता को लेकर कई सवाल-जवाब किए।
एसजीआरआर कॉलेज पथरीबाग में भारत में जैव विविधता संरक्षण पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी हिमालयन अभ्युदय सामाजिक संस्थान देहरादून, उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद एवं उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के संयुक्त तत्वावधान में हुई। इस मौके पर जैव विविधता संरक्षण, मुद्दे, चुनौतिया, समाधान एवं दूरस्थ शिक्षा की भूमिका पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इस मौके पर मुख्य अतिथि यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने कहा कि हिमालय के पर्यावरण संतुलन में यूसैक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण से ही पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा। इसके लिए अंतरिक्ष आधारित सूचना तकनीकी का महत्वपूर्ण योगदान है। यूसैक राज्य में इस कार्य में जुटा है। ताकि जैव विविधता संरक्षित रह सके। इस मौके पर मुख्य वक्ता सचिदानंद भारती ने कहा कि गोमुख ग्लेशियर पर आज तक सबसे अधिक अध्ययन हुए हैं। इसमें ग्लेशियर के पीछे खिसकने जैसे तथ्य सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ में पानी की मौजूदगी से जैव विविधता संरक्षित रहेगी। पहाडों में पानी रोकने के ठोस कदम उठाने होंगे। इस मौके पर डॉ. पुष्पेंद्र कुमार शर्मा, एसजीआरआर के प्राचार्य प्रो. विनय आनंद बौड़ाई, डॉ. सुभाष रमोला आदि ने भी जैव विविधता संरक्षण में दूरस्थ शिक्षा की भूमिका के बारे में जानकारी दी। संगोष्ठी की संयोजक डॉ. भावना डोभाल और सह संयोजक नरेंद्र जगूड़ी ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। इस दौरान संस्थान के अध्यक्ष राकेश डोभाल, डॉ. संदीप नेगी, डॉ. एचवी पंत, डॉ अंकिता बोरा, बृजमोहन सिंह खाती, संदीप रावत, साक्षी शकर, हरीश जोशी, चेतबहादुर थापा, अंजली सेमवाल, रश्मि बहुगुणा आदि मौजूद रहे।