यहां पांचवीं के 35 फीसद छात्र नहीं पढ़ सकते दूसरी का पाठ, जानिए
उत्तराखंड में शिक्षा के हालत कुछ ठीक नहीं है। आज भी यहां पाचवीं कक्षा के करीब 35 फीसद बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ नहीं पढ़ सकते।
देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद पिछले चार साल में इनमें मामूली सुधार ही नजर आ रहा है। आज भी पाचवीं कक्षा के करीब 35 फीसद बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ नहीं पढ़ सकते। वहीं, आठवीं कक्षा के 51 फीसदी बच्चे गणित के दो अंकों के बीच भाग नहीं दे सकते।
शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत देश के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठन 'प्रथम' के वार्षिक सर्वेक्षण 'एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट' (असर)-2018 के अध्ययन से यह जानकारी मिली है। मंगलवार को यह रिपोर्ट जारी की गई। यह रिपोर्ट ग्रामीण उत्तराखंड के 7320 परिवारों और 3 से 16 वर्ष के 10,145 बच्चों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इस रिपोर्ट के आधार पर कहा जा सकता है कि स्कूलों में अवस्थापना सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई है, पर गुणवत्तापरक शिक्षा से हम अब भी कोसों दूर हैं। मसलन, कक्षा तीन के 6.3 प्रतिशत छात्रों को अक्षर ज्ञान तक नहीं है। खुशी की बात यह है कि स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति का प्रतिशत जरूर सुधर रहा है। बालिका शिक्षा की स्थिति भी पिछले एक दशक में बेहतर हुई है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष नामांकन और उपस्थिति समग्र नामांकन (6-14 वर्ष): स्कूल जाने से वंचित बच्चों की संख्या पहली बार न्यूनतम 1.5 प्रतिशत पर आई है।
स्कूल जाने से वंचित लड़कियां: वर्ष 2006 में 15-16 वर्ष की स्कूल न जाने वाली लड़कियों का प्रतिशत 13.8 फीसद था। अब यह गिरकर 6.6 फीसद पहुंच गया है।
निजी स्कूलों में नामांकन: गत वर्ष कक्षा दो में नामांकन 49.8 फीसद, कक्षा आठ में 34.6 फीसद था।
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