घपले में उड़ रहे रोडवेज के दो करोड़, एक हजार कर्मी संदेह के घेरे में
रोडवेज में एसीपी में हुए घोटाले में चल रहे स्पेशल ऑडिट में जल्द बड़ा खुलासा हो सकता है। जांच में ऐसे करीब एक हजार नियमित अधिकारी और कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं।
देहरादून, जेएनएन। रोडवेज में एसीपी (एश्योर्ड कैरियर प्रमोशन) में हुए घोटाले में चल रहे स्पेशल ऑडिट में जल्द बड़ा खुलासा हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि जांच में ऐसे करीब एक हजार नियमित अधिकारी और कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं, जिन्हें गलत एसीपी और प्रोन्नत वेतनमान का लाभ दिया जा रहा। यह भी मालूम चला है कि इस घोटाले के चलते रोडवेज को वेतन में हर माह तकरीबन दो करोड़ रुपये ज्यादा देने पड़ रहे हैं। गलत लाभ लेने वालों में बड़ी संख्या प्रशासनिक और तकनीकी कार्मिकों की बताई जा रही है।
रोडवेज को हर माह वेतन के लिए करीब 22 करोड़ रुपये की जरूरत होती है। चूंकि इन दिनों रोडवेज की स्थिति बेहद खराब है लिहाजा कार्मिकों को वेतन देना चुनौती बना हुआ है। मार्च, अप्रैल और मई का वेतन राज्य सरकार से दी गई मदद पर दिया गया है, लेकिन अब उस पर जून, जुलाई और अगस्त का वेतन लंबित है। शासन ने मदद देते हुए शर्त रखी थी कि रोडवेज मुख्यालय गलत एसीपी और प्रोन्नत वेतनमान घोटाले में स्पेशल ऑडिट कराकर रिपोर्ट सौंपे।
इस पर इन दिनों ऑडिट टीम मुख्यालय में कार्रवाई कर रही। इसी दौरान एक रोज पहले ऑडिट टीम ने 11 अधिकारियों को गलत एसीपी व वेतनमान का लाभ देना पाते हुए रिकवरी के आदेश दिए थे। इसके बाद टीम घोटाले की परतें उधेड़ रही है। सूत्रों की मानें तो 3200 नियमित कार्मिकों में करीब एक हजार कार्मिकों के वेतनमान में घोटाला पकड़ में आया है। इसमें दून के ग्रामीण व पर्वतीय डिपो के करीब तीन दर्जन कार्मिकों का वेतनमान गलत पकड़ा गया है। ऑडिट टीम तीनों मंडलों, सभी डिपो और बस अड्डों समेत कार्यशालाओं में नियुक्त कार्मिकों के वेतनमान की जांच कर रही।
अधिकारियों में विवाद
एसीपी घोटाले में 11 अधिकारियों के विरुद्ध हुई रिकवरी की कार्रवाई से रोडवेज में अंदरखाने चल रही सियासत भी बाहर आने लगी है। कार्रवाई की जद में आए इन अधिकारियों ने शेष अधिकारियों के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए इनके वेतन की जांच की मांग उठाई है।
कार को लेकर भी हो रहा विवाद
खर्चे कम करने के लिए रोडवेज ने पिछले दिनों शासन को जानकारी दी थी कि समस्त अधिकारियों को दी गई कार सुविधा हटाई जा रही है। इसके बाद मुख्यालय ने सूबे के सभी डिपो एजीएम से कार सुविधा हटा ली, लेकिन डीजीएम, आरएम और इससे ऊपर के सभी अधिकारियों की कार सुविधा अब तक जारी है। टीम के समक्ष ये सवाल भी उठाए हैं।
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दीपक जैन (महाप्रबंधक रोडवेज) का कहना है कि दो साल पूर्व जब एसीपी व वेतनमान में गड़बड़ी पकड़ी गई थी, तब प्रबंध निदेशक द्वारा शासन से स्पेशल ऑडिट की मांग की की गई थी। ऑडिट टीम मार्च में आई थी, लेकिन तभी कोरोना के चलते जांच रोकनी पड़ी। अब जांच दोबारा शुरू हुई है। जांच में सामने आ रही गड़बड़ी पर कार्रवाई की जा रही। रिकवरी भी की जा रही। ऑडिट टीम की फाइनल रिपोर्ट के बाद स्पष्ट होगा कि कुल कितनी धनराशि की रिकवरी होनी है।
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