उत्तराखंड विधानसभा सत्रः एंग्लो इंडियन के मुद्दे पर कांग्रेस मुखर
एंग्लो-इंडियन समुदाय को संसद और राज्य विधानसभाओं में नामित किए जाने का अधिकार जारी रखने को लेकर कांग्रेस विधानसभा में मुखर रही।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। एंग्लो-इंडियन समुदाय को संसद और राज्य विधानसभाओं में नामित किए जाने का अधिकार जारी रखने को लेकर कांग्रेस विधानसभा में मुखर रही। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि एक दिनी विधानसभा सत्र के एजेंडे में यह विषय शामिल नहीं रहा।
विधानसभा में मंगलवार को संविधान (126 वां संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस ने लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन को प्रतिनिधित्व जारी रखने का मुद्दा उठाया। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा, गोविंद सिंह कुंजवाल, हरीश धामी ने कहा कि अनुसूचित जातियों-जनजातियों के लिए आरक्षण जारी रखने के साथ ही एंग्लो-इंडियन का प्रतिनिधित्व जारी रखने के लिए उत्तराखंड विधानसभा से संकल्प पारित होना चाहिए।
विधानसभा में 71वें एंग्लो-इंडियन विधायक जॉर्ज आइवन ग्रेगरीमैन ने एंग्लो-इंडियन समुदाय को लोकसभा और विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व आगे 10 वर्ष के लिए जारी रखने का समर्थन करने की राज्य सरकार से गुजारिश की। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश के शैक्षिक, चिकित्सा, सुरक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में इस समुदाय का बड़ा योगदान है। इस समुदाय की आबादी घट रही है।
हालांकि देश में महज 296 आबादी और उत्तराखंड में शून्य आबादी दर्शाने पर उन्होंने आपत्ति जताई। देशभर में कम आबादी पर उन्होंने कहा कि जनगणना में एंग्लो-इंडियन का कॉलम नहीं होने से इसकी सदस्य संख्या दर्ज नहीं हो पाई। उत्तराखंड में ही यह समुदाय 16 प्रतिष्ठित स्कूलों को संचालित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास पर जोर दिया है। एंग्लो-इंडियन समुदाय राज्य में सरकार के कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार में योगदान दे रहा है। साथ ही इस समुदाय के कई लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री और मंत्रियों से भी समर्थन मांगा। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने सदन को बताया कि देशभर में एंग्लो-इंडियन समुदाय की आबादी सिर्फ 296 रह गई है।
केंद्र की पिछली सरकारों के फैसलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे पहले एंग्लो-इंडियन समुदाय को दिए गए कई अधिकारों में कटौती की गई है। 70 वर्ष की अवधि की समाप्ति यानी 25 जनवरी, 2020 के बाद एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए प्रतिनिधित्व का प्रावधान आगे जारी नहीं रहेगा। अलबत्ता, मौजूदा विधायक अपने पूरे कार्यकाल तक बने रहेंगे।
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