रोडवेज कर्मचारियों ने आंदोलन का बिगुल फूंका, 23 नवंबर को एक घंटा नहीं चलेंगी बसें
रोडवेज की हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन को शहरी विकास विभाग को ट्रांसफर करने के आदेश से आक्रोशित रोडवेज कर्मचारियों ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है।
देहरादून, जेएनएन। रोडवेज की हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन को शहरी विकास विभाग को ट्रांसफर करने के आदेश से आक्रोशित रोडवेज कर्मचारियों ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। आंदोलन के क्रम में उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने 23 नवंबर को दोपहर 12 से एक बजे तक एक घंटा बसों का संचालन बंद रखने का एलान किया है। प्रदेश के तीनों मंडलों देहरादून, नैनीताल और टनकपुर में बसों का संचालन बंद कर कर्मचारी काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे।
पिछले हफ्ते सरकार ने कार्यशाला की जमीन ट्रांसफर करने की कसरत में रोडवेज प्रबंधन को 20 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए थे। स्मार्ट सिटी के तहत कार्यशाला की जमीन पर पूरे जिले के मुख्य दफ्तरों की ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण कराने के लिए सरकार ने रोडवेज से जमीन ली है। रोडवेज कर्मचारी इसे लेकर आंदोलन कर रहे हैं। रोडवेज के कर्मचारी संगठन कार्यशाला की जमीन ट्रांसफर करने से पहले देहरादून आइएसबीटी का स्वामित्व रोडवेज के नाम करने और नई कार्यशाला बनाने और शिफ्टिंग के खर्च समेत जमीन देने की एवज में 300 करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं। बता दें कि एक नवंबर को स्मार्ट सिटी के तहत जिला स्तरीय सरकारी कार्यालय एक ग्रीन बिल्डिंग में शिफ्ट किए जाने की कवायद में सरकार ने रोडवेज की कार्यशाला की जमीन शहरी विकास विभाग को ट्रांसफर करने के आदेश दे दिए थे।
इस बारे में परिवहन सचिव शैलेश बगोली द्वारा जारी आदेश में बताया गया था कि जमीन की प्रतिपूर्ति और कार्यशाला की शिफ्टिंग को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। जमीन ट्रांसफर के बाद प्रतिपूर्ति की राशि पर फैसला होगा। रोडवेजकर्मी इस फैसले के विरुद्ध हैं।
इधर, सरकार की मंशा है कि दिसंबर तक कार्यशाला की जमीन पूरी तरह खाली हो जाए, लेकिन सूत्रों की मानें तो रोडवेज प्रबंधन इतने कम समय पर राजी नहीं है। प्रबंधन की मानें तो ट्रांसपोर्टनगर में नई कार्यशाला का ढांचा खड़ा करने में ही कम से कम छह माह का समय लगना तय है। इस मामले में रविवार को कर्मचारी यूनियन की एक आपात बैठक देहरादून आईएसबीटी पर हुई, जिसमें प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने 23 नवंबर को एक घंटा बसों का संचालन बंद रखने का एलान किया। इसके साथ ही यूनियन ने सरकार से हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में बकाया राशि के शेष बचे 69 करोड़ रुपये की मांग भी की है।
नई बस का गियर लीवर टूटा
रोडवेज को हाल ही में मिली 150 नई बसों में तकनीकी खराबी के मामले सामने आने लगे हैं। रविवार को नैनीताल से मसूरी जा रही नई बस का गियर लीवर बीच रास्ते में टूट गया। गनीमत रही कि वक्त रहते चालक ने सूझबूझ दिखाकर बस रोक ली और हादसा टल गया। इस बात पर यात्रियों ने हंगामा भी किया और बसों की खरीद में गुणवत्ता से समझौता करने के आरोप लगाए। वहीं, रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि गियर लीवर टूटने की शिकायत मिली है, जिसे संबंधित बस निर्माता कंपनी को भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि सभी बसें तकनीकी रूप से फिट हैं और जांच के बाद ही उन्हें फिटनेस प्रमाण पत्र जारी हुआ है।
बसों का संचालन बंद होने से यात्री परेशान
मसूरी स्थित टिहरी बस स्टैंड से न्यू टिहरी, चंबा, श्रीनगर आदि जगहों के लिए करीब एक माह से टीजीएमओसी बसों का संचालन बंद हो गया है। जिससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों ने बसें संचालित करने की मांग की है।
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स्थानीय निवासी भगवाती प्रसाद कुकरेती, प्रवीन पंवार, सत्ये सिंह आदि ने कहा कि मसूरी में टिहरी, चमोली, रूद्रप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल आदि के निवासी बड़ी संख्या में रहते हैं, लेकिन उनको अपने गांव आने जाने के लिए परिवहन की उचित व्यवस्था नहीं है। परिवहन निगम की इस मार्ग पर एकमात्र बस देहरादून से चंबा वाया मसूरी तक जाती है जो देहरादून से ही यात्रियों से भरकर आती है। ऐसे में मसूरी के यात्रियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल का कहना है कि अगर टीजीएमओसी यहां से बसों का संचालन नहीं कर सकती है तो उत्तराखंड परिवहन निगम को यहां से बसों का संचालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मसूरी से टिहरी व श्रीनगर के लिए नियमित बसों का संचालन होना चाहिए। स्थानीय लोगों ने बसों का संचालन जल्द शुरू करने की मांग की हैं।
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