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दून मेडिकल कालेज में कोरोना जांच रिपोर्ट को लेकर सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा

दून मेडिकल कालेज में कोरोना जांच रिपोर्ट को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसमें भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पोर्टल से वैध डाटा लेकर मरीज का नाम बदल दिया गया और संबंधित व्यक्ति को इच्छानुसार पाजिटिव या निगेटिव दिखाया गया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 01:53 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 01:53 PM (IST)
दून मेडिकल कालेज में कोरोना जांच रिपोर्ट को लेकर सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा
दून मेडिकल कालेज में कोरोना जांच रिपोर्ट को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून मेडिकल कालेज में कोरोना जांच रिपोर्ट को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसमें भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पोर्टल से वैध डाटा लेकर मरीज का नाम बदल दिया गया और संबंधित व्यक्ति को इच्छानुसार पाजिटिव या निगेटिव दिखाया गया। ऐसे एक या दो नहीं, कई मामले हैं।

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बीती 25 मई को बिनय कुमार नाम के व्यक्ति की रिपोर्ट में उसे कोरोना पाजिटिव दिखाया गया था। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. केसी पंत को इस रिपोर्ट में कुछ बातें खटकीं। रिपोर्ट में न केवल शाब्दिक गलतियां थीं, बल्कि रिपोर्ट से अनिवार्य क्यूआर कोड भी गायब था। उन्होंने रिपोर्ट को सत्यापन के लिए भेजा तो पता चला कि मूल रिपोर्ट महाराष्ट्र के 21 वर्षीय किसी व्यक्ति की है। पड़ताल करने पर पता चला कि ऐसे कई मामले हैं। बताया गया कि प्रत्येक प्रयोगशाला और अस्पताल में बहुत कम व्यक्ति आइसीएमआर पोर्टल को एक्सेस कर सकते हैं। पोर्टल पर ही परीक्षण के परिणाम अपडेट किए जाते हैं।

प्रत्येक रिपोर्ट में तीन आइडी होती हैं। जिनमें आइसीएमआर आइडी, एसआरएफ (सैंपल रेफरल फार्म) आइडी और रोगी की आइडी शामिल है। न तो इन आइडी में फेरबदल किया जा सकता है और न ही टेस्ट के परिणाम में। ऐसे में मूल डाटा में नाम आदि परिवर्तित कर रिपोर्ट बनाई गई हैं। दून मेडिकल कालेज के ही एक वरिष्ठ चिकित्सक के अनुसार रिपोर्ट अपलोड होने के बाद नाम, उम्र और लिंग में बदलाव संभव है। यह भी वही व्यक्ति कर सकता है, जिसके पास पोर्टल पर एक्सेस है।

मेडिकल कालेज में जांच में पहले भी हुई गड़बड़ी

दून मेडिकल कालेज में इससे पहले भी जांच में फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। तब बाहर से सैंपल लेकर इनकी जांच मेडिकल कालेज में मुफ्त कराने की बात सामने आई थी। इसमें कालेज के स्टाफ के साथ ही एक निजी लैब के कर्मचारी का नाम सामने आया था। निजी लैब का कर्मचारी घरों में जाकर सैंपल लेता था और इसके एवज में पैसे भी लेता था। ये सैंपल जांच के लिए मेडिकल कालेज भिजवाए जाते थे, जहां जांच मुफ्त होती है। इस मामले की जांच चल रही है।

कई तरह के हित साधे जा सकते हैं कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट से

फर्जी कोरोना रिपोर्ट के आधार पर व्यक्ति अपने कई हित साध सकता है। किसी यात्रा, परीक्षा में बैठने या फिर वापस ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए निगेटिव रिपोर्ट इस्तेमाल की जा सकती है। वहीं पाजिटिव रिपोर्ट का फायदा व्यक्ति किसी चिकित्सकीय दावे या अवकाश आदि के लिए उठा सकता है। 

-डा. आशुतोष सयाना (प्राचार्य, दून मेडिकल कालेज) का कहना है कि इस प्रकरण की जांच की जा रही है। कुछ पक्ष अभी स्पष्ट नहीं हैं। पोर्टल से छेड़छाड़ हुई है तो किस स्तर पर हुई, इसकी जानकारी ली जा रही है। इसके अलावा शासन से भी परामर्श लिया जा रहा है।

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