सरकार अपनों से घिरी, विपक्ष को उलझाया
उत्तराखंड विधानसभा ने इस चार दिनी मानसून सत्र में रिकॉर्ड कायम हुआ। इस दौरान कुल 19 घंटे 29 मिनट चली सदन की कार्यवाही एक दिन भी स्थगित नहीं हुई।
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून
उत्तराखंड विधानसभा ने इस चार दिनी मानसून सत्र में रिकॉर्ड कायम हुआ। इस दौरान कुल 19 घंटे 29 मिनट चली सदन की कार्यवाही एक दिन भी स्थगित नहीं हुई। अलबत्ता मंत्रियों के कमजोर होमवर्क से सरकार की किरकिरी हुई। अपनों ने ही सदन के भीतर सरकार को घेरने में कसर नहीं छोड़ी तो पीठ ने भी मंत्रियों को सही जवाब देने और नौकरशाहों को निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल का पालन करने की नसीहत दी। विपक्षी दल कांग्रेस ने महंगाई, कानून व्यवस्था, अतिक्रमण, दैवीय आपदा, लोकायुक्त के मुद्दों को उठाकर सरकार को जवाब देने को मजबूर तो किया, लेकिन सरकार ने जवाबी पलटवार से विपक्ष बगलें झांकता नजर आया।
18 सितंबर से लेकर 24 सितंबर तक, कुल चार दिनी विधानसभा सत्र में सरकार विपक्ष से कहीं ज्यादा अपनों के ही निशाने पर रही। सत्तापक्ष के विधायकों के प्रश्नों के आगे मंत्री बैकफुट पर दिखाई दिए। मंत्रियों की कमजोर तैयारी पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी सख्त रहे। नतीजतन चार दिन के दौरान चार मौके ऐसे आए, जब पीठ को सरकार और नौकरशाहों को ताकीद करते हुए विनिश्चय देना पड़ा। लीसा मामले में सदन को सही जानकारी देने, निकायों के परिसीमन पर शहरी विकास एवं पंचायती राज विकास को समन्वय बनाने, अतिक्रमण पर विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों पर सरकार को समाधान निकालने और विधायकों के प्रोटोकॉल को लेकर अधिकारियों को पीठ ने निर्देश दिए। साथ में राज्य आंदोलनकारियों को लाभ-पेंशन सम्मान सुविधाएं देने के लिए सरकार को एक समेकित व स्पष्ट नीति की अधिसूचना जारी कर प्रकरणों को निस्तारित करने को भी कहा गया है। पीठ के इस रुख से सरकार सहमी दिखाई दी।
विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य और केंद्र की सरकारों को निशाने पर लेते हुए कई मुद्दे उठाए तो सरकार को ठोस जवाब देने के लिए बाध्य करने में सफल रही। सत्र की शुरुआत में बिखरी दिखाई पड़ रही कांग्रेस बाद में सदन के भीतर अपने सदस्यों को एक लय में रखने में सफल रही। हालांकि सत्तापक्ष के साथ ही विपक्ष भी कई मौकों पर कमजोर होमवर्क का शिकार रहा। यही वजह है कि महंगाई, अतिक्रमण, कानून व्यवस्था के मुद्दों को लेकर आक्रमण जितना तेजी से हुआ, सरकार के जवाब के सामने विपक्ष उतना ही पस्त होता दिखा।
अलबत्ता, विधानसभा ने इस सत्र में बगैर बाधा के कार्यवाही संचालित करने का रिकॉर्ड भी बनाया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि सदन एक दिन भी स्थगित न होना, अपनेआप में इतिहास है। सदन में वर्ष 2018 के दूसरे सत्र में 1020 प्रश्न प्राप्त हुए। इनमें 159 तारांकित प्रश्नों में 60 उत्तरित हुए। 740 अतारांकित प्रश्नों में 349 के उत्तर दिए गए। आठ अल्पसूचित प्रश्नों में चार अल्पसूचित प्रश्न के जवाब मिले। यह भी रिकॉर्ड है कि 18 सितंबर से 20 सितंबर तक सदन के पटल पर प्रश्नकाल के दौरान सभी तारांकित प्रश्नों को समयावधि में उत्तरित कराया गया।