उत्तराखंड में बढ़ेगा पशुपालन, गांव लौटे प्रवासियों को मिलेगा स्वरोजगार
ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है पशुधन। इस लिहाज से उत्तराखंड की तस्वीर देखें तो यह उतार-चढ़ाव भरी है लेकिन बदली परिस्थितियों में पशुपालन की तस्वीर संवरने की उम्मीद जगी है।
By Edited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 08:41 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है पशुधन। इस लिहाज से उत्तराखंड की तस्वीर देखें तो यह उतार-चढ़ाव भरी है, लेकिन बदली परिस्थितियों में पशुपालन की तस्वीर संवरने की उम्मीद जगी है। कोरोना संकट के दृष्टिगत प्रवासियों के गांव लौटने के बाद अब उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने को सरकार ने पशुपालन को भी तवज्जो देने की ठानी है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में इसे शामिल किया गया है तो विभाग ने भी पशुपालन में प्रवासियों को शीर्ष प्राथमिकता देने का निश्चिय किया है।
राज्य में एक दौर में खेती-किसानी के साथ ही पशुपालन भी सशक्त था। वक्त ने करवट बदली और गांवों से हुए पलायन के कारण गांव खाली हुए तो खेत-खलिहान बंजर में तब्दील। पशुपालन भी निरंतर सिमटता चला गया। 2012 और 2019 की पशुगणना के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। तुलनात्मक रूप में देखें तो 2012 के मुकाबले 2019 में कुल गोवंश में 7.95 फीसद की कमी आई। इसी तरह महिशवंशीय पशुओं में 9.38 फीसद की कमी दर्ज की गई। भेड़ और सूकर पालन में भी क्रमश: 22.82 और 11.29 फीसद की गिरावट आई।
अलबत्ता, बकरीपालन में 0.33 फीसद और कुक्कुट पालन में 8.12 फीसद की वृद्धि हुई। घटते पशुपालन के मद्देनजर अब इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। पशुपालन को अन्य विभागों की योजनाओं से भी जोड़ने की तैयारी है। अब जबकि कोरोना संकट के चलते परिस्थितियां बदली हैं तो इसे स्वरोजगार के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा। कई जगह तो प्रवासियों ने इसमें रुचि ली है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में भी पशुपालन को बड़े अंग के तौर पर जोड़ा गया है। सूरतेहाल, उम्मीद जताई जा रही कि पशुपालन तो बढ़ेगा ही, प्रवासियों समेत अन्य लोगों को भी इससे स्वरोजगार मिल सकेगा।
राज्य में पशुओं की संख्या
पशु, गणना वर्ष
2012, 2019
गोवंश (क्रासब्रीड), 497592, 571316
गोवंश (स्वदेशी), 1508461, 1275303
महिशवंशीय, 987775, 866318
भेड़, 368756, 284615
बकरी, 1367413, 1371971
सूकर, 19907, 17669
कुक्कुट, 4641937, 5018684
पशुपालन राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने कहा कि स्वरोजगार के लिहाज से पशुपालन मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में समाहित है। विभाग के स्तर से भी पशुपालन, मत्स्यपालन, भेड़-बकरी पालन, कुक्कुट पालन को बढ़ावा देने को कदम उठाए गए हैं। इसमें शीर्ष प्राथमिकता प्रवासियों को दी गई है।
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