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उत्तराखंड में बैटरी चालित वाहनों को बढ़ावा देने की तैयारी Dehradun News

उत्‍तराखंड में में भी अब बैटरी चालित वाहनों को बढ़ावा देने की तैयारी है। अभी प्रदेश में तकरीबन 12000 बैटरी चालित वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं।

By Edited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 09:27 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 11:59 AM (IST)
उत्तराखंड में बैटरी चालित वाहनों को बढ़ावा देने की तैयारी Dehradun News
उत्तराखंड में बैटरी चालित वाहनों को बढ़ावा देने की तैयारी Dehradun News

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में भी अब बैटरी चालित वाहनों को बढ़ावा देने की तैयारी है। केंद्र की ओर से बैटरी चालित वाहनों को नए रजिस्ट्रेशन और नए रजिस्ट्रेशन मार्क के लिए फीस से छूट दिए जाने से विभाग के प्रयासों को बल मिला है। अभी प्रदेश में तकरीबन 12000 बैटरी चालित वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं।

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प्रदेश में तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ रही है। इनमें अधिकांश पेट्रोल तथा डीजल चालित वाहन शामिल हैं। इनसे लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। वाहनों से बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए बैटरी चालित यानी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उत्तराखंड में भी पर्यावरण के मद्देनजर सरकार इस तरह के वाहनों को बढ़ावा दे रही है। परिवहन निगम ने कुछ समय पहले देहरादून से मसूरी और हल्द्वानी से नैनीताल के बीच इलेक्ट्रिक बसों का संचालन ट्रायल के तौर पर किया था। 

इसकी सफलता के बाद प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह की बसें चलाने की योजना है। इसके लिए परिवहन निगम सरकार से स्वीकृति भी ले चुका है। इसके अलावा प्रदेश में बैटरी चालित ई-रिक्शा की संख्या भी प्रदेश में तेजी से बढ़ रही है। संकरे मार्गो पर इनके आसानी से आवागमन के कारण यात्री इनका उपयोग भी कर रहे हैं। इसके अलावा बैटरी चालित दुपहिया वाहनों की बिक्री भी प्रदेश में हो रही हैं हालांकि, इनका आंकड़ा बहुत उत्साहजनक नहीं है। 

प्रदेश में चल रहे इलेक्ट्रिक अथवा बैटरी चलित वाहनों की संख्या पर नजर डालें तो अभी तकरीबन 12 हजार बैटरी चलित वाहन संचालित हो रहे हैं। विभाग की मंशा इसकी संख्या लगातार बढ़ाने की है। इसके लिए लगातार नीति में प्रोत्साहन देने प्रावधान भी किए जा रहे हैं। अब केंद्र द्वारा बैटरी चालित वाहनों के रजिस्ट्रेशन और रजिस्ट्रेशन मार्क फीस में छूट का प्रावधान किए जाने संबंधी अधिसूचना जारी किए जाने से विभाग के प्रयासों को बल मिलने की उम्मीद है। हालांकि, केंद्र की अधिसूचना जारी होने के बाद इसमें आपत्तियां आएंगी और फिर इसे नियमावली में शामिल किया जाएगा। इसमें तकरीबन एक माह का समय लगने की उम्मीद है।

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