शीतकाल के लिए कल बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट, मंदिर को 20 क्विंटल फूलों से सजाया
कल शनिवार को बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इस बाद मंदिर को 20 क्विंटल रंग विरंगे फूलों से सजाया गया है। कपाट बंद होने के बाद उद्धव जी कुबेर जी व शंकराचार्य जी की गद्दी डोली बदरीनाथ में ही रात्रि प्रवास करेगी।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर (चमोली)। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए कल शनिवार शाम छह बजकर 45 मिनट पर बंद हो जाएंगे। मंदिर के कपाट बंद होने के उत्सव को यादगार बनाने के लिए देवस्थानम बोर्ड तैयारियों में जुटा है। 20 क्विंटल रंग विरंगे फूलों से मंदिर को सजाया गया है। कपाट बंद होने के बाद उद्धव जी, कुबेर जी व शंकराचार्य जी की गद्दी डोली बदरीनाथ में ही रात्रि प्रवास कर 21 नवंबर को पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी।
शुक्रवार को 2768 तीर्थ यात्रियों ने श्री बदरीनाथ धाम के दर्शन किए है। आज तक श्री बदरीनाथ धाम के दर्शन को 1,91,106 तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं। कपाट बंद होने के अवसर पर दिनभर मंदिर में यात्री दर्शन कर सकेंगें। मंदिर को बंद करने के उत्सव को यादगार बनाने के लिए बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश ने श्री बदरीनाथ मंदिर को 20 क्विंटल गेंदा गुलाब, कमल आदि फूलों और पत्तियों से सजाया है। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड ने बताया कि इस बार चारधामों में पांच लाख रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे हैं। जिनमें से बदरीनाथ धाम में 1,91,106, केदारनाथ धाम में 2,42,712, गंगोत्री में 33,166 और यमुनोत्री 33306 तीर्थयात्री पहुंचे हैं। चार धाम पहुंचने वाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या अब तक 5,00,290 है।
बदरीनाथ कपाट बंद होने को लेकर दिनभर कार्यक्रम
- प्रात:4.30 मंदिर खुलेगा
- पांच बजे बजे अभिषेक
- आठ बजे बाल भोग
- 11.30 दिन का भोग
- शाम 6.30 उद्धव जी कुबेर जी गर्भ गृह से मंदिर परिसर में आएगें। इसके बाद बदरीनाथ के रावल द्वारा माता लक्ष्मी को गर्भ गृह में विराजमान करेंगे।
- शाम 6.45 बजे शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे।
21नवंबर
- प्रात: 9.30 श्री उद्धव जी कुबेर जी की डोली रावल के साथ आदि गुरु शंकराचार्य जी की डोली के साथ पांडुकेश्वर आगमन प्रवास पांडुकेश्वर।
- श्री उद्धव जी कुबेर जी पांडुकेश्वर में विराजमान।
22 नवंबर
- श्री रावल जी के साथ आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ आगमन
- आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी जोशीमठ आगमन के साथ ही योग बदरी पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह बदरी जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू।
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