उत्तराखंड कैबिनेट के फैसले से आशाएं नाराज, आंदोलन का किया एलान; जानिए क्या है वजह
उत्तराखंड में आशा स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता यूनियन ने मानदेय के साथ ही प्रोत्साहन राशि में की गई बढ़ोतरी को नाकाफी बताया है। उन्होंने राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा आज से फिर आंदोलन का एलान कर दिया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। सीटू से संबद्ध आशा स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता यूनियन ने मानदेय व प्रोत्साहन राशि में की गई बढ़ोतरी को नाकाफी बताया है। उत्तराखंड सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा आज से फिर आंदोलन का एलान किया है। आशा स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे ने कहा कि मानदेय बढ़ोतरी सहित अन्य मांगों को लेकर आशाएं दो अगस्त से कार्य बहिष्कार पर थीं।
इस दौरान सचिवालय, विधानसभा और सीएम आवास कूच भी उन्होंने किया। इस पर कुछ वक्त पहले शासन स्तर पर उक्त मांगों के संदर्भ में बैठक हुई थी। जिसमें कई बिंदुओं पर सहमति बनी थी, पर कैबिनेट की बैठक में आशाओं का केवल एक हजार रुपये मानदेय और पांच सौ रुपये प्रोत्साहन राशि बढ़ाई गई है।
इससे आशाओं में निराशा है। जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है। यह बढ़ोतरी नाकाफी है। स्वास्थ्य सचिव व महानिदेशक की मौजूदगी में बनी सहमति के अनुसार चार हजार रुपये की बढ़ोतरी की जानी थी। इससे जनता में भी यह संदेश गया कि आशाओं को अब प्रतिमाह 11 हजार रुपये मिलेंगे। सरकार के इस फैसले से आहत आशाएं 13 अक्टूबर से काली पट्टी बांधकर काम करेंगी। वहीं आगामी चुनाव में भाजपा सरकार को मुंहतोड़ जवाब देंगी।
सीएम आवास से आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता गिरफ्तार
पुलिस की सुरक्षा को धता बताते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी। आनन-फानन में सीओ मसूरी नरेंद्र पंत, कैंट और डालनवाला पुलिस समेत मौके पर पहुंचे और उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन कार्यकर्त्ता नहीं माने। इस पर पुलिस ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए 33 कार्यकर्त्ताओं को गिरफ्तार कर पुलिस लाइन भेज दिया। जहां निजी मुचलके पर उनको छोड़ दिया गया। इसके बाद आक्रोशित कार्यकर्त्ता पुलिस लाइन परिसर में ही देर रात तक डटे रहे।
आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सेविका, मिनी कर्मचारी संगठन से जुड़े प्रदेशभर के कार्यकर्त्ता बीते सोमवार को दून पहुंच चुके थे। मंगलवार को कैबिनेट में मानदेय बढ़ोतरी का मुद्दा नहीं उठा तो आक्रोशित कार्यकर्त्ता दोपहर को जैन धर्मशाला से होते हुए मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए। यहां करीब साढ़े तीन घंटे तक उन्होंने नारेबाजी की। एलआइयू और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी ने कहा कि बीते माह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मानदेय बढ़ाने और कटा हुआ मानदेय वापस दिलाने का भरोसा दिया था। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं की गई।
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इसके चलते कार्यकर्त्ता 28 अक्टूबर से कार्यबहिष्कार पर हैं। उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि इस कैबिनेट में उनकी 18 हजार रुपये मानदेय की मांग रखी जाएगी, लेकिन इस बार भी अनदेखा किया गया। कहा कि बुधवार को सभी जिलों में कार्यकर्त्ता लंबित मांग और पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के विरोध में रैली निकालेंगे। उन्होंने अन्य संगठनों से जुड़े कार्यकर्त्ताओं से भी आगे आने की अपील की। इस मौके पर संगठन की जिलाध्यक्ष पिंकी सिंह, पुष्पा सजवाण, मीनाक्षी रावत, मीना रावत, पूनम कैंतुरा, रीता नेगी आदि मौजूद रहे।
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