केंद्रीय राज्यमंत्री महेश शर्मा बोले, एक आदर्श पेशे का हिस्सा हैं डॉक्टर
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने वार्षिक सिंपोजियम का आयोजन किया। केंद्रीय राज्यमंत्री शर्मा ने सिंपोजियम का शुभारंभ किया।
देहरादून, [जेएनएन]: केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि वो आइएमए के कार्यक्रम में मंत्री नहीं बल्कि परिवार के एक सदस्य की हैसियत से पहुंचेे हैैं। डॉ. शर्मा ने कहा कि डॉक्टर और मरीज के बीच के रिश्तों में गरमाहट कम हुई है। आज जब कोई व्यक्ति इस पेशे पर सवाल उठाता है तो बडा दुख पहुंचता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा राजपुर रोड स्थित होटल में वार्षिक सिंपोजियम का आयोजन किया। जिसका शुभारंभ केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा ने किया। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत और स्वास्थ्य महानिदेशक डा. अर्चना श्रीवास्तव ने केंद्रीय राज्य मंत्री का स्वागत। सिंपोजियम में कई विशेषज्ञ डाक्टर ने व्याख्यान दिया। वहीं कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय मंत्री शर्मा ने कहा कि इस बात पर आत्ममंथन करना होगा कि यह स्थितियां क्यों बनी। हम एक आदर्श पेशे का हिस्सा हैं और यह गर्व का विषय है।
उनका कहना है कि ईश्वर ने हमें एक माध्यम के रूप में चुना है। याद रखिये,जो सम्मान एक चिकित्सक को मिलता है वह एक कॉरपोरेट हेड के रूप में नहीं मिलेगा। उन्होंने ये भी कहा कि कहा कि यह मत सोचिये की विरासत में क्या मिला बल्कि यह सोचिये कि हम वसीहत में क्या देकर जाएंगे। नेशनल मेडिकल कमीशन पर आइएमए की चिंताओं को जायज बताते कहा कि केंद्र सरकार कोई भी कदम एक पक्षीय नहीं उठाती।तभी यह बिल स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया है।नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक का उदाहरण देते कहा कि सरकार किसी भी तरह के सुझावों को आत्मसात करने करने में कभी पीछे नहीं हटी।जहां तक क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का प्रश्न है राज्य सरकार अपने स्तर पर मसले को सुलझाने का प्रयास कर रही है।
इससे पहले आइएमए दून शाखा की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कार्यक्रम में क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट की चुनौतियों पर बात की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राज्य सरकार इसमें आवश्यक संशोधन करेगी। डॉ. गीता खन्ना ने हरियाणा सरकार की ही तरह 50 बेड से नीचे के अस्पतालों को एक्ट से मुक्त रखने की मांग की। नेशनल मेडिकल कमीशन के मौजूदा स्वरूप को लेकर भी उन्होंने अपना विरोध जताया। डा. गीता ने कहा कि इसमें कई विसंगतिया हैं। एक्ट के अनुसार आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथिक चिकित्सक ब्रिज कोर्स कर एलोपैथी प्रैक्टिस कर पाएंगे। यह प्रावधान भी है कि मेडिकल में पीजी में सीटें बढ़ाने के लिए नियामक से मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। यह कदम भविष्य के लिहाज से ठीक नहीं हैं।
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